मेरी फसल-मेरा ब्यौरा योजना : उपायुक्त ने खेतों में जाकर की दर्ज किए गए विवरण की मौके पर समीक्षा
मेरी फसल-मेरा ब्यौरा पर जो भी विवरण दर्ज किया जाए वह पूरी तरह से सही होना चाहिए। डाटा अपलोड करने से पहले आंकड़ों का मिलान किया जाए। यह योजना किसानों को सरकार द्वारा दी जाने वाली विभिन्न सुविधाओं व लाभ का सशक्त माध्यम है, इसलिए इस कार्य में किसी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
यह बात उपायुक्त रमेश चंद्र बिढाण ने शनिवार को ऐलनाबाद के गांव कर्मसाना के खेतों में मेरी फसल-मेरा ब्यौरा योजना अंतर्गत किए गए कार्यों की समीक्षा करने के दौरान अधिकारियों को कही। इस अवसर पर एसडीएम दिलबाग सिंह सहित संबंधित विभागों के अधिकारी मौजूद थे।
उपायुक्त ने खेतों में स्वयं मेरी फसल-मेरा ब्यौरा पोर्टल पर अपलोड विवरण की समीक्षा की। इसके लिए उन्होंने गांव कर्मसाना के खेतों का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने मौके पर ही संबंधित विभागों के अधिकारियों से अपलोड विवरण बारे विस्तृत जानकारी ली। उन्होंने किसानों द्वारा उगाई गई फसलों का मेरी फसल मेरा ब्यौरा, ए-गिरदावरी व हरसेक (एचएआरएसएसी) में दर्ज ब्यौरे से मिलान किया। उन्होंने कहा कि मेरी फसल-मेरा ब्यौरा के अंतर्गत प्रदेश सरकार सीधे तौर पर किसानों को विभिन्न सुविधाएं उपलब्ध करवा रही है। इसलिए संंबंधित अधिकारी आपसी तालमेल के साथ कार्य करें, ताकि पोर्टल पर सही विवरण अपलोड हो। उन्होंने हरसैक, कृषि व राजस्व विभाग के अधिकारियों से मेरी फसल-मेरा ब्यौरा पोर्टल पर अपलोड विवरण के संबंध में दिशा-निर्देश दिए।
उपायुक्त ने कहा कि मेरी फसल-मेरा ब्यौरा पोर्टल पर किसानों के लिए फसलों का विवरण अपलोड करवाना अनिवार्य है। पोर्टल पर पंजीकृत किसान की फसल को मंडी में प्राथमिकता के आधार पर खरीदा जाएगा। इसके अलावा पोर्टल पर पंजीकृत किसानों को सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ दिया जाता है, जिसमें अनुदान पर दिए जाने वाले कृषि यंत्र भी शामिल है। किसान को चाहिए कि वे अपनी फसल का विवरण मेरी फसल-मेरा ब्यौरा पोर्टल पर अवश्य दर्ज करवाए।
किसान पराली न जलाएं, उचित प्रबंधन कर लाभ कमाएं :
उपायुक्त ने इस दौरान किसानों से भी बातचीत की। उन्हेंने कहा कि किसान पराली को न जलाएं। बल्कि इसका सही प्रबंधन करके इसे लाभ का जरिया बनाएं। फसल अवशेष को चारे के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके अलावा इसका उचित निपटान करके इसे खाद में बदला जा सकता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा विभिन्न योजनाओं के तहत फसल अवशेष प्रबंधन के लिए अनुदान पर कृषि यंत्र उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। किसान इन यंत्रों का इस्तेमाल करें। उन्होंने कहा कि फसल के अवशेष जलाने से जहां भूमि की उर्वरा शक्ति खत्म होती है, वहीं पर्यावरण दूषित होता है। किसान फसलों को न जलाकर पर्यावरण सरंक्षण में सहयोगी बनें और सरकार की योजनाओं का लाभ उठाकर अपनी आय में बढ़ोतरी की दिशा में आगे बढ़ें।