प्रथम राष्ट्रीय सांस्कृतिक पायथियन खेल 2024 का शानदार समापन
पंचकूला 15 दिसंबर – प्रथम राष्ट्रीय सांस्कृतिक पायथियन खेल 2024 का आज समापन हो गया, जो और भी अधिक विविधता और उत्साह के साथ लौटने का एक जीवंत वादा छोड़ गया।
इस आयोजन में देश भर के राज्यों से भागीदारी प्रदर्शित की गई, जिसने सभी के लिए एक असाधारण अनुभव प्रदान किया। प्रतिभागियों ने इस आयोजन और इसके द्वारा प्रदान किए गए यादगार मंच की सराहना करते हुए अपनी प्रसन्नता व्यक्त की।
समापन समारोह की मुख्य अतिथि चंडीगढ़ स्थित ब्रिटिश उच्चायोग की उप उच्चायुक्त सुश्री कैरोलिन रोवेट थीं।
श्री गोयल ने कहा कि इस चैंपियनशिप ने कलाकारों, खिलाड़ियों और चित्रकारों को अपनी प्रतिभा को दुनिया के सामने प्रदर्शित करने का एक सुनहरा अवसर प्रदान किया। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि ओलंपिक में ताइक्वांडो और जूडो जैसे खेल शामिल हैं, लेकिन मार्शल आर्ट के कई अन्य रूप अभी भी कम प्रतिनिधित्व वाले हैं।
उन्होंने कहा, ‘हमारा मिशन इन छिपे हुए सांस्कृतिक खेलों को वैश्विक पहचान दिलाना है।’ श्री गोयल ने उन स्कूलों, कॉलेजों और विभिन्न संस्थानों के प्रति भी आभार व्यक्त किया, जिन्होंने उन पर भरोसा जताया और अटूट समर्थन दिया। उन्होंने जोर देकर कहा, ‘यह लोगों और राष्ट्रों को एकजुट करने का समय है।’ उन्होंने आश्वासन दिया कि यह आयोजन एक यात्रा की शुरुआत है, जिसमें निकट भविष्य में पाइथियन खेलों को वैश्विक घटना बनाने की योजना है।
पीसीआई के महासचिव श्री राजेश जोगपाल ने कहा कि पाइथियन खेल हमारे कलाकारों और एथलीटों के लिए बेहतरीन अवसर प्रस्तुत करते हैं। एक अंतरराष्ट्रीय आयोजन के रूप में, आधुनिक पाइथियन खेलों का उद्देश्य भाग लेने वाले क्षेत्रों की विविध सांस्कृतिक विरासत का जश्न मनाना और दुनिया भर के दर्शकों को प्रेरित करना है।
ग्रीस के अंतर्राष्ट्रीय पाइथियन परिषद के अध्यक्ष श्री पैनोस कल्टसिस ने श्री गोयल द्वारा कार्यक्रम के उत्कृष्ट आयोजन के लिए अपनी प्रशंसा व्यक्त करते हुए धन्यवाद ज्ञापन दिया। उन्होंने इस आयोजन को सफल बनाने में भाग लेने वाले सभी लोगों के प्रति भी आभार व्यक्त किया।
विभिन्न राज्यों के टीम प्रबंधकों ने आयोजकों को उनकी असाधारण व्यवस्थाओं के लिए अपना आभार व्यक्त किया। श्री बिजेंद्र गोयल ने सभी को उनके उल्लेखनीय प्रदर्शन और अटूट समर्थन के लिए धन्यवाद दिया। आयोजन के उद्देश्य पर विचार करते हुए उन्होंने कहा, “हमारा उद्देश्य केवल खेलों की मेजबानी करना नहीं था, बल्कि हमारे देश की छिपी प्रतिभा को उजागर करना और उसका जश्न मनाना था। समापन समारोह के दौरान एक सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें कथक, उत्तराखंडी नृत्य, दटका और गदा जैसे प्रदर्शन शामिल थे।