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पराली जलाने वाले संभावित 76 गांव किए गए चिन्हित : उपायुक्त रमेश चंद्र बिढ़ाण

सिरसा, 9 सितंबर।

रेड जोन में रखे 25 गांव तथा औरेंज जोन में जिला के 51 गांवों पर रहेगी विशेष नजर


उपायुक्त रमेश चंद्र बिढाण ने कहा कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय व एनजीटी के निर्देशानुसार जिला में प्रदूषण नियंत्रण को लेकर  पराली जलाने की घटनाओं पर पूर्णतय नियंत्रण जरूरी है। इसलिए प्रदूषण पर नियंत्रण रखने के लिए गंभीरता के साथ काम किया जाए और इस कार्य में किसी प्रकार की लापरवाही न बरती जाए। उन्होंने कहा कि पराली जलाने वाले संभावित 76 गांवों को चिह्निïत किया गया है। इन गांवों में विशेष योजना के तहत कार्य किया जाए और किसानों को पराली न जलाने के लिए अधिक से अधिक जागरुक करें। इसके लिए निगरानी टीमों का गठन कर नोडल अधिकारी नियुक्त किए जाए।

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उन्होंने कहा कि गांव स्तर पर किसानों को पराली न जलाने के लिए जागरुक करें और विशेष रुप से ग्रामीण महिलाओं को भी पराली न जलाने के लिए प्रेरित करें। उन्होंने संबंधित विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि एनजीटी व माननीय उच्चतम न्यायालय के दिशा निर्देशों की हर हाल में कड़ाई से अनुपालना सुनिश्चित करें।  इसके अलावा किसानों को यह भी समझाएं कि पराली को जलाने की अपेक्षा उसे आमदनी का साधन बनाएं। पराली जलाने से न केवल वातावरण दूषित होता है बल्कि भूमि की उपजाऊ शक्ति भी कम होती है।

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उपायुक्त ने निर्देश दिए कि कृषि विभाग के अधिकारी गांव में जाकर ग्रामीणों को पराली न जलाने के लिए प्रेरित करें और पराली प्रबंधन के बारे में जानकारी दें। इसके अलावा सरकार द्वारा पराली प्रबंधन कृषि संयंत्रों पर दिए जाने वाली अनुदान के बारे में विस्तार से बताएं, ताकि किसान इन कृषि यंत्रों का उपयोग पराली प्रबंधन के लिए कर सकें। उन्होंने कहा कि पराली जलाने वाले संभावित गांव के अलावा भी कृषि अधिकारी अन्य गांव पर निगरानी रखें और पंचायत प्रतिनिधियों से समय-समय पर तालमेल बनाकर ग्रामीणों को जागरूक करें। उन्होंने कहा कि सरपंच गांव का मौजिज व्यक्ति होता है, जिसका प्रभाव ग्रामीणों पर होता है। इसलिए इस कार्य में सरपंच अहम भूमिका निभा सकते हैं।

ये 25 गांव किए रैड जोन में शामिल


गांव अलीका, बणी, चामली, दादू, दड़बा खेड़ा, धोतड़, फरमाल, जीवन नगर, जोधकां, करीवाला, कासमखेड़ा, माधोसिंघाना, मतड़, नहरावाली, नरेल खेड़ा, नटार, पनिहारी, रंगड़ी खेड़ा, रानियां, रोड़ी, शाहपुर बेगू, सिंकदरपुर, सुचान, सुरतिया, तलवाड़ा खेड़ा शामिल है।


ओरेंज जोन में हैं 51 गांव :


गांव अभोली, बेगूवाली, बाहिया, बाजेकां, बनसुधार, भादरा, भावदीन, बुप्प, धनुर, दड़बी, दौलतपुर खेड़ा, देशुजोधा,देशुमलकाना, ढुडियावाली, फिरोजाबाद, हांडी खेड़ा, हरीपुरा, हिमायु खेड़ा, जोहड़वाली, कंगनपुर, केलनियां, केवल, खुईयां मलकान, किरनावाली, कुस्सर, कुताबढ, लहंगेवाला, लीनवाली, मल्लेकां, ममेरा, मंगाला, मीरपुर, मोडिया खेड़ा, मोहमदपुरिया, मौजदीन, नागोकी, नगराना, नेजाडेला खुर्द, नेजाडेला कलां, ओटू, पक्का, पन्नीवाला-मोरिकां, फूल्लो, रंगा, रसूलपुर, शहीदावाली, शमसाबाद, तख्तमल, ठोबरियां, वेदवाला


कस्टम हायरिंग सैंटर के माध्यम से कृषि यंत्रों पर दी जाती है 80 फीसदी सब्सिडी : उपायुक्त बिढ़ाण


उपायुक्त ने कहा कि किसान पराली को जलाने की बजाय इसे अपनी आय का स्त्रोत भी बना सकते हैं। इसके अलावा पराली को पशु चारा के साथ-साथ इसे भूमि में मिला कर उपजाऊ शक्ति भी बढ़ा सकते हैं। उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार द्वारा धान की कटाई के लिए किसानों को कृषि यंत्रों पर अच्छा अनुदान दिया जाता है। कस्टम हायरिंग सैंटर के माध्यम से किसानों को इन कृषि यंत्रों पर 80 फीसदी तक सब्सिडी दी जा रही है। उन्होंने कहा कि कृषि यंत्र के लिए आवेदन करने से पहले किसान को मेरी फसल-मेरा ब्यौरा पोर्टल पर पंजीकरण करवाना अनिवार्य है। इसके अलावा सीआरएफ स्कीम तहत वहीं किसान अनुदान के लिए आवेदन कर सकता है जिसने कृषि विभाग से पिछले 2 साल के दौरान किसी भी स्कीम में इनसीटू कृषि यंत्र पर अनुदान का लाभ न लिया हो।