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पराली जलाने की घटनाओं पर अंकुश के लिए अधिकारी आपसी तालमेल से करें कार्य : उपायुक्त

सिरसा, 7 अक्तूबर।


उपायुक्त रमेश चंद्र बिढाण ने कहा कि जिला में कोई भी घटना पराली जलाने के संबंध में न हो, इसके लिए संबंधित अधिकारी गंभीरतापूर्वक योजनाबद्ध तरीके से कार्य करें। गांव में फसल अवशेष जलाने की घटनाओं पर नोडल अधिकारी पैनी नजर रखें। जहां भी पराली जलाने की घटना होती है, तुरंत उसकी सूचना उच्च अधिकारी को दें, ताकि संबंधित के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जा सके।

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उपायुक्त बुधवार को लघुसचिवालय स्थित वीडियो कॉफ्रेंस हाल में मुख्य सचिव विजय वर्धन की अध्यक्षता में आयोजित वीसी उपरांत अधिकारियों को पराली जलाने की घटनाओं के संबंध में दिशा-निर्देश दे रहे थे। वीसी में उप निदेशक कृषि बाबू लाल, डीएस यादव सहित संबंधित अधिकारी मौजूद थे।


उपायुक्त रमेश चंद्र बिढाण ने मुख्य सचिव को जानकारी देते हुए बताया कि इस सीजन में जिला में पराली जलाने की तीन घटनाएं ट्रेस की गई हैं। इनमें से एक का चालान किया गया है और दो पर कार्रवाई चल रही है। उन्होंने बताया कि जिला में पराली जलाने की घटनाओं पर कड़ी निगरानी के दृष्टिगत गांव में नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए हैं, जिन्हें सरपंच के साथ तालमेल कर पराली जलाने की घटनाओं अंकुश के लिए दिशा-निर्देश दिए गए हैं। प्रशासन का प्रयास है कि पिछली साल के मुकाबले इस बार पराली जलाने की घटनाओं पर प्रभावी अंकुश लगाया जाएगा।


उन्होंने बताया कि जिला में अनुदान पर फसल अवशेष प्रबंधन कृषि उपकरण के लिए 2084 आवेदन प्राप्त हुए थे। इनमें से 862 ने पोर्टल पर अपने बिल अपलोड कर दिए हैं। उन्होंने बताया कि जिला में 297 कस्टमर हायरिंग सैंटर स्थापित किए गए हैं। इनमें 200 विभागीय जबकि 97 पंचायत को अधिकृत किए गए हैं। उन्होंने बताया कि जिला में 101 बेलर उपलब्ध हैं। उपायुक्त ने वीडियो कॉफ्रेंस उपरांत उपस्थित अधिकारियों को निर्देश दिए कि जिला में कोई फसल अवशेष जलाने की घटना न हो इसके लिए आपसी तालमेल बनाकर कार्य करें। उन्होंने कहा कि नोडल अधिकारी संबंधित गांव में कड़ी निगरानी रखें, जैसे ही पराली जलाने की घटना के बारे में उन्हें जानकारी मिलती है, तुरंत इसकी सूचना उच्च अधिकारियों को करें। उन्होंने कहा कि पराली जलाने वालों पर तुरंत कार्रवाई करते हुए उसका चालान किया जाए। यदि कोई इसमें बाधा उत्पन्न करता है तो उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए। उन्होंने कहा कि किसानों को जागरूक करते हुए उन्हें फसल अवशेष प्रबंधन कृषि उपकरणों के प्रयोग बारे प्रेरित किया जाए।

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मुख्य सचिव विजय वर्धन ने वीडियो कॉफ्रेंस में जिला के उपायुक्तों को संबोधित करते हुए कहा कि पराली जलाने की घटनाओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त है। उन्होंने कहा कि अधिक से अधिक किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन कृषि उपकरण उपलब्ध करवाए जाएं, ताकि फसल अवशेष का उचित निपटान हो सके। किसानों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए फसल अवशेष प्रबंधन कृषि उपकरणों के बिलों को अपलोड करने की तिथि को बढा दिया गया है। अब 12 अक्तूबर तक फसल अवशेष प्रबंधन कृषि उपकरणों को पोर्टल पर अपलोड करवाए जाएं। उन्होंने कहा कि जहां पर पराली की खपत होती है, ऐसे स्थानों जैसे फैक्ट्री, पंचायत की जमीन, गौशाला आदि को चिन्हित किया जाए। उन्होंने कहा कि जिला में बिना एसएमएस के कंबाईन हारवेस्टर का इस्तेमाल न हो। मुख्य सचिव ने कहा कि पराली जलाने की घटनाओं पर त्वरित कार्रवाई हो इसके लिए दिन में दो बार सेटेलाइट रिपोर्ट का मैसेज संबंधित अधिकारियों के पास जाएगा। यह मैसेज संबंधित किसान, नोडल अधिकारी, सरपंच, तहसीलदार,एसडीएम, डीडीए व उपायुक्त के पास जाएगा। उन्होंने उपायुक्तों को निर्देश दिए कि इस बारे भी रिपोर्ट दी जाए कि फसल अवशेष प्रबंधन कृषि उपकरणों का कितना उपयोग हो रहा है। उन्होंने कहा कि यह भी सुनिश्चित किया जाए कि कस्टम हायर सैंटर(सीएचसी) 70 प्रतिशत कृषि उपकरणों को लघु व सीमांत किसानों को उपलब्ध करवाएं। गांव में ग्राम सभाएं आयोजित कर किसानों को फसल अवशेष न जलाने बारे जागरूक किया जाए व उन्हें फसल अवशेष प्रबंधन के लिए कृषि उपकरणों के इस्तेमाल के लिए प्रेरित किया जाए। मुख्यमंत्री अतिरिक्त प्रधान सचिव वी उमाशंकर, कृषि विभाग अतिरिक्त मुख्य सचिव देवेंद्र सिंह, विकास एवं पंचायत विभाग प्रधान सचिव सुधीर राजपाल ने भी पराली जलाने की घटनाओं पर अंकुश लगाने के संबंध में सभी उपायुक्तों को निर्देश देते हुए सुझाव सांझा किए।