*Prime land freed from encroachments in Manimajra by MC Chandigarh*

दृढ इच्छा शक्ति व संयमित दिनचर्या अपनाकर मिल सकता है नशा प्रवृति से छुटकारा : उपायुक्त रमेश चंद्र बिढ़ाण

सिरसा, 8 सितंबर।

नशे के खिलाफ इस मुहिम में चिकित्सक व शिक्षक निभाएं अहम भूमिका : उपायुक्त


                उपायुक्त रमेश चंद्र बिढ़ाण ने कहा कि नशा और तनाव का गहरा नाता है और आज की भागदौड़ भरी जीवन शैली में विशेषकर युवा नशे को तनावमुक्त रहने का साधन समझ लेेते हैं, जोकि गलत है। युवा शक्ति नशे की अपेक्षा नियमित योग व  संयमित दिनचर्या के साथ-साथ शुद्घ व पौष्टिïक भोजन को अपनाएं। इसके अलावा समय अनुसार अपनी दिनचर्या में अच्छी पुस्तकें पढना व खेल आदि को भी शामिल करें। उन्होंने कहा कि युवा अपनी परेशानी या समस्या को अपने अभिभावक व शिक्षक से सांझा जरूर करें। उन्होंने बताया कि 15 अगस्त से 31 मार्च 2021 तक जिला में नशा मुक्त भारत अभियान चलाया जा रहा है जिसके तहत विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से लोगों को नशे से दूर रहने का संदेश व नशे के दुष्परिणामों के बारे में बताया जा रहा है। इस मुहिम में जिला प्रशासन के साथ-साथ सामाजिक, धार्मिक व अन्य संस्थाएं भी सहयोग कर रही है। नशे के खिलाफ इस मुहिम में चिकित्सक व शिक्षक भी अहम भूमिका निभाते हुए अपना योगदान दें।



ईलाज के साथ-साथ काउंसलिंग भी नशे की लत छुड़वाने में कारगर : मनोचिकित्सक


                मनोचिकित्सक डा. रविंद्र पुरी, डा. दलजीत सिंह व डा. गुरनाम सिंह ने कहा कि नशा सिर्फ एक आदत नहीं, मानसिक रोग भी है। इस रोग की शुरूआत बेशक शौकिया और छोटी-मोटी परेशानियों से होती है, लेकिन धीरे-धीरे ये क्रोनिक रूप अख्तियार कर लेता है। मानसिक रोगों का असर सिर्फ इंसान की मनोस्थिति पर नहीं पड़ता बल्कि उसकी शिक्षा, व्यवसाय सहित पूरे परिवार को प्रभावित करता है। आज समाज में नशा चुनौतीपूर्ण ढंग से बढ़ रहा है, जिसे रोकने के लिए सभी को प्रयास करने होंगे जिससे जिला सिरसा से नशा जड़मूल से समाप्त किया जा सके।


                उन्होंने कहा कि नशे से मानसिक पीड़ा के साथ-साथ माइग्रेन, सिरदर्द एवं चक्कर आना, इनसोमनिया (नींद न आने की बीमारी), चिंता, भय, घबराहट, डिप्रेशन, याददाशत में समस्या आदि बीमारियां उत्पन्न होती है। उन्होंने कहा कि आमतौर पर नशे की गिरफ्त में फंसे लोगों को सिर्फ दवाएं देकर ठीक करने की कोशिश की जाती है। असल में दवाओं के साथ साथ नशा ग्रस्त की काउंसिङ्क्षलग भी जरूरी है। अगर मरीज अस्पताल आने में असमर्थ है, तो फैमिली काउंसिङ्क्षलग के जरिए भी नशे से छुटकारा पाना संभव है।

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                उन्होंने बताया कि नशे का जहर समाज को तेजी से निगल रहा है। भावी पीढ़ी भी नशे की चपेट में आ रही है। उन्होंने कहा कि नशीले पदार्थो का प्रयोग एक मनोवैज्ञानिक बीमारी है। नशा सेवन करने वाला इंसान खुद तो तबाह होता ही है साथ ही अपना परिवार भी उजाड़ देता है। नशा त्यागने के लिए दृढ इच्छा शक्ति व संकल्प का होना बहुत जरूरी है।


उन्होंने कहा कि नशे के कारण समाज में आपराधिक घटनाएं भी बढती हैं जोकि भविष्य के लिए चिंता का विषय है। इस प्रकार से नशा केवल व्यक्तिगत नुकसान ही नहीं करता बल्कि पूरे परिवार व समाज को भी बुरी तरह से प्रभावित करता है। उन्होंने कहा कि नशा को समाज से खत्म करना सबकी सामूहिक जिम्मेवारी है। नशे के खिलाफ सभी को एकजुट होकर लडऩा होगा और सभी को जिला को नशा मुक्त बनाने की मुहिम में अपना योगदान देना होगा।

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छात्रों को नशे के दुष्परिणाम बताता है ‘मित्रÓ


                मनोचिकित्सक डा. रविंद्र पुरी ने बताया कि राजकीय नेशनल महाविद्यालय में छात्रों को समय-समय पर नशे के दुष्परिणामों के बारे में जागरुक किया जाता है, इसके लिए मित्र नामक संस्था का गठन भी किया गया है। इस संस्था द्वारा महाविद्यालय में नशा विषय पर विभिन्न प्रतियोगिताओं के साथ-साथ अन्य गतिविधियों का आयोजन किया जाता है। इसके अलावा संस्था के सदस्यों द्वारा छात्रों से संवाद कर नशे से दूर रहने के लिए प्रेरित भी किया जाता है। उन्होंने कहा कि नशा मुक्त भारत अभियान को सफल बनाने के लिए मित्र संस्था पूरी निष्ठïा व ईमानदारी से अपना दायित्व निभाएगी।