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चौथे चरण की राज्य स्तरीय जिलावर कला कार्यशाला हुई संपन्न

कला शिक्षक ने मिट्टी के द्वारा मानव आकृति को किया पेश

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पंचकूला, 14 दिसंबर – निर्जीव को सजीव दिखाने की कला ही सृजनात्मकता कहलाती है। और अगर उसमें कलाकार अपनी सोच , अपने भाव मिला देता है तो वह कला देखने वाले के लिए एक अलग ही अनुभूति होती है। ऐसी ही सुंदर कलाकृतियां व पेंटिंग्स का समावेश देखने को राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय सेक्टर 6 पंचकूला में आयोजित की जा रही राज्य स्तरीय जिलावार कला कार्यशाला में मिल रहा है ।

हरियाणा मौलिक शिक्षा विभाग के निदेशक एसएस ढिल्लों व अतिरिक्त निदेशक अमृता सिंह के मार्गदर्शन में चल रही राज्य स्तरीय जिलावार कला कार्यशाला का चौथा चरण आज संपन्न हो गया।

चौथे चरण के अंतिम दिन मास्टर ट्रेनर दीपा ने लिप्पन कला के बारे में विस्तार से जानकारी दी । उन्होंने बताया कि गुजरात की यह कला धीरे-धीरे पूरे देश के ग्रामीण अंचल में अधिक प्रसिद्ध हुई और बाद में इस कला ने आज नवीनतम रूप ले लिया है जिससे आज भी लोग अपने घरों की सजावट करते हैं।

कुरुक्षेत्र राजकीय माध्यमिक विद्यालय समस्तीपुर में हाल ही में
नवनियुक्त अध्यापिका डॉ रजनी ने बताया कि उन्होंने फाइन आर्ट्स में पीएचडी की है । लेकिन इस कार्यशाला में आने के पश्चात उन विधाओं की भी जानकारी उन्हें प्राप्त हुई है जिसका ज्ञान उन्हें अपनी पढ़ाई के दौरान नहीं प्राप्त हुआ था।

उन्होंने पहली बार लिप्पन कला को सीखा व समझा है। उन्होंने मांग की कि आने वाले समय में इस कार्यशाला की अवधि को बढ़ाया जाना चाहिए। अजीत सिंह कला अध्यापक राजकीय माध्यमिक विद्यालय संगोर, बाबैन, कुरुक्षेत्र ने बताया कि वे पिछले 17 साल से कला अध्यापक के तौर पर कार्यरत हैं। लेकिन पहली बार शिक्षा विभाग द्वारा इस तरह की कार्यशाला लगाई गई है। इस कार्यशाला में भाग लेने के बाद अब ऐसा प्रतीत होता है कि इस तरह की कार्यशाला का आयोजन प्रतिवर्ष होना चाहिए। इस तरह की कार्यशाला से अध्यापकों की दबी हुई सृजनात्मकता को नए पंख लगते हैं।
मिट्टी की कलाकृतियां बनाने की सिखलाई मास्टर ट्रेनर कंवलजीत द्वारा दी गई इस बार कुरुक्षेत्र के राजकीय मॉडल संस्कृत वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय थानेसर से आए कला अध्यापक गोपाल ने मानव चित्र को मिट्टी के द्वारा बनाया है । जिसे देखकर ऐसे लगता है कि यह निर्जीव मूर्ति मानो संजीव ही प्रतीत हो रही है। उन्होंने बताया कि जब भी कोई काम करें तो पूरे भाव और मन को एकाग्र करके करना पड़ता है, तभी इस प्रकार के चित्र बन पाते हैं।

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