*Chandigarh Shines in Swachh Survekshan 2024–25; Enters the Super Swachh League Cities*

ग्रेशियन अस्पताल मोहाली ने कोरोना की दूसरी लहर दौरान 600 से अधिक मरीजों का इलाज किया: डा. प्रीती शर्मा

देश में 5 लाख लोगों के इलाज के लिए 70000 आईसीयू बैड उपलब्ध: डा. मनविंदरजीत कौर

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मोहाली, 17 जुलाई: ग्रेशियन सुपर स्पैलिटी अस्पताल मोहाली की टीम ने मोहाली, चंडीगढ़ तथा पंचकूला में आईसीयू की सुविधा तथा गंभीर बीमारियों के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए एक पत्रकार कान्फे्रेंस में गंभीर मरीजों की संभाल, कोविड केयर तथा वेंटीलेशन संबंधी बहुत सारे तथ्यों तथा भ्रमों के बारे विचार चर्चा की।


ग्रेशियन अस्पताल में फेफड़ों के रोगों के माहिर तथा क्रिटिकल केयर के सीनियर कंस्लटेंट डा. प्रीती शर्मा ने पत्रकारों को संबोधन करते हुए कहा कि क्रिटिकल तथा इंटेसिल केयर (गंभीर मरीज की पूरी निष्ठा से देखभाल) में मरीज की गंभीर हालत के समय उसकी जिंदगी बचाने का प्रबंध शामल है, जिसमें अकसर जीवन रक्षक प्रणाली की जरूरत पड़ती है।


ऐसी जीवन रक्षक प्रणाली की सुविधा एक अच्छे अस्पताल में ही दी जा सकती है। उन्होंने बताया कि आईसीयू में 24 घंटे माहिर डाक्टर मौजूद रहे हैं तथा यहां विशेष नर्सें तैनात होती हैं। डाक्टरी स्टाफ के अलावा हर तरह की अति-आधुनिक टेक्नोलॉजी, वेंटीलेटर, डायलसिस मशीनें, इको, हाई-फ्लो, नेजल केनला, कार्डियक मॉनीटर शामिल होते हैं।


डा. प्रीती शर्मा ने यह भी बताया कि कोविड 19 की दूसरी लहर दौरान ग्रेशियन अस्पताल में गंभीर बीमारियों से पीडि़त 600 से अधिक मरीजों का इलाज किया गया, जिनमें चंडीगढ़ ट्राईसिटी के अलावा दिल्ली, नोएडा, फरीदाबाद, मेरठ, जम्मू, बरेली, देहरादून, हरिद्वार तथा मथुरा के मरीज भी शामिल थे।


डा. प्रीती शर्मा ने यह भी बताया कि हमारे देश में 10 हजार लोगों के पीछे 7 डाक्टर हैं, जो कि औसतन आधे हैं। उन्होंने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लयू एच ओ) मुताबिक भारत में 50000 क्रिटिकल केयर डाक्टरों की जरूरत है, जबकि हमारे देश में सिर्फ 8350 ऐसे सिखलाई याफ्ता डाक्टर हैं।


ग्रेशियन अस्पताल मोहाली के क्रिटिकल केयर के प्रमुख तथा सीनियर कंस्लटेंट डा. मनिंदरजीत कौर ने बताया कि लगभग सभी बड़े प्राइवेट तथा सरकारी अस्पतालों में इंटेसिव केयर यूनिट कायम किए हुए हैं। जो ध्यान से देखा जाए तो 10-20 बिस्तरों वाले यह क्रिटिकल केयर यूनिट अकसर मरीजों से भरे रहते हैं।

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सडक़ हादसों या अन्य दुर्घटनाओं का शिकार मरीजों को इन यूनिटों में दाखिल किया जाता है। उन्होंने बताया कि देश भर में सिर्फ 70 हजार आईसीयू बैड उपलब्ध हैं। आबादी के इलाज के साथ यहां 5 लाख आईसीयू बैडों की जरूरत है।


फेफड़ों तथा छाती के रोगों के माहिर डाक्टर हितेश गौड़ ने कहा कि भारत में अभी भी अस्पतालों में बिस्तरों की कमी है। हमारे देश में 10000 लोगों के पीछे सिर्फ 10 अस्पताल बैड उपलब्ध हैं, जबकि विश्व औसतन 10000 लोगों के पीछे 30 बैड हैं। उन्होंने बताया कि इस कमी को पूरा करने के लिए सभी अस्पतालों में उपलब्ध बिस्तरों में कम से कम 10 प्रतिशत आइसीयू बैड होने चाहिए।