Paras Health Introduces Panchkula’s First Robotic Surgery System with Da Vinci Xi

कैंसर की मरीज महिलाओं में 25-30 प्रतिशत ब्रेस्ट कैंसर से पीडि़त : डा. बिग्रे. राजेश्वर सिंह

भारत में हर वर्ष ब्रेस्ट कैंसर के 1.50 लाख नए मरीज: डा. राजेश्वर सिंह

पंचकूला, 10 अक्तूबर ( ): भारत में महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर में बढ़ रहे रूझान संबंधी जागरूकता पैदा करने पारस अस्पताल पंचकूला के ऑनकोलॉजी विभाग के डायरेक्टर डा. बिग्रे. राजेश्वर सिंह, सर्जीकल ऑनकोलॉजी के सीनियर कंस्लटैंट डा. राजन साहू तथा रेडियोथैरेपी के कंस्लटैंट डा. परनीत सिंह ने पत्रकारों के साथ बातचीत की। डा. राजेश्वर सिंह ने इस अवसर पर संबोधन करते हुए गत चार दशकों से भारत में गर्भाश्य कैंसर सबसे अधिक जानलेवा माना जाता था, पर अब ब्रेस्ट कैंसर इससे भी अधिक जानलेवा साबित हो रहा है। ब्रेस्ट कैंसर हर साल 21 लाख महिलाओं को अपनी गिरफ्त में ले रहा है, जबकि भारत में हर वर्ष ब्रेस्ट कैंसर के 1.5 लाख नए केस सामने आ रहे हैं।

कुछ दशक पहले ब्रेस्ट कैंसर की समस्याएं महिलाओं में 50 साल की उम्र के बाद देखने में आती थी तथा इस बीमारी से प्रभावित जवान महिलाओं की गिनती बहुत कम थी। 65 से 70 प्रतिशत महिलाएं 50 साल से अधिक उम्र की होती थी तथा 30 से 35 प्रतिशत महिलाएं 50 वर्ष से कम उम्र की होती थी, जिनको ब्रेस्ट कैंसर की समस्या थी। पर अब जवान उम्र में ब्रेस्ट कैंसर की समस्या आम हो गई है। करीब 50 प्रतिशत महिलाएं 25 से 60 वर्ष की उम्र के मध्य हैं, जो कैंसर से पीडि़त हैं। 60 प्रतिशत केस ऐसे हैं, जिनसे बचने की संभावना बहुत कम होती है तथा ज्यादातर की मौत हो रही है।

ब्रेस्ट कैंसर की बीमारी गर्भाश्य कैंसर से भी ज्यादा तथा यह नए युग की जानलेवा बीमारी: डा. राजन साहू

डा. राजन साहू ने कहा कि उत्तरी भारत में ब्रेस्ट कैंसर के 50 प्रतिशत केस 25 से 60 साल की उम्र में सामने आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि भारत में कैंसर की मरीज महिलाओं में 27 प्रतिशत ब्रेस्ट कैंसर से पीडि़त हैं। उन्होंने कहा कि यदि हम इस प्रति जागरूक न हुए तो इसकी जांच नहीं करवाते तो स्थिति और भी खराब हो जाएगी। उन्होंने बताया कि ब्रेस्ट कैंसर की स्वयं जांच तथा मैमोग्राफी इसका पता लगाने के लिए साधारण तकनीक हैं, पर यह देखने में आया है कि भारत में 75 प्रतिशत  महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर की जांच से शर्माती हैं।

8 में से एक महिला को ब्रेस्ट कैंसर का खतरा: डा. परनीत सिंह

डा. राजन साहू ने बताया कि दो प्रमुख फीमेल हारमोन एसट्रोजन तथा प्रोरीस्ट्रोन कैंसर के लिए जिम्मेदार हैं। एसट्रोजन सैलों में इजाफा करता है, जबकि प्रोरीस्ट्रोन सैलों को पक्का करने का काम करते हैं। उन्होंने बताया कि कोई भी महिला जिस में किसी बीमारी या शारीरिक क्रिया के कारण एसट्रोजन हारमोन में बहुत तेजी से इजाफा होता है, वह कैंसर प्रति अधिक जोखिम में होती है।

डा. परनीत सिंह ने कहा कि आगामी दो दशकों में भारत में कैंसर के केसों की गिनती में 70 प्रतिशत इजाफा होने का अंदेशा है। उन्होंने कहा कि भारत में कैंसर अभी भी एक बुराई समझी जा रही हैं तथा ब्रेस्ट कैंसर से पीडि़त महिलाएं अपने परिवार में इस के बारे खुलकर बात नहीं करती। उन्होंने कहा कि कैंसर के लिए हमें समाज के रवैये के कारण कैंसर के मरीज अपनी बीमारी के बारे खुलकर बात नहीं करते तथा डर का यह चक्कर ही प्राथमिक पड़ाव तथा कैंसर की जांच में अड़चन बना हुआ है। यही कारण है कि भारत में इस बीमारी की जांच में देरी हो जाती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार हमारे देश में 60 प्रतिशत केसों में जांच तब होती है, जब कैंसर तीसरी या चौथी स्टेज पर पहुंच चुका होता है। इस कारण कैंसर के मरीजों के बचाव तथा बीमारी के इलाज की संभावना कम हो जाती है।

बच्चे को ब्रेस्ट फीड से कम हो सकता है ब्रेस्ट का कैंसर: डा. राजन साहू


पारस अस्पताल के पंचकूला के प्रमुख आशीष चड्ढा ने बताया कि पारस अस्पताल करनाल, अंबाला, यमुनानगर, पटियाला में हर माह कैंसर क्लीनिक चला रहा है, जहां माहिर डाक्टर कैंसर के प्रति अपनी राय देंगे। उन्होंने यह भी बताया कि पारस अस्पताल अब हिमाचल सरकार, सीजीएचएस अन्य कई विभागोंं के पैनल पर है।

Watch This Video Till End….

0 replies

Leave a Reply

Want to join the discussion?
Feel free to contribute!

Leave a Reply