*MC Chandigarh takes action against encroachments in Sector 15 Patel Market*

कृषि विभाग के महानिदेशक डा. हरदीप सिंह ने गुलाबी सुंडी के प्रबंध को लेकर वीसी के माध्यम से ली कृषि अधिकारियों व जिनिंग मिलों के मालिकों की बैठक

सिरसा, 25 मार्च।

For Detailed News


प्रदेश के कपास उत्पादक जिलों के कृषि अधिकारियों व जिनिंग मिलों के मालिकों के साथ गुलाबी सुंडी के प्रबंध को लेकर वीडियो कॉफ्रेंस के माध्यम से बैठक का आयोजन किया गया। बैठक की अध्यक्षता कृषि तथा किसान कल्याण विभाग के महानिदेशक डा. हरदीप सिंह ने की।


महानिदेशक डा. हरदीप सिंह ने सभी जिनिंग मालिकों को निर्देश दिए कि अपनी फैक्ट्री/मिलों में उपलब्ध कपास को ढक कर रखें तथा समय-समय पर कपास में फयूमीगेशन करते रहे। इसके साथ-साथ सभी उप कृषि निदेशक समय-समय पर अपने क्षेत्र में जिनिंग मिलों के साथ-साथ तेल मिलों का निरीक्षण भी करते रहे और विभाग के अन्य अधिकारी फिल्ड में जाकर किसानों को जागरूक करें कि कपास की लकडिय़ों को झाड़कर किसी अन्य स्थान पर रखें व बचे हुए अवशेषों को नष्ट कर दें ताकि गुलाबी सुंडी के प्रकोप से कपास फसल में नुकसान हो।


उन्होंने बताया कि इस वर्ष देसी कपास के क्षेत्र को बढ़ाने के लिए किसानों को तीन हजार रुपये प्रति एकड़ व समेकित कीट प्रबंधन एंव एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन के लिए एक हजार रुपये प्रति एकड़ अनुदान देने का प्रावधान किया है। कृषि विभाग के अधिकारी किसानों को विभाग के पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन करने बारे जागरूक करें ताकि देसी कपास के क्षेत्र को बढ़ाया जा सके। इसके अतिरिक्त किसानों को कपास का बीज अच्छी गुणवत्ता का बीज प्राप्त हो सके इसके लिए केंद्रीय कपास अनुसंधान संस्थान, सिरसा को एक प्रोजेक्ट बनाने बारे भी निर्देश दिए, जिसमें हरियाणा की विभिन्न मंडियों से बीटी कपास के सैंपल लेकर उनमें से रैंडम आधार पर चुनाव उपरांत एक-एक हाईब्रिड का अपने संस्थान के फिल्ड में प्रदर्शन प्लाट लगाएं जाए ताकि उसकी गुणवत्ता के साथ-साथ उत्पादकता की जांच हो सके।

https://propertyliquid.com/


केंद्रीय कपास अनुसंधान संस्थान सिरसा के अध्यक्ष डा. एसके वर्मा ने बताया कि पिछले वर्ष जिन क्षेत्रों में गुलाबी सुंडी के प्रकोप से कपास की फसल को नुकसान हुआ था। उन खेतों में रखी हुई कपास की लकडिय़ों में अधखिले टिंडों में गुलाबी सुंडी के लार्वा उपस्थित हैं जिसे नष्ट किया जाना अतिआवश्यक है। उन्होंने जिला के किसानों से आह्वïान किया कि कपास की लकडिय़ों को झाड़कर किसी अन्य स्थान पर ले जाएं व बचे हुए अवशेष को नष्ट कर दें ताकि भविष्य में कपास की फसल में गुलाबी सुंडी से होने वाले नुकसान से बचाया जा सके।