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कपास उत्पादन के लिए विकसित तकनीकों को अपनाएं किसान : डा. वाईजी प्रसाद

केंद्रीय कपास अनुसंधान संस्थान क्षेत्रीय स्टेशन में एक दिवसीय कपास मेला एवं प्रशिक्षण शिविर का आयोजन


सिरसा, 26 फरवरी।

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    केंद्रीय कपास अनुसंधान संस्थान, क्षेत्रीय स्टेशन में शनिवार को एक दिवसीय कपास मेला एवं प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। मेले में केंद्रीय कपास अनुसंधान संस्थान, नागपुर के निदेशक डा. वाईजी प्रसाद ने बतौर मुख्यअतिथि शिरकत की। कार्यक्रम का संचालन केंद्रीय कपास अनुसंधान संस्थान, क्षेत्रीय स्टेशन सिरसा केे अध्यक्ष डा. एसके वर्मा ने किया। इस मेले में अखिल भारतीय कपास अनुसंधान परियोजना (कपास) के परियोजना समन्वयक डा. एएच प्रकाश, कृषि (कपास) सिरसा के संयुक्त निदेशक डा. आरपी सिहाग, उप निदेशक उद्यान, उप निदेशक पशुपालन सिरसा व जिला मछलीपालन अधिकारी ने भाग लिया।
डा. एसके वर्मा ने सभी प्रतिभागियों व किसानों का स्वागत किया तथा उत्तरी भारत में कपास उत्पादन की सामान्य जानकारी दी। उन्होंने उत्तरी भारत में कपास से संबंधित समस्याओं के बारे में अवगत करवाया तथा उचित तकनीकी अपनाकर अधिक उत्पादन करने के लिए प्रेरित किया।


मुख्य अतिथि  डा. वाईजी प्रसाद ने सभी प्रतिभागी किसानों को कपास उत्पादन में आने वाली मुख्य समस्या व कपास उत्पादन की सामान्य जानकारी दी और कपास उत्पादन के लिए संस्थान द्वारा विकसित तकनीकों को अपनाने के लिए प्रेरित किया। अखिल भारतीय कपास अनुसंधान परियोजना (कपास) के परियोजना समन्वयक डा. एएच प्रकाश ने किसानों को कपास उत्पादन में आने वाली मुख्य समस्या तथा अखिल भारतीय कपास अनुसंधान परियोजना (कपास) के तहत किये जाने वाले कार्यों के बारे में विस्तृत रुप से बताया। कृषि (कपास) सिरसा के संयुक्त निदेशक डा. आरपी सिहाग ने किसानों को सिरसा जिले में कपास उत्पादन व विभाग द्वारा कपास उत्पादन को बढ़ाने के लिए चलाये जा रहे विभिन्न प्रचार-प्रसार कार्यक्रमों व कृषि विभाग की स्कीमों के बारे में अवगत करवाया।
प्रधान वैज्ञानिक (कीट विज्ञान) डा. ऋषि कुमार ने कपास की फसल में लगने वाले कीटों खास कर गुलाबी सुण्डी के जीवन चक्र की पहचान व उनके प्रबन्धन के बारे में बताया। इसके साथ-साथ कपास की फसल में किसान मित्र कीटों की पहचान व उनके लाभ बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जो किसान कपास की फसल कपास जिनिंग मील, कपास से तेल निकालने वाली मीलों के आस-पास व जिन किसानों ने कपास की लकडिय़ों के ढेर अपने खेत में लगा रखें हैं, उनको गुलाबी सुण्डी के प्रकोप के प्रति जागरूक रहना बहुत जरूरी है।

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प्रधान वैज्ञानिक डा. सतीश सैन ने कपास की फसल में लगने वाले रोगों की पहचान व उनके प्रबंधन तथा डा. अमरप्रीत सिंह, वरिष्ठ वैज्ञानिक ने कपास उत्पादन के लिए नवीनतम तकनीकों जैसे-किस्म का चुनाव, बिजाई का समय, खाद एवं उर्वरक, सिंचाई व खरपतवार नियंत्रण के बारे में बताया। वैज्ञानिक डा. देबाशीष पॉल ने कपास की फसल का उच्च गुणवता के बीज उत्पादन के बारे में विस्तृत जानकारी दी।
जिला उद्यान अधिकारी डा. रघुवीर झोरड़ ने कृषि विभिन्नता व किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए कृषि के साथ-साथ उद्यानिकी फसलों को लगाने के लिए किसानों को प्रेरित किया। पशुपालन विभाग से पशु शल्य चिकित्सक डा. ललीत मोहन शर्मा ने कृषि विभिन्नता व किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए कृषि के साथ-साथ सहायक धंधें के तौर पर पशुपालन व डेयरी व्यवसाय को अपनानेे के लिए किसानों को प्रेरित किया। जिला मछली पालन विभाग से डा. बृज मोहन शर्मा सिरसा कृषि विभिन्नता व किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए कृषि के साथ-साथ मछलीपालन व झींगा व्यवसाय को अपनानेे के लिए किसानों को प्रेरित किया। इफको सिरसा के जीएम डा. बहादुर सिंह गोदारा ने किसानों को नैनो यूरिया के बारे में जानकारी दी।