अमृत महोत्सव: दास्तान-ए-अंबाला नाटक का शानदार मंचन, युवाओं ने देश भक्तों को किया नमन
– गुमनाम नायकों के त्याग व बलिदान की गौरवगाथा देख युवा हुए भावुक, तालियों से गूंजा सभागार
सूचना, जनसंपर्क, भाषा एवं संस्कृति विभाग की ओर से शुक्रवार को देर सांय स्थानीय जेसीडी सिरसा के अब्दुल कलाम सभागार में आजादी का अमृत महोत्सव के तहत दास्तान-ए-अंबाला नाटक का मंचन किया गया। इस नाटक के दौरान आजादी के गुमनाम नायकों के त्याग व बलिदान की गौरवगाथा देख युवाओं ने भावुक पूर्ण माहौल में जोश के साथ कलाकारों का जोरदान तालियां बजाकर अभिनंदन किया। इस अवसर पर जेसीडी के एमडी कुलदीप सिंह ने बतौर मुख्यअतिथि शिरकत की।
नाटक में दिखाया की अंबाला की रानी दया कौर को जब रणजीत सिंह और डलहौजी से खतरा हुआ तो दया कौर ने हिंदुस्तान की पहली महिला फौज बनाई। अंग्रेजों ने यहां के लोगों को अपना गुलाम बनाने के लिए यहां पर व्यापार खत्म कर दिया। नाटक में उस समय की तवायफों के योगदान को भी दिखाया। उस समय की मशहूर तवायफ हीरा बाई किस तरह अंग्रेजों से भिड़ी और राज उगलवाए यह सब इस नाटक में दिखाया गया।
नाटक शुरू होता है आज के अंबाला से और अंबाला की खासियत जैसे मिक्सी, वैज्ञानिक उपकरण, पंजीकरण साहब गुरुद्वारा, सैंट पॉल चर्च का जिक्र होते होते 1857 से जुड़ जाता है नाटक। नाटक के जरिए बताया गया कि शिमला से लेकर सहारनपुर तक अंबाला होता था। अंग्रेजों ने अंबाला को बफर जोन बनाया और इसे ही अपनी छावनी बनाया। अंग्रेजों ने बहुत सोची समझी रणनीति के तहत अंबाला में अपना डेरा डाला।
नाटक का निर्देशन देश के मशहूर रंगकर्मी मनीष जोशी ने किया, वहीं नृत्य संरचना रखी दूबे और सैंडी नागर ने की। संगीत श्रीधर नागराज, मेकअप अतुल खुंगर, सह निर्देशन स्नेह बिश्नोई ने किया। कलाकारों में अक्लव्य, दिनेश सैनी, रमन, अभिषेक, रजत, अमित, संजय बिश्नोई, युक्ति, वैष्णवी, गीता चौहान, लोकेश के साथ लगभग 40 कलाकार मंच पर थे।