जीवन में आगे बढने की प्रेरणा देती है गीता : उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला
सिरसा, 8 दिसंबर।
उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा कि गीता एक ऐसा पावन ग्रंथ है जिसकी नींव हरियाणा की पावन धरा पर रखी गई है। उन्होंने कहा कि जब हम भगवान श्री कृष्ण की बात करते हैं तो गीता की बात अपने आप जा जाती है। हमें गीता को अपने जीवन में प्रेरणा के साथ उतारने का काम करना चाहिए। जिनता ज्यादा इस ग्रंथ को हम समझते हैं उनती ही अधिक हमें खुशहाली व प्रगति मिलती है। उन्होंने कहा कि हरियाणा का मतलब ही हरी का आना है। उन्होंने कहा कि ज्ञान हमेशा बांटने से बढता है न की रखने से और गीता हमें जीवन में आगे बढने की प्रेरणा देती है। इस महोत्सव से हमें संकल्प लेना चाहिए कि इस पावन ग्रंथ को जीवन में उतारने का काम करें।
उपमुख्यमंत्री रविवार को जिला स्तरीय गीता जयंती महोत्सव के अंतिम दिन स्थानीय चौ. देवीलाल विश्वविद्यालय के मल्टीपर्पज हॉल में मुख्यअतिथि के रुप में शिरकत करते हुए कार्यक्रम का शुभारंभ करने उपरांत उपस्थितगण को संबोधित करते हुए कही। इससे पूर्व मुख्यअतिथि ने रिबन काट का विभिन्न विभागों व सामाजिक-धार्मिक संस्थाओं द्वारा लगाई गई प्रदर्शनी का उदï्घाटन तथा बारीकी से अवलोकन किया। इसके उपरांत मुख्यअतिथि ने दीप प्रज्जवलित कर जिला स्तरीय गीता जयंती महोत्सव का शुभारंभ किया। इस अवसर पर उपायुक्त अशोक कुमार गर्ग, पूर्व विधायक कृष्ण कंबोज, जजपा शहरी प्रधान रोहित गनेरीवाला, विभिन्न सामाजिक व धार्मिक संस्थाओं के प्रतिनिधि व गणमान्य लोग उपस्थित थे।
अपने संबोधन में उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा कि गीता विश्व में सर्वाधिक पढ़ा जाने वाला ग्रंथ है, किंतु गीता को गहराई से समझने की आवश्यकता है। गीता हमें शास्त्र और शस्त्र का मर्यादित तथा अनुशासित प्रयोग सिखाती है। गीता ग्रंथ में भगवान श्रीकृष्ण ने जीवन की तमाम परेशानियों और समस्याओं के समाधान का मूल मंत्र मानव मात्र को दिया है। उन्होंने कहा कि हम गीता ग्रंथ का अध्ययन करें तो हमें जीवन की तमाम समस्याओं का समाधान इसके माध्यम से प्राप्त हो सकता है। हर व्यक्ति के लिए जीवन में गीता का ज्ञान प्राप्त करना बहुत जरूरी है। आमजन तक गीता ज्ञान को पहुंचाने के लिए वर्तमान प्रदेश सरकार ने इसे अंतर्राष्टï्रीय स्वरूप प्रदान किया है। उन्होंने बच्चों ने आह्वïान किया कि वे इसी आयु से गीता का अध्ययन और मनन करना शुरू करें। जीवन में अच्छी आदतों का विकास और अगली पीढ़ी में इनका स्थानांतरण गीता मनन से संभव हो सकता है। भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को ही नहीं पूरी मानवता को कर्म करने का संदेश दिया। यह भारत की समृद्घि का प्रतीक है और गीता के उपदेश हर समय और हर काम के लिए प्रासंगिक है। यह ग्रंथ केवल धर्मग्रंथ ही नहीं है अपितु जीवन जीने की शैली है, इससे प्रेरणा लेनी चाहिए।
उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा कि गीता महोत्सव से सभी युवा पीढ़ी को प्रेरणा लेकर संस्कारमयी शिक्षा लेनी चाहिए ताकि भविष्य में सभी सत्य के मार्ग पर चलते हुए सभ्य समाज की स्थापना कर सके। सभी को गीता के सिद्घांतों को अपने जीवन में अपनाना चाहिए। गीता जीवन के लिए एक पे्ररणा स्त्रोत है, जिसका अनुसरण करके इंसान भली प्रकार से अपना जीवन यापन कर सकता है। गीता का सार है कि कर्म करो, फल की इच्छा मत रखो। भगवान श्रीकृष्ण ने गीता का अमर संदेश देकर समस्त मानव जाति को जीवन जीने की राह दी है।
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि गीता से कर्म करने की शिक्षा मिलती है। गीता हमें बताती है कि हमें अपने कर्मों के अनुरूप ही फल मिलता है। उन्होने कहा कि प्रदेश सरकार का प्रयास है कि गीता ज्ञान को घर-घर तक पहुंचाया जाए। इसी उद्देश्य से प्रदेशभर में गीता महोत्सवों का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि गीता बच्चों में संस्कार भरती है, जो उनके जीवन निर्माण का कार्य करते हैं। गीता इंसान को संस्कारवान बनाती है। गीता प्रत्येक आयु व हर वर्ग के लिए है। गीता को जितनी बार पढ़ा जाए, उतनी बार ही बार यह नवीन नजर आती है। उन्होंने कहा कि यह हमारा सौभाग्य है कि गीता का संदेश कुरूक्षेत्र की भूमि से दिया गया है, जो पूरे विश्व में गया है। गीता इंसान को आत्मसात करवाती है।
जिला प्रशासन की ओर से मुख्यातिथि का स्वागत करते हुए एसडीएम जयवीर यादव ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण द्वारा कुरुक्षेत्र की पावन धरा पर दिया गया गीता का संदेश मानव मात्र को निष्काम कर्म की ओर प्रवृत करता है। गीता केवल एक गं्रथ न होकर संपूर्ण जीवन दर्शन है। इसका संदेश न केवल जीवन के विकारों को दूर करती है बल्कि रोजमर्रा की भागदौड़ भरे जीवन को सुगम बनाने का रास्ता भी सुझाती है। गीता में मानव जीवन की सभी शंकाओं का समाधान भी मिलता है।
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