अखिलेश-मायावती के गठबंधन के बावजूद, नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता बरकरार

उत्तर प्रदेश: लोकसभा चुनाव की बढ़ती सरगर्मी के बीच सबकी निगाहें उत्तर प्रदेश पर हैं। करीब 23 करोड़ की आबादी वाले इस राज्य में लोकसभा की 80 सीटें हैं। जाहिर तौर पर यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा और विपक्षी महागठबंधन, दोनों के लिए ‘जय या क्षय’ तय करने वाला राज्य है। भाजपा से बढ़ रही नाराजगी के बावजूद राज्य में नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता कायम है। जबकि चुनाव पूर्ण गठबंधन से बसपा-सपा खासा उत्साहित हैं। प्रियंका गांधी के राजनीति में औपचारिक रूप से आने के बाद कांग्रेस भी काफी उत्साह से भरी है। हालांकि फिलहाल कोई भी भविष्यवाणी करना कठिन होगा।

2014 में भाजपा ने उत्तर प्रदेश की 80 संसदीय सीटों में से 71 पर जीत हासिल की थी। जबकि उसके गठबंधन सहयोगी अपना दल को दो अन्य सीटें मिली थीं। बीते लोकसभा चुनाव में भाजपा को जितनी सीटें हासिल हुई थीं उसका 25 फीसदी उत्तर प्रदेश से ही था। लेकिन 2019 के आम चुनाव में भाजपा के सामने उत्तर प्रदेश में अपनी पिछली कामयाबी दोहराने की बड़ी चुनौती होगी। अगर वह अपना पिछला आंकड़ा हासिल नहीं करेगी तो उसे बहुमत हासिल करने के लिए संघर्ष करना होगा। 

भाजपा को उम्मीद है कि वह पूर्वोत्तर समेत उन स्थानों पर नई सीटें जीतेगी, जहां वह हाल में एक खिलाड़ी के रूप में उभरी है। इसके बावजूद अगर उत्तर प्रदेश में सीटों का नुकसान होता है तो उसकी भरपाई करना असंभव भले न हो, मुश्किल होगा। राज्य में बसपा और सपा ने चुनावी गठबंधन बना लिया है, जो बीते दो दशक से राज्य की सत्ता के लिए आपस में तीखा संघर्ष करती हैं। भाजपा ने 2017 के विधानसभा चुनाव में उन दोनों को हरा दिया था, लेकिन मार्च 2018 में बसपा और सपा की करीबी ने रंग दिखाया, जब उन्होंने उपचुनाव में गोरखपुर और फूलपुर की संसदीय सीटें भाजपा से छीन लीं।

एकतरफ भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह ने इन चुनावों को पानीपत की तीसरी लड़ाई जैसा बताया तो दूसरी तरफ सपा और बसपा के बीच रिश्तों में दशकों पुराने खटास की खाई खत्म होती नजर आई। यह गठबंधन यूपी की सियासत में विपरीत पाटों पर खड़े दो ऐसे दलों का गठबंधन है, इसके पहले 1990 के दशक में ही यह संयोग बना था जब यूपी की राजनीति में सपा-बसपा एकदूसरे के करीब आए थे। लेकिन लखनऊ के गेस्ट हाउस कांड ने इन दोनों दलों के बीच खाई इतनी चौड़ी कर दी कि इसे भर पाना असंभव नजर आने लगा था।

2019 में बसपा और सपा 38-38 सीट पर चुनाव लड़ेंगी। उन्होंने दो सीट कांग्रेस के लिए और दो सीट राष्ट्रीय लोकदल के लिए छोड़ी है। हालांकि अभी कोई भविष्यवाणी करना कठिन है, जानकारों का अनुमान है कि बसपा-सपा महागठबंधन भाजपा की आधी सीटें झटक सकता है। कांग्रेस ने संकेत दिए हैं कि वह उत्तर प्रदेश में अपने बूते चुनाव लड़ेगी। उसने प्रियंका गांधी को महसचिव बनाकर अपने इरादे और स्पष्ट कर दिए हैं। प्रियंका का आना निश्चय ही यह एक अहम कारक रहेगा। तीसरी चीज यह है कि भाजपा से नाराजगी के बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता अभी कायम है।

इस बार चुनाव में तीन मसले अहम होंगे : मतदाताओं का रुझान, हिंदू मतदाताओं का ध्रुवीकरण और अर्थव्यवस्था को लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में बेचैनी। 2014 में भाजपा ने यह समीकरण बखूबी साधा था। 

उत्साह बढ़ाए रखने की जरूरत
2019 में भाजपा की सफलता इस पर निर्भर करेगी कि वह अपने समर्थकों को प्रेरित कर पाती है या नहीं और कितने मतदाता मतदान केंद्र तक पहुंचते हैं। देखा गया है कि जिन क्षेत्रों में अधिक मतदान हुए, खासकर महिला मतदाताएं वोट देने निकलीं वहां भाजपा का प्रदर्शन अच्छा रहा। युवा मतदाताओं से भी उसे काफी मदद मिली।

ग्रामीणों की बदहाली 
उत्तर प्रदेश की 78 फीसदी आबादी ग्रामीण है। यह भाजपा के लिए मुश्किल खड़ी कर सकती है। जानकारों की मानें तो यह किसानों की नाराजगी ही थी जिसके कारण राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की सत्ता से भाजपा को बेदखल होना पड़ा। यह मसला उत्तर प्रदेश में भी अहम है।

पीएम मोदी: देश लूटने वालों को डरना ही होगा




नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को लोकसभा में विपक्ष पर जमकर हमले किए। उन्होंने अपने भाषण में रोजगार से लेकर राफेल डील तक तमाम मुद्दों पर विपक्ष के हमलों का जवाब दिया। भ्रष्टाचार पर अपनी सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने दो टूक कहा कि देश को लूटने वालों को मोदी डराकर रखेगा, उन्हें डरना ही होगा। नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में राष्ट्रपति के बजट अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव का जवाब देते हुए कहा पूरे सदन को धन्यवाद दिया। आगामी चुनावों में सभी दलों को शुभकामनाएं देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि चुनौतियों को चुनौती देने वाले ही आगे बढ़ते हैं। उन्होंने विपक्ष पर वार करते हुए कहा कि महामिलावट वाली सरकार दिल्ली नहीं पहुंच पाएगी

मोदी ने यह साफ कर दिया है कि जांच न सिर्फ चलती रहेगी बल्कि चुनाव में भी भ्रष्टाचार बड़ा मुद्दा रहेगा। अवसर तो था राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव का, लेकिन लगभग पौने दो घंटे के जवाब में प्रधानमंत्री ने एक तरह से चुनावी शंखनाद ही कर दिया।

पीएम मोदी ने कांग्रेस पर बोला हमला- कहा, जिन्होंने देश को लूटा है उन्हें डरना ही होगा। जनता ने मुझे इसी काम के लिए यहां बैठाया है।

सदन में दिन भर चली चर्चा में खासतौर से कांग्रेस की ओर से बार-बार यह याद दिलाया गया कि सरकार विपक्ष को डरा रही है। जाहिर तौर पर इशारा राबर्ट वाड्रा के खिलाफ चल रही जांच की ओर भी था। ऐसे में प्रधानमंत्री ने भाषण की शुरूआत भी भ्रष्टाचार से ही और अंत भी। उन्होंने कहा- ‘जो देश लूट रहे है, गरीबों का पैसा लूट रहे हैं उन्हें डरना ही होगा, कोई नहीं बचेगा। हमारी सरकार की पहचान ही है भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई और पारदर्शिता।’ उन्होंने कहा कि कांग्रेस शासन मे एक भी रक्षा सौदा बिचौलियों के बिना नहीं हुआ। और अब जब राजदार पकड़े जा रहे हैं तो उनके चेहरे मुरझाए हुए हैं क्योंकि पकड़े जाने का डर सता रहा है। और इस बौखलाहट में सरकार पर आरोप लगाए जा रहे हैं, लेकिन इसमें कोई सुस्ती नहीं आएगी। 

मोदी ने कहा कि लोगों ने उस काम को देखा है जिसकों पूर्ण बहुमत वाली सरकार कर सकती है। उन्होने हमारा काम देखा है। वे उन लोगों की महामिलावट सरकार नहीं चाहते जो हाल ही में कोलकाता में इकठ्ठा हुए हैं।  उन्होने कहा कि मिलावटी सरकार के कारनामे तो देख चुके हैं, मगर अब तो महामिलावट की तैयारी की जा रही है।

हमारी सरकार देश के लोगों के अच्छे स्वास्थ्य और भलाई के लिए काम कर रही है। हार्ट स्टेंट, घुटने की सर्जरी और दवाओं की कीमतें लगातार कम हो रही हैं, जिससे गरीब से गरीब व्यक्ति की मदद हो रही है। 

जो कहते हैं कि ये अमीरों की सरकार है, तो मैं कहता हूं कि देश के गरीब ही मेरे अमीर हैं। गरीब ही मेरा इमान है, वही मेरी जिंदगी हैं, उन्ही के लिए जीता हूं, उन्हीं के लिए यहां आया हूं।

शासन सचिवालय की डिसपेंसरी के निरीक्षण में गैर-हाजिर मिले 6 कार्मिक

जयपुर: विशिष्ट शासन सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य एवं मिशन निदेशक एनएचएम डाॅ.समित शर्मा ने बुधवार सुबह 9 बजकर 40 मिनट पर सचिवालय परिसर स्थित राजकीय डिसपेंसरी का निरीक्षण किया। आकस्मिक किये गये इस निरीक्षण में 6 स्वास्थ्य कार्मिक गैर-हाजिर मिले और बायोमेट्रिक एटेन्डेंस मशीन सहित दो महत्वपूर्ण मशीने भी खराब मिलीं। डाॅ. शर्मा ने इसे गंभीरता से लिया और गैर-हाजिर मिले 6 कार्मिकों सहित डिसपेंसरी के संबंधित अधिकारियों के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही करने के निर्देश दिये।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी जयपुर-प्रथम डाॅ. नरोत्तम शर्मा ने संबंधित कार्मिकों को नोटिस जारी कर कार्यवाही प्रारंभ कर दी है।

मिशन निदेशक ने बताया कि प्रदेश के समस्त स्वास्थ्य केन्द्रों एवं कार्यालयों के निर्धारित समय पर खुलने एवं सेवाएं शुरू करने के निर्देश जारी किये गये हैं और इस अनुशासन के पालन में लापरवाही बरतने वालों के विरूद्ध सख्त अनुशासनात्मक कार्यवाही की जा रही है। उन्होंने बताया कि सचिवालय स्थित राजकीय डिसपेंसरी के खुलने का समय सर्दियों में प्रातः साढ़े 9 बजे से हैं वाबजूद इसके बुधवार को उनके द्वारा इस डिसपेंसरी में प्रातः 9.40 बजे किये औचक निरीक्षण में नर्स ग्रेड प्रथम, दो फार्मासिस्ट, रेडियोग्राफर, एएनएम एवं वार्ड बाॅय अनुपस्थित मिले।

उन्होंने बताया कि वहां उपस्थित कार्मिकों ने निर्धारित गणवेश भी नहीं पहनी थी और साढ़े 9 बजे से तो डिसपेंसरी में साफ-सफाई शुरू होना चिंतनीय है। 
डाॅ. समित ने बताया कि सचिवालय डिसपेंसरी में उपलब्ध बायोमेट्रिक एटेन्सडेंस मशीन, सेमी आॅटोऐनेलाइजर व रेफ्रिजरेटर जैसी महत्वपूर्ण मशीने भी खराब पायी गयी हैं जिन्हें शीघ्र मरम्मत करवाकर उपयोग करने के निर्देश दिये गये हैं।

नोएडा के सेक्टर 12 में मेट्रो हॉस्पिटल में लगी आग

नोएडा के सेक्टर 12 स्थित एक निजी अस्पताल के दूसरी मंजिल पर गुरुवार दोपहर भयंकर आग लग गई।

कई लोग अभी भी हॉ़स्पिटल में फंसे हुए हैं। मरीजों को निकालने का प्रयास किया जा रहा है। लोगों ने बिल्डिंग का शीशा भी तोड़ा ताकि बिल्डिंग में धुआं न भरे। आग लगने के कारणों का पता नहीं चल पाया है। दमकल की गाड़ियां मौके पर पहुंची हैं। बचाव कार्य जारी है। हालांकि घटना में अभी तक किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है।

मुख्य दमकल अधिकारी अरुण कुमार सिंह ने बताया कि गुरुवार दोपहर करीब 12 बजे विभाग को सेक्टर 12 स्थित मेट्रो अस्पताल में आग लगने की सूचना मिली। तुरंत आठ दमकल गाड़ियों को मौके पर भेजा गया।

उन्होंने बताया कि आग अस्पताल की इमारत की दूसरी मंजिल पर लगी है। अभी तक आग लगने के कारणों का पता नहीं चल पाया है। सिंह ने बताया कि हादसे में अभी तक किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है। दमकलकर्मी लगातार आग पर काबू पाने का प्रयास कर रहे हैं।

चंडीगढ़ और पंजाब-हरियाणा में जोरदार बारिश के साथ ओलावृष्टि हुई

चंडीगढ़ और पंजाब-हरियाणा में जोरदार बारिश के साथ ओलावृष्टि हुई। पंजाब के कई इलाकों से ओलावृष्टि की खबर है। बारिश से जहां आम जनजीवन अस्त-व्यस्त है वहीं किसानों के चेहरे पर सिकन बढ़ गई है। मौसम वैज्ञानिकों की माने तो एक-दो दिन और मौसम ऐसा ही बना रह सकता है। पंजाब और चंडीगढ़ में सुबह से ही अंधेर छा गया और तेज बारिश शुरू हो गई। पंजाब के फिरोजपुर और लुधियाना में ओलावृष्टि की खबर है।हरियाणा के कैथल में भी ओले पड़े। ओलो के साथ हुई बारिश ने ठंड बढ़ा दी है।

लोन हो सकता है सस्ता, RBI ने रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट में की कटौती

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने गुरुवार को रेपो रेट, रिवर्स रेपो रेट की ब्याज दरें तय कर दी है। रेपो रेट में कटौती से बैंकों के लिए रिजर्व बैंक से कर्ज लेना सस्ता हो जाएगा. बैंक इसका फायदा होम लोन और पर्सनल लोन ग्राहकों को दे सकते हैं. अगर बैंकों ने इसका फायदा ग्राहकों को दिया तो होम लोन की ईएमआई सस्ती हो सकती है. दिसंबर 2018 में अपनी मौद्रिक नीति समीक्षा में रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों को नहीं बदला था, लेकिन उसने कहा था कि अगर महंगाई दरें नहीं बढ़तीं तो वह रेपो रेट में कटौती कर सकता है ।

आरबीआई ने ब्याज दरों में कटौती की है। रिवर्स रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती की गई है।   रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट की ब्याज दरों को कम किया है। मौद्रिक समीक्षा नीति ने बैठक के बाद ऐलान किया कि आरबीआई ने रेपो रेट 6.5 से घटाकर 6.25 प्रतिशत कर दिया। 

वहीं दूसरी तरफ आरबीआई ने रिवर्स रेपो रेट भी घटाकर 6.00 प्रतिशत कर दिया। रेपो रेट में कटौती होने से आम आदमी को राहत मिलेगी। क्योंकि ईएमआई देने वालों को ब्याज कम देना होगा। 

आरबीआई गर्वनर शक्तिकांत दास ने बैठक के बाद कहा कि 2019-20 में जीडीपी 7.4 रहने का अनुमान है। आगे कहा कि वहीं अभी के हिसाब से 2019-20 की पहली छमाही में मुद्रास्फीति की दर 3.2-3.4 फीसदी और 2019-20 की तीसरी तिमाही में 3.9 फीसदी हो सकती है। 

असंगठित क्षेत्र के कामगारों का जल्द बनेगा पेंशन कार्ड

नई दिल्ली: वित्त मंत्री पीयूष गोयल के बजट में असंगठित क्षेत्र के कामगारों के लिए पेंशन के ऐलान के बाद से वित्त मंत्रालय और श्रम मंत्रालय के अधिकारियों ने मिलकर योजना की रूपरेखा तैयार करनी शुरू कर दी है।

सूत्रों के जरिए मिली शुरुआती जानकारी के मुताबिक, सरकार इन कामगारों के लिए एक पेंशन रजिस्ट्रेशन नंबर वाला कार्ड जारी कर सकती है। इसके जरिये न सिर्फ उनके पेंशन का रजिस्ट्रेशन हो जाएगा, बल्कि दूसरी उस कैटेगरी की दूसरी सुविधाएं जैसे स्वाथ्य बीमा जैसी चीजें भी मिल जाया करेंगी।


मामले से जुड़े वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पेंशन योजना का फायदा लेने वाले व्यक्ति के पास एक बैंक अकाउंट होना जरूरी होगा। साथ ही उस बैंक अकाउंट का पिछले 3 महीने का स्टेटमेंट भी देना होगा। पेंशन के लिए रजिस्ट्रेशन कराने का जिम्मा लाइफ इंश्योरेंश कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के कंधों पर डालने की योजना है। हालांकि देशभर में एक साथ इस योजना लागू करने के दौरान शुरुआती दिनों में सभी बैंक शाखाओं और पोस्ट पेमेंट बैंक के काउंटर्स की भी मदद ली जा सकती है।

योजना का फायदा कोई अपात्र व्यक्ति न उठा ले इसके लिए भी सरकार बाकायदा व्यवस्था बना रही है। कामगार के जरिये सेल्फ डिक्लेरेशन में दी गई जानकारी गलत पाए जाने पर उसका अकाउंट तुरंत रद्द कर दिया जाएगा। ऐसा करने वालों के खिलाफधोखाधड़ी की धाराओं के तहत कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

अकाउंट में दोहरीकरण से रोकने और सुरक्षा के लिहाज से मजबूत बनाने के मकसद से उस अकाउंट को आधार से भी जोड़ा जाएगा। इसी अकाउंट में व्यक्ति अपना योगदान देगा और उसी अनुपात में सरकार का भी योगदान रहेगा। स्कीम के अनुसार 18 वर्ष के कामगार को 55 रुपये महीने और 29 साल के व्यक्ति को 100 रुपये महीने की राशि जमा करनी होगी। इतनी ही राशि उसके खाते में सरकार की तरफ से आएगी। व्यक्ति के 60 साल के होने के बाद 3000 रुपये मासिक पेशन मिलेगी। बाकी उम्र के लोगों के लिए उसी अनुपात में रकम घट या बढ़ सकती है।

हालांकि अभी इस योजना में अभी मंथन का दौर पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है। सरकार अभी इस बारे में किसी नतीजे पर नहीं पहुंची है कि यदि व्यक्ति कुछ महीने अपना योगदान देने की स्थिति में नहीं रहता है तो उसकी पेंशन का क्या होगा और अकाउंट किन हालातों में चालू रखा जा सकेगा। रेहड़ी-पटरी वाले, रिक्शा चालक, घर बनाने वाले मजदूर, कूड़ा बिनने वाले, कृषि कामगार, बीड़ी बनाने वाले, हथकरघा कामगार, चमड़ा कामगार जैसे अनेक कामों में लगे हुए लोगों को इसका फायदा दिया जाएगा।

चंडीगढ़ में स्पोर्ट्स यूटिलिटी व्हीकल्स और कारों का पंजीकरण बढ़ रहा है

चंडीगढ़ चंडीगढ़ में स्पोर्ट्स यूटिलिटी व्हीकल्स और कारों का पंजीकरण हर साल 2018 में पंजीकृत होने के साथ 17,293 बढ़ रहा है, जबकि 2016 और 2017 में यह आंकड़े क्रमशः 15,911 और 16,835 थे। ये आंकड़े सोमवार को चंडीगढ़ पुलिस द्वारा जारी रोड क्रेश्स -2018 की एक रिपोर्ट का हिस्सा थे।

पंजीकरण और लाइसेंसिंग प्राधिकरण (आरएलए), चंडीगढ़ द्वारा प्रदान किए गए आंकड़े बताते हैं कि एसयूवी श्रेणी की कारों / जीपों का सबसे कम पंजीकरण 2016 में 15,911 में बताया गया था। आरएलए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, चंडीगढ़ में पंजीकृत वाहनों की संख्या बढ़ रही है। दोपहिया वाहनों के बाद, चंडीगढ़ में कारों / जीपों का पंजीकरण सबसे अधिक है। हालाँकि, हम चंडीगढ़ में अपने वाहनों को पंजीकृत करवाने वाले पड़ोसी क्षेत्रों के निवासियों की संभावना से इनकार नहीं कर सकते। हमारे पास पंजीकरण पर कर के केवल दो स्लैब हैं – उन वाहनों पर छह प्रतिशत, जिनकी लागत 20 लाख रुपये तक है और अधिक लागत वाले लोगों के लिए आठ प्रतिशत है। पंजाब और हरियाणा में, स्लैब को विभिन्न श्रेणियों में विभाजित किया गया है।

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि 2013 में वाहनों के समग्र पंजीकरण में भारी कमी दर्ज की गई थी, जिसमें दोपहिया, चार पहिया, तीन पहिया और माल वाहन शामिल थे। 2012 में, आरएलए चंडीगढ़ के साथ वाहनों का कुल पंजीकरण 51,259 था, जबकि 2013 में, यह 45,013 था। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2001 से 2018 के बीच चंडीगढ़ में कुल 6,83,917 वाहन पंजीकृत किए गए।

रात 12 बजे के बाद ठेके पर शराब बेची तो लाइसेंस होगा रद : चंडीगढ़

चंडीगढ़ : यूटी प्रशासन द्वारा बनाई गई लॉ एंड ऑर्डर कमेटी की मंगलवार को एसएसपी के नेतृत्व में पुलिस हेडक्वार्टर में मीfटग हुई। इस दौरान तय समय के बाद ठेकों पर शराब बेचने वालों के लाइसेंस कैंसल करने के साथ कई अहम मुद्दों पर ऑर्डर पास किया गया। इस संबंध में यूटी पुलिस की ओर से जल्द ही एक्साइज डिपार्टमेंट को लेटर लिखा जाएगा। एसएसपी नीलांबरी विजय जगदाले के नेतृत्व में कमेटी ने शहर में लॉ एंड ऑर्डर को लेकर मीfटग की। इस दौरान तीनों डिविजन के डीएसपी, सीआइडी डीएसपी रामगोपाल समेत कमेटी के मेंबर मौजूद थे। ऑर्डर पास किया गया कि शहर के पब, बार और डिस्कोथेक 12 बजे के बाद नहीं खुलेंगे। ऐसा करने पर उसके ऑनर का लाइसेंस रद किया जाएगा। इसके साथ शराब सर्व करने वाले डिस्कोथेक, पब और बार में 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की एंट्री नहीं की जाएगी। ऐसा करने पर ऑनर के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

मानेसर जमीन अधिग्रहण घोटाला, बिल्डरों को बेची थी जमीन

मनेसार भूमि घोटाला मामले में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मोतीलाल वोहरा बुधवार को पंचकुला में सीबीआई स्पेशल कोर्ट के सामने पेश हुए। सुनवाई में आज आरोपी अतुल बंसल के कोर्ट में न पहुंचने के चलते आज भी नहीं हुई कोई कार्यवाही। कोर्ट ने अब मामले में सुनवाई के लिए अगली तारीख 20 फरवरी दी है। सनद रहे की इससे पहले मई में सीबीआई कोर्ट ने भूपिंदर सिंह हुड्डा को राहत देते हुए करोड़ों रूपये के मनेसार ज़मीन घोटाले में उन्हे जमानत दी थी।

मानेसर जमीन अधिग्रहण घोटाला मामलें में पंचकूला की सीबीआई कोर्ट के स्पेशल जज कपिल राठी की कोर्ट में सुनवाई चल रही है। जिसमे हुडडा के अलावा एमएल तायल, छतर सिंह, एसएस ढिल्लों, पूर्व डीटीपी जसवंत सहित कई बिल्डरों के खिलाफ चार्ज शीट में नाम आया है। मानेसर जमीन अधिग्रहण घोटाला को लेकर सीबीआई ने हुड्डा सहित 34 के खिलाफ 17 सितंबर 2015 को मामला दर्ज किया था। इस मामले में ईडी ने भी हुड्डा के खिलाफ सितंबर 2016 में मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया था।

एबीडबल्यू बिल्डर्स के अतुल बंसल की अनुपस्थिति ने कोर्ट की कार्यवाही को स्थगित करवाया। सनद रहे अतुल बंसल मनेसार ज़मीन घोटाले के मुख्य आरोपियों में से एक हैं। आरोपी अतुल बंसल पिछली पेशी में भी अदालत में पेश नहीं हुए थे, जिस कारण उनके नॉन बेलेबल वारंट निकले गए थे। आज फिर अतुल बंसल के खिलाफ नॉन बेलेबले अरैस्ट वारंट जारी किए गए हैं, 

दरअसल, हरियाणा के गुरुगरम जिले के मनेसार में ज़मीन घोटाले के मामले में सीबीआई ने इस वर्ष फरवरी में हुड्डा,वरिष्ठ नौकरशाहों व अन्य के विरुद्ध मामला दर्ज़ किया था। चार्जशीट में वरिष्ठ नौकरशाह छत्तर सिंह,, एस एस ढिल्लों और गुरुगरम की रियल इस्टेट कंपनी एबीडबल्यू बिल्द्र्स के प्रोमोटर अतुल बसन को शामिल किया गया था। तीनों अधिकारी हुड्डा के मुख्यमंत्री रहते हुए प्रभावशाली प्रमुख सचिव थे। सीबीआई ने सितंबर 2015 में इस संबंध में मामला दर्ज़ किया था। आरोप था की निजी बिलदारों ने हरियाणा सरकार के साथ मिलीभगत कर गुरुगरम जिले के मनेसार, नौरंगपुर, लखनौला गांवों में किसानों और ज़मीन के मालिकों से 400 एकड़ ज़मीन बहुत कम दामों में खरीदी।

     उस समय बेची गयी ज़मीन की कीमत 1600 करोड़ रुपये थी, लेकिन बिल्डरों ने इसे मात्र 100 करोड़ रुपए में खरीद लिया। यह ज़मीनें अगस्त 2004 से अगस्त 2007 के बीच खरीदी गईं। मुख्यमंत्री हुड्डा के नेतृत्व वाली सरकार मार्च 2005 से अक्तूबर 2014 तक हरियाणा में सत्ता में थी। सीबीआई का आरोप है की एबीडबल्यू बिल्द्र्स ने कांग्रेस के कार्यकाल में ज़मीन खरीदने का षड्यंत्र रचा।