’श्री माता मनसा देवी पर चोला अर्पित करने की ऑनलाइन बुकिंग प्रक्रिया शुरू’

5 अक्तूबर तक पंचकूला जिला की 3 अनाज मंडियों में 10900 मीट्रिक टन धान की, की जा चुकी है खरीद-उपायुक्त विनय प्रताप सिंह

पंचकूला, 6 अक्तूबर- उपायुक्त श्री विनय प्रताप सिंह ने बताया कि खरीफ सीजन 2021-22 में कल 5 अक्तूबर तक पंचकूला जिला की 3 अनाज मंडियों में सरकारी खरीद एजंसियों द्वारा कुल 10900 मीट्रिक टन धान की खरीद की जा चुकी है।

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उन्होंने बताया कि कल 5 अक्तूबर तक पंचकूला स्थित अनाज मंडी में हरियाणा वेयरहाउसिंग काॅर्पोरेशन द्वारा 160 मीट्रिक टन तथा हैफेड द्वारा 600 मीट्रिक टन धान की खरीद की गई जबकि बरवाला अनाज मंडी में हरियाणा वेयरहासिंग कार्पोरेशन द्वारा 2700 मीट्रिक टन व हैफेड द्वारा 3450 मीट्रिक टन धान की खरीद की गई। उन्होंने बताया कि रायपुररानी स्थित अनाज मंडी में हरियाणा वेयरहाउसिंग काॅर्पोरेशन द्वारा 1200 मीट्रिक टन तथा हैफेड द्वारा 2790 मीट्रिक टन धान की खरीद की गई है।

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पंचकूला जिला में बरवाला, रायपुररानी व पंचकूला में स्थापित तीन अनाज मंडियों में सरकारी खरीद एजंसियों नामतः हैफेड तथा हरियाणा वेयरहासिंग कार्पोरेशन द्वारा फसलों की खरीद की जा रही है।

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श्रद्धालुओं की मनोकामना पूरी करती है माता मनसा देवी

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भारत की सभ्यता एवं संस्कृति आदिकाल से ही विश्व की पथ-प्रदर्शक रही है और इसकी चप्पा-चप्पा धरा को ऋषि मुनियों ने अपने तपोबल से पावन किया है। हरियाणा की पावन धरा भी इस पुरातन गौरवमय भारतीय संस्कृति, धरोहर तथा देश के इतिहास एवं सभ्यता का उद्गम स्थल रही है। यह वह कर्म भूमि है, जहां धर्म की रक्षा के लिए दुनिया का सबसे बड़ा संग्राम महाभारत लड़ा गया था और गीता का पावन संदेश भी इसी भू-भाग से गुंजित हुआ है। वहीं शिवालिक की पहाडियों से लेकर कुरूक्षेत्र तक के 48 कोस के सिंधुवन में ऋषि-मुनियों द्वारा पुराणों की रचना की गई और यह समस्त भूभाग देवधरा के नाम से जाना जाता है।


इसी परम्परा में हरियाणा के जिला पंचकूला में ऐतिहासिक नगर मनीमाजरा के निकट शिवालिक पर्वतमालाओं की गोद में सिन्धुवन के अतिंम छोर पर प्राकृतिक छटाओं से आच्छादित एकदम मनोरम एवं शांति वातावरण में स्थित है – सतयुगी सिद्घ माता मनसा देवी का मंदिर। कहा जाता है कि यदि कोई भक्त सच्चे मन से 40 दिन तक निरंतर मनसा देवी के भवन में पहुंच कर पूजा अर्चना करता है तो माता मनसा देवी उसकी मनोकामना अवश्य पूर्ण करती है। माता मनसा देवी का चैत्र और आश्विन मास के नवरात्रों में मेला लगता है।

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माता मनसा देवी के मंदिर को लेकर कई धारणाएं व मान्यताएं प्रचलित हैं। श्रीमाता मनसा देवी का इतिहास उतना ही प्राचीन है, जितना कि अन्य सिद्घ शक्तिपीठों का। इन शक्ति पीठों का कैसे और कब प्रादुर्भाव हुआ इसके बारे में शिव पुराण में विस्तृत वर्णन मिलता है। धर्म ग्रंथ तंत्र चूड़ामणि के अनुसार ऐसे सिद्घ पीठों की संख्या 51 है, जबकि देवी भागवत पुराण में 108 सिद्घ पीठों का उल्लेख मिलता है, जो सती के अंगों के गिरने से प्रकट हुए। श्रीमाता मनसा देवी के प्रकट होने का उल्लेख शिव पुराण में मिलता है। माता पार्वती हिमालय के राजा दक्ष की कन्या थी व अपने पति भगवान शिव के साथ कैलाश पर्वत पर उनका वास था। कहा जाता है कि एक बार राजा दक्ष ने अश्वमेध यज्ञ रचाया और उसमें सभी देवी-देवताओं को आमंत्रित किया गया, परन्तु इसमें भगवान शिव को नहीं बुलाया, इसके बावजूद भी पार्वती ने यज्ञ में शामिल होने की बहुत जिद्द की। महादेव ने कहा कि बिना बुलाए वहां जाना नहीं चाहिए और यह शिष्टाचार के विरूद्घ भी है। अन्त मे विवश होकर मां पार्वती का आग्रह शिवजी को मानना पड़ा। शिवजी ने अपने कुछ गण पार्वती की रक्षार्थ साथ भेजे। जब पार्वती अपने पिता के घर पहुंची तो किसी ने उनका सत्कार नहीं किया। वह मन ही मन अपने पति भगवान शंकर की बात याद करके पश्चाताप करने लगी। हवन यज्ञ चल रहा था। यह प्रथा थी कि यज्ञ में प्रत्येक देवी देवता एवं उनके सखा संबंधी का भाग निकाला जाता था। जब पार्वती के पिता ने यज्ञ से शिवजी का भाग नहीं निकाला तो पार्वती को बहुत आघात लगा।  आत्म-सम्मान के लिए गौरी ने अपने आपको यज्ञ की अग्नि में होम कर दिया। पिता दक्ष प्रजापति के यज्ञ में प्राणोत्सर्ग करने के समाचार को सुन शिवजी बहुत क्रोधित हुए और वीरभद्र को महाराजा दक्ष को खत्म करने के लिए आदेश दिए। क्र ोध में वीरभद्र ने दक्ष का मस्तक काटकर यज्ञ विघ्वंस कर डाला। शिवजी ने जब यज्ञ स्थान पर जाकर सती का दग्ध शरीर देखा तो सती-सती पुकारते हुए उनके दग्ध शरीर को कंधे पर रखकर भ्रान्तचित से तांडव नृत्य करते हुए देश देशातंर में भटकने लगे।


भगवान शिव का उग्र रूप देखकर ब्रहमा आदि देवताओं को बड़ी चिंता हुई। शिवजी का मोह दूर करने के लिए सती की देह को उनसे दूर करना आवश्यक था, इसलिए भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से लक्ष्यभेद कर सती के शरीर को खंड-खंड कर दिया। वे अंग जहां-जहां गिरे वहीं शक्तिपीठों की स्थापना हुई और शिव ने कहा कि इन स्थानों पर भगवती शिव की भक्ति भाव से आराधना करने पर कुछ भी दुलर्भ नहीं होगा क्योंकि उन-उन स्थानों पर देवी का साक्षात निवास रहेगा। हिमाचल प्रदेश के कांगडा के स्थान पर सती का मस्तक गिरने से बृजेश्वरी देवी शक्तिपीठ, ज्वालामुखी पर जिव्हा गिरने से ज्वाला जी, मन का भाग गिरने से छिन्न मस्तिका चिन्तपूर्णी, नयन से नयना देवी, त्रिपुरा में बाई जंघा से जयन्ती देवी, कलकत्ता में दाये चरण की उंगलियां गिरने से काली मदिंर, सहारनपुर के निकट शिवालिक पर्वत पर शीश गिरने से शकुम्भरी, कुरूक्षेत्र में गुल्फ गिरने से भद्रकाली शक्ति पीठ तथा मनीमाजरा के निकट शिवालिक गिरिमालाओं पर देवी के मस्तिष्क का अग्र भाग गिरने से मनसा देवी आदि शक्ति पीठ देश के लाखों भक्तों के लिए पूजा स्थल बन गए हैं।


एक अन्य दंत कथा के अनुसार मनसा देवी का नाम महंत मंशा नाथ के नाम पर पड़ा बताया जाता है। मुगलकालीन बादशाह सम्राट अकबर के समय लगभग सवा चार सौ वर्ष पूर्व बिलासपुर गांव में देवी भक्त महंत मन्शा नाथ रहते थे। उस समय यहां देवी की पूजा अर्चना करने दूर-दूर से लोग आते थे। दिल्ली सूबे की ओर से यहां मेले पर आने वाले प्रत्येक यात्री से एक रुपया कर के रूप में वसूल किया जाता था। इसका मंहत मनसा नाथ ने विरोध किया। हकूमत के दंड के डर से राजपूतों ने उनके मदिंर में प्रवेश पर रोक लगा दी। माता का अनन्य भक्त होने के नाते उसने वर्तमान मदिंर से कुछ दूर नीचे पहाडों पर अपना डेरा जमा लिया और वहीं से माता की पूजा करने लगा। महंत मंशा नाथ का धूना आज भी मनसा देवी की सीढियों के शुरू में बाई ओर देखा जा सकता है।


आईने अकबरी में यह उल्लेख मिलता है कि जब सम्राट अकबर 1567 ई. में कुरूक्षेत्र में एक सूफी संत को मिलने आए थे तो लाखों की संख्या में लोग वहां सूर्य ग्रहण पर इकटठे हुये थे। महंत मंशा नाथ भी संगत के साथ कुरूक्षेत्र में स्नान के लिये गये थे। कहते हैं कि जब नागरिकों एवं कुछ संतों ने अकबर से सरकार द्वारा यात्रियों से कर वसूली करने की शिकायत की तो उन्होंने हिंदुओं के प्रति उदारता दिखाते हुए सभी तीर्थ स्थानों पर यात्रियों से कर वसूली पर तुरंत रोक लगाने का हुकम दे दिया, जिसके फलस्वरूप कुरूक्षेत्र एवं मनसा देवी के दर्शनों के लिए कर वसूली समाप्त कर दी गई।


श्रीमाता मनसा देवी के सिद्घ शक्तिपीठ पर बने मदिंर का निर्माण मनीमाजरा के राजा गोपाल सिंह ने अपनी मनोकामना पूरी होने पर लगभग पौने दो सौ वर्ष पूर्व चार वर्षो में अपनी देखरेख में सन 1815 ईसवी में पूर्ण करवाया था। मुख्य मदिंर में माता की मूर्ति स्थापित है। मूर्ति के आगे तीन पिंडीयां हैं, जिन्हें मां का रूप ही माना जाता है। ये तीनों पिंडीयां  महालक्ष्मी, मनसा देवी तथा सरस्वती देवी के नाम से जानी जाती हैं। मंदिर की परिक्रमा पर गणेश, हनुमान, द्वारपाल, वैष्णवी देवी, भैरव की मूर्तियां एवं शिव लिंग स्थापित है। इसके अतिरिक्त श्रीमनसा देवी मंदिर के प्रवेश द्वार पर माता मनसा देवी की विधि विधान से अखंड ज्योत प्रज्जवलित कर दी गई है। इस समय मनसा देवी के तीन मंदिर हैं, जिनका निर्माण पटियाला के महाराज द्वारा करवाया गया था। प्राचीन मदिंर के पीछे निचली पहाडी के दामन में एक ऊंचे गोल गुम्बदनुमा भवन में बना माता मनसा देवी का तीसरा मदिंर है। मदिंर के एतिहासिक महत्व तथा मेलों के उपर प्रति वर्ष आने वाले लाखों श्रद्घालुओं को और अधिक सुविधाएं प्रदान करने के लिए 9 सितम्बर 1991 को माता मनसा देवी पूजा स्थल बोर्ड का गठन किया गया।


श्री माता मनसा देवी की मान्यता के बारे पुरातन लिखित इतिहास तो उपलब्ध नहीं है, परन्तु पिंजौर, सकेतडी एवं कालका क्षेत्र में पुरातत्ववेताओं की खोज से यहां जो प्राचीन चीजे मिली हैं, जो पाषाण युग से संबंधित है उनसे यह सिद्घ होता है कि आदिकाल में भी इस क्षेत्र में मानव का निवास था और वे देवी देवताओं की पूजा करते थे, जिससे यह मान्यता दृढ होती है कि उस समय इस स्थान पर माता मनसा देवी मदिंर विद्यमान था। यह भी जनश्रुति है कि पांडवों ने बनवास के समय इस उत्तराखंड में पंचपूरा पिंजौर की स्थापना की थी। उन्होंने ही अन्य शक्तिपीठों के साथ-साथ चंडीगढ के निकट चंडीमदिंर, कालका में काली माता तथा मनसा देवी मदिंर में देवी आराधाना की थी। पांडवों के बनवास के दिनों में भगवान श्री कृष्ण के भी इस क्षेत्र में आने के प्रमाण मिलते हैं। त्रेता युग में भी भगवान द्वारा शक्ति पूजा का प्रचलन था और श्री राम द्वारा भी इन शक्ति पीठों की पूजा का वर्णन मिलता है।


हरिद्वार के निकट शिवालिक की ऊंची पहाडियों की चोटी पर माता मनसा देवी का एक और मदिंर विद्यमान है, जो आज देश के लाखों यात्रियों के लिये अराध्य स्थल बना हुआ है, परन्तु उस मदिंर की गणना 51 शक्तिपीठों में नहीं की जाती। पंचकूला के बिलासपुर गांव की भूमि पर वर्तमान माता मनसा देवी मदिंर ही सिद्घ शक्ति पीठ है, जिसकी गणना 51 शक्ति पीठों में होने के अकाट्य प्रमाण हैं। हरिद्वार के निकट माता मनसा देवी के मदिंर के बारे यह दंत कथा प्रसिद्घ है कि यह मनसा देवी तो नागराज या वासुकी की बहिन, महर्षि कश्यप की कन्या व आस्तिक ऋषि की माता तथा जरत्कारू की पत्नी है, जिसने पितरों की अभिलाषा एवं देवताओं की इच्छा एवं स्वयं अपने पति की प्रतिज्ञा को पूर्ण करने तथा सभी की मनोकामना पूर्ण करने के लिए वहां अवतार धारण किया था, सभी की मनोकामना पूर्ण करने के कारण अपने पति के नाम वाली जरत्कारू का नाम भक्तों में मनसा देवी के रूप में प्रसिद्घ हो गया। वह शाक्त भक्तों में अक्षय धनदात्रि, संकट नाशिनी, पुत्र-पोत्र दायिनी तथा नागेश्वरी माता आदि नामों से प्रसिद्घ है।
जिला प्रशासन पंचकूला द्वारा 7 से 14 अक्टूबर तक लगने वाले अश्विन नवरात्र मेले के लिए श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुवधिा न हो, की दिशा में पुख्ता प्रबंध किए हैं। श्री माता मनसा देवी पूजा स्थल बोर्ड के मुख्य प्रशासक एवं उपायुक्त श्री विनय प्रताप सिंह ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए कई बार बैठकें आयोजित कर किए गए प्रबंधों की गहन रूचि लेकर समीक्षा भी की ताकि देश के कोने-कोने से आने वाले श्रद्धालुओं को माता के दर्शन करने आने में किसी प्रकार की कठिनाई न हो। 

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ऐलनाबाद उपचुनाव : बुधवार को किसी भी प्रत्याशी ने नहीं किया नामांकन दाखिल

ऐलनाबाद, 06 अक्तूबर।

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रिटर्निंग अधिकारी एवं एसडीएम ऐलनाबाद नरेंद्र पाल मलिक ने बताया कि ऐलनाबाद उप चुनाव के तहत नामांकन प्रक्रिया जारी है, बुधवार को किसी भी प्रत्याशी ने नामांकन पत्र दाखिल नहीं किया। उन्होंने बताया कि नामांकन प्रक्रिया आठ अक्तूबर तक चलेगी। 11 अक्तूबर को नामांकन की छंटनी होगी व 13 अक्टूबर तक नाम वापस ले सकेंगे। 30 अक्तूबर को मतदान होगा तथा दो नवंबर को मतगणना की जाएगी।

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फसल के अवशेष जलाने पर रोक, धारा 144 लागू

सिरसा, 06 अक्तूबर।

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जिलाधीश अनीश यादव ने दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए जिला सिरसा की सीमा में फसल अवशेष जलाने पर पाबंदी लगाई है। आदेशों में कहा गया है कि जिला की सीमा में धान की फसल की कटाई के बाद बचे हुई भूसे/अवशेष को किसानों द्वारा जला दिया जाता है जिससे प्रदूषण होने से आमजन के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है तथा आगजनी आदि होने पर संपत्ति की हानि या मानव जीवन को भारी खतरे की संभावना रहती है। इसके अलावा पशुओं के चारे की कमी होने की भी संभावना बनी रहती है।


              जिलाधीश ने बताया कि पराली/भूसे को जलाने से भूमि के मित्र कीट मर जाते हैं जिससे भूमि की उर्वरक शक्ति कम होने से फसल की पैदावार पर भी प्रभाव पड़ता है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल नई दिल्ली के आदेशानुसार धान के अवशेष जलाने पर जुर्माने का भी प्रावधान है। फसलों के अवशेषों को जलाने से उत्पन्न धुआं आसमान में दूर-दूर तक चारों और फैल जाता है।

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             इसके अलावा हरियाणा सरकार द्वारा भी समय-समय पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल नई दिल्ली द्वारा जारी आदेशों की कड़ाई से पालना हेतु निर्देश दिए गये हैं। आपातकालीन स्थिति, समय की कमी तथा वर्तमान परिस्थितियों के मद्देनजर जनमानस को सूचनार्थ एवं पालना हेतु ये आदेश जारी किए गए है। उक्त आदेश की अवहेलना करने पर आईपीसी की धारा 188 के तहत संपठित वायु बचाव एवं प्रदूषण नियंत्रण अधिनियम 1981 के तहत दंड का भागी होगा।

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हरियाणा में पान मसाला और गुटखा पर और एक साल के लिए रहेगा प्रतिबंध : उपायुक्त अनीश यादव

सिरसा, 06 अक्तूबर।

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हरियाणा में गुटखा और पान मसाला पर प्रतिबंध एक साल के लिए और बढ़ा दिया गया है। हरियाणा में गुटखा और पान मसाला के निर्माण भंडारण और वितरण पर एक साल तक के लिए पाबंदी रहेगी।
उपायुक्त अनीश यादव ने बताया कि 7 सितंबर 2020 को खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम, 2006 के अंतर्गत निर्मित खाद्य सुरक्षा एवं मानक (विक्रय प्रतिरोध और निर्बंधन) नियम, 2011 के विनियम 2.3.4 के अनुसार किसी खाद्य उत्पाद में संघटकों के रूप में तंबाकू व निकोटिन (गुटखा, पान मसाला) के उपयोग पर विभाग द्वारा एक वर्ष के लिए प्रतिबंध लगाया गया था, अब खाद्य सुरक्षा विभाग हरियाणा के आयुक्त ने इन आदेशों को आगामी एक वर्ष के लिए स्वीकृति दे दी है।

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निर्माण, भंडारण और वितरण पर प्रतिबंध रहेगा :


हरियाणा राज्य के किसी खाद्य उत्पाद में संघटकों के रूप में तंबाकू व निकोटिन (गुटखा, पान मसाला) के निर्माण, भंडारण और वितरण पर प्रतिबंध रहेगा। अब गुटखा व पान मसाला में तंबाकू व निकोटिन का पाया जाना कानूनी अपराध है, कोई भी व्यक्ति तम्बाकू व निकोटिन युक्त खाद्य पदार्थ का निर्माण, भंडारण व बिक्री करता है तो उसके खिलाफ खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम 2006 के तहत कार्रवाई की जाएगी।

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नागरिक मच्छर जनित रोगों से बचाव के उपाय अपनाने के साथ अपने आस-पास रखें साफ-सफाई : उपायुक्त अनीश यादव

सिरसा, 06 अक्तूबर।

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उपायुक्त अनीश यादव ने बताया कि बदलते मौसम के चलते इन दिनों मच्छर जनित रोगों जैसे डेंगू, मलेरिया व चिकनगुनिया जैसी बीमारियां फैलने की आशंका बनी रहती है। उन्होंने नागरिकों से मच्छर जनित रोगों से बचाव के लिए उपायों को अपनाने की अपील करते हुए कहा कि घर के आस-पास पानी जमा न होने दें, क्योंकि एक स्थान पर खड़े हुए पानी में मच्छर पनपता है। इसके अलावा प्रत्येक रविवार को ड्राईग-डे मनाये अर्थात कूलर, फूलदान, पशु व पक्षियों के पानी के बर्तनों, होदी को अवश्य सुखाकर ही पानी भरे। अगर कूलर उपयोग में न लाए जा रहे हो तो रगड़कर साफ करके सुखाकर ही रखे। पानी से भरे तालाब व गड्ढों को मिट्टी से भर दें और यदि संभव न हो तो उसमे काला तेल डाल दें। मच्छरों से बचाव के लिए पूरी बाजु के कपड़े पहने तथा घर के दरवाजे व खिड़कियों पर उपयुक्त जाली इस्तेमाल करें।


उन्होंने सभी विभागाध्यक्षों को निर्देश दिए कि वे अपने-अपने कार्यालय में साफ सफाई का विशेष ध्यान रखें, सभी अधिकारी व कर्मचारी पूरी बाजू की ड्रेस पहने, पीने के पानी की टंकियों की सफाई करवाएं, गमले/गड्डïों में कहीं भी पानी खड़ा न होने दें, कार्यालयों में फोगिंग करवाएं और सभी अधिकारियों व कर्मचारियों को कोविड वैक्सीन लगवाने के लिए प्रेरित करें। इसके अलावा तंबाकू, बीड़ी, सिगरेट से दूर रहें।
सिविल सर्जन डॉ. मुनीश बंसल ने बताया कि अचानक तेज बुखार का होना, छाती व ऊपर के हिस्सों में दानों का निकलना, सिर के आगे वाले हिस्से में जोर का दर्द, आंखों के पिछले हिस्से में दर्द, शरीर के जोड़ो में दर्द, भूख न लगना, जी मितलाना व उल्टी आना आदि डेंगू बुखार के लक्षण हैं। इसके अलावा ठंड लगकर बुखार होना, शरीर में दर्द, सिर दर्द व उल्टी या कोई भी बुखार मलेरिया हो सकता है। ऐसे लक्षण मिलने पर नागरिक तुरंत सामान्य अस्पताल में अपनी जांच करवाएं और समय पर इलाज करवाएं।

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अब सभी जोन के आवेदकों को मिलेंगे कृषि यंत्र

सिरसा, 06 अक्तूबर।

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कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा फसल अवशेष प्रबंधन योजना के अंतर्गत प्रथम चरण एवं द्वितीय चरण के तहत सभी जोन के आवेदकों को कृषि यंत्र दिए जाएंगे है। इसके लिए किसान के लिए आवेदकों को 09 अक्तूबर तक अपने बिल व अन्य दस्तावेज विभाग की वैबसाइट पर अपलोड करने होंगे।

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सहायक कृषि अभियंता गोपी राम सांगवान ने बताया कि रेड व येलो जाने के अलावा ग्रीन जोन के सभी योग्य आवेदकों को कस्टम हायरिंग सैंटर एवं व्यक्तिगत श्रेणी को भी मशीनें उपलब्ध करवाने का निर्णय लिया है। बशर्ते योजना की शर्तें एवं दस्तावेज पूरे करते हों। उन्होंने बताया कि सभी योग्य आवेदकों को जिला कार्यकारी कमेटी के अनुमोदन के उपरांत अपने बिल नौ अक्तूबर तक विभाग की वैबसाइट डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू डॉट एग्रीहरियाणासीआरएम डॉट कॉम पर मशीन का बिल, ईवे-बिल, मशीनके साथ फोटो (जीपीएस सहित) अपलोड करवाना सुनिश्चित करेंगे। उन्होंने कहा कि किसान पोर्टल पर उपलब्ध सूचीबद्ध डीलर / निर्माता में से अपनी पसंद की निर्माण से मोलभाव करके मशीन खरीद सकते हैं।

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Webinar on Calligraphy at UIFT

Chandigarh October 5, 2021

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University Institute of Fashion Technology & Vocational Development (UIFT & VD), Panjab University, Chandigarh organized a Webinar  on ‘Calligraphy- A Journey in Itself’ today.

            The webinar was conducted by Ms. Priyanka Goyal, who is the founder and Creative Lead at @PriyankaCalliDesigns. She spoke about Calligraphy and its evolution into the digital form. She stressed on the need to first understand Pen and Ink calligraphy and further venture  into digital calligraphy. She shared insights into topics like Typography, Lettering art. The Application of Calligraphy on various mediums was also discussed, for instance graphic design, fashion and branding. She practically illustrated some nuances of this Art form, especially as a print or any other surface ornamentation technique on garments and lifestyle products. 

            Dr Anu H. Gupta, Chairperson UIFT & VD also shared her views on the importance of learning this art form and its usage in fashion. The students also interacted with the speaker and asked questions regarding the career prospects in this field.

            Rashi a student of B.Sc 1st semester was quoted saying ” It was amazing experience. I’m in complete awe of how beautiful the calligraphies were. And how effortlessly everything was explained. Honored to be a part of this for sure”.

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            Around 100 participants were a part of this webinar which included students of M.Sc. and B.Sc. Fashion and Lifestyle Technology, Alumni of UIFT and participants from other institutions.

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हरियाणा के शिक्षा मंत्री श्री कंवर पाल गुज्जर से मुलाकात के दौरान नई शिक्षा नीति के विषय में विस्तार से हुई चर्चा- बंतो कटारिया

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पंचकूला, 5 अक्तूबर- भाजपा की पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष व गेल की पूर्व स्वतंत्र निदेशक श्रीमती बंतो कटारिया ने बताया कि हरियाणा के शिक्षा मंत्री श्री कंवर पाल गुज्जर से मुलाकात के दौरान उन्होंने नई शिक्षा नीति के विषय में विस्तार से चर्चा की गई।  


उन्होंने बताया कि यह नीति 34 वर्ष की प्रतीक्षा के बाद आई है, जो करोड़ों युवाओं की आशाओं और आकांक्षाओं को साकार करने वाली हैस जिसका देश के शैक्षणिक परिदृश्य पर दूरगामी प्रभाव पड़ेगा। इससे आंतरिक बदलाव होगा और संसाधनों को बढ़ावा मिलेगा, जिससे भारत के भविष्य को नई दिशा मिलेगी और भविष्य में उसकी प्रतिष्ठा बढ़ेगी।  


उन्होंने बताया कि शिक्षा मंत्री कंवरपाल ने उन्हें विश्वास दिलाया कि इस शिक्षा नीति में प्री-स्कूल से ही एक बच्चे के लिये अधिक सुगम व सक्षम परिवेश सुनिश्चित करना हैं। इसमें स्नातक और स्नातकोत्तर छात्रों के लिए कभी भी पाठ्यक्रम को छोड़ने के लिए उपयुक्त प्रमाण के साथ पाठ्यक्रम में प्रवेश लेने और छोड़ने के कई विकल्प होंगे। यह प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा परिकल्पना किए गए इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण सुधारों के लिए आवश्यक है। यह नीति विश्व स्तर की शिक्षा प्रणाली के इतिहास में सबसे अधिक परामर्श प्रक्रियाओ के बाद लाई गई है और भारत को ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था के शीर्ष पर पहुंचाने के हमारे नेतृत्व के संकल्प और दृष्टिकोण को दर्शाती है।  बंतो कटारिया ने कहा जैसा कि हम अमृत महोत्सव या भारत की स्वतंत्रता के 75 वर्ष मना रहे हैं, वैसे ही यह नीति आज के 5 से 15 वर्ष तक की आयु के उन बच्चों को तैयार करेगी जो भारत की स्वतंत्रता के 100 वर्ष पूरे होने के अवसर पर 30 से 40 वर्ष आयु के होंगे और देश के उज्जवल भविष्य के लिये काम करेगे।

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बंतो कटारिया ने कहा नई शिक्षा निति हरियाणा के करोड़ो बच्चों के लिये गेम चेजर साबित होगी और अब ये छात्र कौशल शिक्षा में निपुण होकर आने वाले समय में भारत को आत्मनिर्भर बनाने में मुख्य भूमिका अदा करेगे। हरियाणा प्रदेश में शिक्षा निति को सफलतापूर्वक एवम जोरदार ढंग से लागू करने पर शिक्षा मंत्री का धन्यवाद करते हुये बंतो कटारिया ने कहा आज सामान्य श्रेणी के विधार्थीयों के साथ-साथ लाखों गरीब समाज के बच्चे भी नई शिक्षा निति के माध्यम से लाभ उठा रहे हैं।

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18 अक्तूबर तक बढाई गई ’महामारी अलर्ट-सुरक्षित हरियाणा’ आदेश की अवधि-जिलाधीश विनय प्रताप सिंह

– केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी दिशा-निर्देशों की पालना करते हुए ओद्यौगिक प्रशिक्षण संस्थानों को 100 प्रतिशत श्रमता के साथ खालने की अनुमति


– नवरात्र, दुशहरा, मिलाद-उन-नबी/ईद-ए-मिलाद, करवा चैथ, दिवाली, गोवर्धन पूजा, छठ पूजा, गुरू नानक जयंती, क्रिसमस तथा नयू ईयर ईव जैसे त्यौाहारों के दौरान मेलों व बड़ी संख्या में भीड़ के दृष्टिगत कोविड उचित व्यवहार का पालन करना होगा जरूरी

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पंचकूला, 5 अक्तूबर- जिलाधीश विनय प्रताप सिंह ने आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के प्रावधानों के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए ’महामारी अलर्ट-सुरक्षित हरियाणा’ के आदेशों की अवधि को जिला में 18 अक्तूबर, 2021 सुबह 5 बजे तक बढ़ा दिया है।


जिलाधीश द्वारा जारी आदेशों के अनुसार ओद्यौगिक प्रशिक्षण संस्थानों को केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी दिशा-निर्देशों की पालना करते हुए 100 प्रतिशत श्रमता के साथ खालने की अनुमति प्रदान की गई है। इस दिशा में हरियाणा कौषल विकास विभाग तथा तकनीकी शिक्षा विभाग द्वारा जल्द ही दिशा-निर्देश जारी कर दिये जायेंगे।


जारी आदेशों के अनुसार आगामी महीनों में जिला में नवरात्र, दुशहरा, मिलाद-उन-नबी/ईद-ए-मिलाद, करवा चैथ, दिवाली, गोवर्धन पूजा, छठ पूजा, गुरू नानक जयंती, क्रिसमस तथा नयू ईयर ईव जैसे त्यौाहारों के दौरान मेलों व बड़ी संख्या में भीड़ के दृष्टिगत, खास तौर पर धार्मिक स्थानों पर कोविड उचित व्यवहार का पालन करना जरूरी होगा।


जिलाधीश द्वारा जारी आदेशों के अनुसार कॉलेजों एवं पोलिटैक्निकों  को खोलने की अनुमति प्रदान की गई है, जबकि कोविड उचित व्यवहार, सामाजिक दूरी के नियमों व केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी हिदायतों का पालन इन परिसरों में करना होगा। इस दिशा में उच्चतर शिक्षा विभाग तथा तकनीकी शिक्षा विभाग द्वारा जल्द ही दिशा-निर्देश जारी कर दिये जायेंगे।


जिलाधीश द्वारा जारी किए गए आदेशों के अनुसार मॉल सहित होटल में रेस्टोरेंट एवं बार को सामाजिक दूरी, नियमित सैनीटाईजेशन का पालन करते हुए 50 फीसदी बैठने की क्षमता के साथ संचालित करने की अनुमति होगी। जिम और स्पा को भी 50 प्रतिशत क्षमता के साथ खोलने की अनुमति दी गई है। इसके लिए भी महामारी से बचाव के सभी नियमो की पालना करनी होगी। सिनेमा हाॅल, माॅलस के अंदर व सटैंड अलोन 50 प्रतिशत बैठने की क्षमता के साथ कोविड-19 व्यवहार नियमों की पालना करते हुए खुल सकेंगे।

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गोल्फ कोर्स के क्लब हाउसिज, रेस्टोरेंट्स और बार को 50 प्रतिशत क्षमता के साथ खोलने की अनुमति दी गई है। इसके लिए भी कोविड अनुकूल व्यवहार की शर्तें जारी रहेगी। गोल्फ कोर्स में खेलने के लिए खिलाड़ियों की भीड़ ना हो, इसका प्रबंधन करना होगा। इसी प्रकार से सभी दुकानों और शॉपिंग माल को आवश्यक सामाजिक दूरी, नियमित सैनिटाइजेशन और कोविड-19 व्यवहार की शर्तों के साथ खोलने की अनुमति प्रदान की गई है।


जिलाधीश द्वारा जारी किए गए आदेशों के अनुसार सामाजिक दूरी के सिद्घांत, नियमित सैनिटाइजेशन और कोविड-19 अनुकूल व्यवहार के नियमों की अनुपालना के साथ स्विमिंग पूल खोलने की अनुमति दी गई है, लेकिन इसके लिए प्रतिभागियों, विजिटर्स व स्टाफ का टीकाकरण होना जरूरी है। इनडोर स्थानों में हॉल की क्षमता का 50 प्रतिशत लोग इकठ्ठा हो सकते हैं, जिनकी अधिकतम सीमा 100 रखी गई है। खुले स्थानों में अधिकतम 200 लोगों तक इकट्ठा हो सकते हैं। कोविड-19 का व्यवहार व सामाजिक दूरी के नियम की सख्ती से पालन सुनिश्चित करनी होगी।


विभिन्न विश्वविद्यालयों, संस्थानों, सरकारी विभागों और अन्य भर्ती एजेंसी जिला में प्रवेश व भर्ती परीक्षाओं का आयोजन कोरोना की रोकथाम के लिये स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय तथा केंद्रीय व राज्य द्वारा जारी संशोधित एसओपीज की सख्त पालना सुनिश्चित करने के साथ कर सकेंगे।
हरियाणा कौशल विकास मिशन के तहत स्थापित ट्रेनिंग सेंटर को खोलने की अनुमति दी गई है। कोचिंग संस्थान, लाईबे्ररी, प्रशिक्षण संस्थान (सरकारी या निजी) शर्तों के साथ खुल सकेंगे। आईटीआई के विद्यार्थियों की शंकाए दूर करने के लिए, प्रयोगशाला में प्रैक्टिकल कक्षाओं, प्रैक्टिकल परीक्षाओं के लिए खोलने की अनुमति प्रदान की गई है।


जारी आदेशानुसार एक समय में 50 व्यक्तियों के साथ धार्मिक स्थलों को खोलने की अनुमति होगी। इन स्थलों पर सामाजिक दूरी नियमित सेनेटाइजेशन तथा कोविड उचित व्यवहार की शर्तों का पालन करना होगा। कोर्पोरेट ऑफिस पूर्ण उपस्थिति के साथ खुल सकेंगे। इन्हें भी सामाजिक दूरी, नियमित सेनेटाइजेशन एवं कोविड उचित व्यवहार के नियम की पालना करनी होगी। सभी उत्पादन ईकाइयां, प्रतिष्ठान एवं उद्योगों को कार्य की अनुमति होगी, हालांकि उन्हें कोविड-19 के उचित व्यवहार, हिदायतों आदि का पालन करना होगा। संपर्क वाले खेलों को छोड़ कर खेल परिसर व स्टेडियम ऑउट डोर खेल प्रतियोगिताओं सहित खेल गतिविधिया के लिए खुल सकेंगे (दर्शकों को अनुमति नहीं होगी)। इन गतिविधियों के दौरान सामाजिक दूरी, खेल परिसर का नियमित सेनिटाइजेशन तथा कोविड उचित व्यवहार का पालन सुनिश्चित करना होगा।


जारी आदेशों के अनुसार ’नो मास्क-नो सर्विस’ के सिद्धांत को सख्ती से लागू किया जाएगा। उन्हीं लोगों को पब्लिक व प्राइवेट ट्रांसपोर्ट में सफर की अनुमति दी जाएगी जो मास्क लगाएंगे। इसी प्रकार से सरकारी व निजी प्रतिष्ठानों से केवल वे ही लोग सेवाएं अथवा सामान प्राप्त कर सकेंगे, जिन्होंने मास्क लगाया होगा। सभी दुकानदारो को अपनी दुकानों के सामने सामाजिक दूरी के निशान लगाने होंगे।
इन आदेशों को प्रभावी रूप से लागू करवाने के लिए नगर निगम आयुक्त, जिला नगर आयुक्त सुनिश्चित करेंगे कि नगरपालिकायें इन आदेशों व दिशा निर्देशों का दुकानदारों में प्रचार प्रसार करेंगी। पुलिस उपायुक्त इन आदेशों को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिये इंस्पैक्शन टीम का गठन करेंगे।


इसके अलावा उपमंडल अधिकारी (ना0) पंचकूला व कालका प्रतिदिन गतिविधियों पर निगरानी रखने और आदेशों की सख्त पालना सुनिश्चित करने के लिये अपने अपने अधिकार क्षेत्रों में इंचार्ज होंगे।
सभी इंन्सीडेंट कमांडर अपने-अपने इलाकों में इन आदेशों को लागू करने के लिये उत्तरदायी होंगे।


इन आदेशो की उल्लघ्ंाना करने वालों के खिलाफ आपदा प्रबन्धन अधिनियम 2005 की धारा 51 से 60 और आई पी सी की धारा 188 के तहत कार्यवाही की जाएगी।