ग्रामीणों को नशा के प्रति जागरूक करेंगी महिलाएं, गांव स्तर पर किया जाएगा महिला कमेटियों का गठन : डा. दर्शना सिंह
महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा जिला कार्यक्रम अधिकारी डा. दर्शना सिंह ने नशा मुक्त अभियान को लेकर सभी खंडों के खंड एवं बाल विकास अधिकारियों की बैठक ली। बैठक का आयोजन गत दिनों नशा मुक्त अभियान को लेकर उपायुक्त रमेश चंद्र बिढाण द्वारा दिए गए निर्देशानुसार के तहत किया गया।
जिला कार्यक्रम अधिकारी डॉ. दर्शना ने बताया कि नशा मुक्ति अभियान को सफल बनाने के उद्ïेश्य से गांव में महिलाओं की कमेटी का गठन किया जाएगा। कमेटी में 11 महिला सदस्य होंगी, इनमें महिला सरपंच, पंच, आंगनवाड़ी वर्कर, हेल्पर, गांव स्तरीय कमेटी की महिला प्रधान, गांव की गणमान्य महिला, आशा वर्कर शामिल किया जाएगा। उन्होंने बताया कि ये कमेटियां गांव में लोगों विशेषकर युवाओं को नशा के दुष्प्रभाव बारे जागरूक करते हुए नशा छोडऩे के लिए प्रेरित करेंगी। उन्होंने सभी सीडीपीओ को निर्देश दिए कि वे अपने-अपने ब्लॉक में कमेटी के लिए महिला सदस्यों को चिन्हित करें, ताकि जल्द से जल्द कमेटी का गठन किया जा सके। जितनी जल्दी कमेटियों का गठन होगा, उतनी तत्परता के साथ ही अभियान की मजबूती की दिशा में आगे बढा जाएगा।
उन्होंने बताया कि कमेटी सदस्य गांव के उन घरों में विशेष रूप से जाएंगी, जो नशे की वजह से या तबाह हो गए हैं या तबाह होने की कगार पर हैं। कमेटी सदस्य इन घरों के सदस्यों को नशा के दुष्प्रभावों व इससे निकलने बारे जागरूक करेंगी। उन्होंने बताया कि जिले के प्रत्येक गांव में कमेटी नशा मुक्ति अभियान के लिए कार्य करेंगी। सीडीपीओ व सुपरवाईजर अपने अपने क्षेत्रों के गांवों में समय समय पर दौरा कर लोगों को स्वयं भी जागरूक करेंगी।
जिला कार्यक्रम अधिकारी ने कहा कि नशा धीरे धीरे दीमक की तरह समाज को खोखला बना देता है, क्योंकि नशे एक व्यक्ति ही प्रभावित नहीं होता बल्कि पूरा परिवार ही नशे से बर्बाद हो जाता है। नशे से जिला को मुक्त बनाने में हर वर्ग के लोगों का एकजुटता से अपना योगदान देना होगा, विशेषकर महिला इस मुहिम में अहम भूमिका निभा सकती है। क्योंकि इतिहास गवाह है कि जब जब देश या समाज में कोई संकट आया है तो महिलाओं ने उससे निपटने में अपना संपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि अभिभावक अपने बच्चों को डराने धमकाने की अपेक्षा उनसे निरंतर संवाद करें और उसकी बातों को समझते हुए साकारात्मक ढंग से उनकी समस्याओं का समाधान करें। इसके अलावा बच्चों को शिक्षा के साथ साथ संस्कारी ज्ञान भी दें और उनकों नशे के दुस्प्रभावों के बारे में बताएं और उज्जवल भविष्य बनाने के लिए प्रेरित करें।