‘अबकी बार मोदी सरकार’ से लेकर ‘गरीबी हटाओ, इंदिरा लाओ’ तक ये नारे बने इतिहास

‘अबकी बार मोदी सरकार’ से लेकर ‘गरीबी हटाओ, इंदिरा लाओ’ तक ये नारे बने इतिहास
भारतीय चुनाव के नारों का इतिहास उठा कर देखें तो ऐसे कई नारे सामने उभर कर आ जाएंगे जिनके सहारे जीत की कहानी लिखी गई है।
ये नारे अपने आप में बहुत हद मजाकिया और हल्के-फुल्के होते हैं, लेकिन इनका इंपैक्ट ऐसा है जो सीधे मतदाताओं को हिट करता है।
इन नारों ने कई पार्टियों की किस्मत भी बदली। सियासतदार बड़े-बड़े वादे करते हैं, और हर पार्टी अपने चुनाव प्रचार के लिए शानदार नारों से लोगों का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित करने में लगी रहती हैं।
नारों का इतिहास उठा कर देखें तो इसका अंकुरण 60 के दशक में ही हो गया था।
14वीं लोकसभा में सबसे ज्यादा वोट हासिल करने वाली पार्टी भाजपा का एक मूल नारा रहा ‘अबकी बार मोदी सरकार’। यह नारा भाजपा के प्रधानमंत्री उम्मीदवार नरेंद्र मोदी पर केंद्रित था।
उस दौर के सोशल मीडिया को खंगाले तो इस नारे की तुकबंदी करती कई लाइनों का सैलाब सा नजर आता है, जैसे- ट्विंकल ट्विंकल लिटिल स्टार, अबकी बार मोदी सरकार, दिल का भंवर करे पुकार अबकी बार मोदी सरकार, वगैरह।
वीवी गिरी को राष्ट्रपति बनाए जाने के बाद कांग्रेस दो फाड़ हो गई। 12 नवंबर 1969 को इंदिरा गांधी को कांग्रेस से निकाल दिया गया।
अब एक गुट इंदिरा के समर्थकों था कांग्रेस (आर) और दूसरा सिंडिकेट जो कांग्रेस (ओ) के नाम का था। 1970 में इंदिरा ने चुनाव की घोषणा कर दी, सिंडिकेट और उनके समर्थित दलों ने ‘इंदिरा हटाओ’ का नारा दिया। इंदिरा ने पलटवार करते हुए ‘गरीबी हटाओ, इंदिरा लाओ’ नारा दिया था।
इमर्जेंसी के दौर के बाद हुए आम चुनाव में पूरा विपक्ष जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में एक साथ हो गया। देश की सत्ता पर काबिज इंदिरा गांधी को हटाने का उन्माद पूरे चरम पर था।
इस दिशा में जनता पार्टी एक जुट हुई और आम चुनाव में इंदिरा गांधी को करारी शिकस्त देने के लिए देश की जनता से ‘इंदिरा हटाओ देश बचाओ’ का नारा दिया गया।
1977 में पहली बार गैर-कांग्रेसी सरकार प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई देश के नेतृत्व में बनी।
1978 के उपचुनाव के दौरान कांग्रेस के श्रीकांत वर्मा की तरफ से जनता पार्टी के नेताओं का मजाक उड़ाने के लिए गढ़ा गया नारा- ‘एक शेरनी सौ लंगूर, चिकमंलूर भाई चिकमंगलूर’ बेहद चर्चा में रहा।
इंदिरा गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस 1984 में हुए आम चुनाव का केंद्र पूरी तरह से इंदिरा गांधी बन गईं. पार्टी अपना हर काम इंदिरा गांधी के नाम से ही करती थी।
इस चुनाव में कांग्रेस को अभूतपूर्व जीत मिली, मगर इसके पीछे भी उस दौरान दिया गया एक खास नारा – ‘जब तक सूरज चांद रहेगा, इंदिरा तेरा नाम रहेगा’ काफी अहम था जिनसे लोगों को सीधे इंदिरा गांधी की शहादत से जोड़े रखा।