भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और सीएम योगी की देर रात तक चली बैठक में अवध की 16 सीटों पर हुआ मंथन

लखनऊ: भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने सोमवार रात यहां अवध क्षेत्र में चुनाव प्रबंधन से जुड़े लोगों को जीत का मंत्र देने के साथ ही असंतुष्टों को साधने पर जोर दिया।
उन्होंने समझाया कि दिल्ली के ताज के लिए अवध की 16 सीटों पर भाजपा का परचम फहराना जरूरी है।
उन्होंने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्रनाथ पांडेय, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, प्रदेश प्रभारी जेपी नड्डा, महामंत्री संगठन सुनील बंसल और अवध क्षेत्र के प्रभारी जेपीएस राठौर के साथ देर रात बैठक कर सभी 16 सीटों के प्रभारियों, संचालक, जिलाध्यक्ष और जिला प्रभारियों के साथ चुनाव प्रबंधन पर बात की।
अवध क्षेत्र में लखनऊ, मोहनलालगंज, रायबरेली, उन्नाव, सीतापुर, धौरहरा, लखीमपुर, हरदोई, मिश्रिख, फैजाबाद, बाराबंकी, अंबेडकरनगर, गोंडा, श्रावस्ती, बहराइच और कैसरगंज लोकसभा क्षेत्र हैं।
भाजपा ने अवध की 16 सीटों को सीतापुर, अयोध्या, गोंडा और लखनऊ क्लस्टर में बांटा है। इस बार अवध क्षेत्र में कई नए चेहरे हैं।
छह लोकसभा क्षेत्रों में भाजपा ने नये उम्मीदवार उतारे हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में अवध क्षेत्र की 16 सीटों में रायबरेली को छोड़कर 15 पर भाजपा जीती थी।
रायबरेली में तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने चुनाव जीता था।
भाजपा ने इस बार रायबरेली भी कांग्रेस से छीनकर अवध की सभी 16 सीटों पर भगवा परचम फहराने की रणनीति बनाई है। अंबेडकरनगर के अलावा सभी सीटों के प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं।
सोमवार रात 11 बजे लखनऊ पहुंचे अमित शाह ने पहले सीतापुर, गोंडा, अयोध्या और लखनऊ क्लस्टर की लोकसभा सीटों के प्रभारी और संचालकों के साथ बैठक की। इसके बाद एक-एक लोकसभा क्षेत्र के बारे में जानकारी ली।
शाह ने पूछा कि भाजपा प्रत्याशी के मुकाबले सपा-बसपा गठबंधन और कांग्रेस का उम्मीदवार कौन है? वहां की जातीय स्थिति क्या है, गठबंधन और कांग्रेस में भाजपा का मुकाबला किससे होने की संभावना है, विरोधियों की ताकत और कमजोरी क्या है? भाजपा उम्मीदवार की स्थिति क्या है और किन तरीकों से भाजपा की स्थिति को और मजबूत बनाया जा सकता है?
शाह ने यह भी समझा कि कौन-कौन से ऐसे चेहरे हैं, जिन्हें साथ लेकर भाजपा की स्थिति को और मजबूत किया जा सकता है।
जिन सांसदों का टिकट काटा गया है, उनकी और उनके समर्थकों की चुनाव में भूमिका की जानकारी भी ली।
अवध क्षेत्र में ही फैजाबाद लोकसभा सीट भी है जहां अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि स्थल है। शाह ने मंदिर मुद्दे पर माहौल की स्थिति को भी समझा।
खासतौर से अवध क्षेत्र की कई सीटों पर मुस्लिम-यादव और अनुसूचित जाति की काफी आबादी को देखते हुए उन्होंने मुस्लिम मतदाताओं का रुझान और अनुसूचित जाति तथा यादव वोटों के गठजोड़ की जमीनी सच्चाई को भी समझने की कोशिश की।
यह भी जाना कि कार्यकर्ताओं के बीच उम्मीदवारों को लेकर कहीं कोई नाराजगी या विरोध जैसी परिस्थितियां तो नहीं हैं।
उन्होंने चुनाव प्रबंधन से जुड़े पदाधिकारियों को अपने वोट बैंक को जोड़े रखने के साथ उन्हें बूथों पर पहुंचाने पर ध्यान देने को कहा।
उन्होंने भाजपा के संकल्प पत्र और लोगों के लिए चलाई गई योजनाओं की जानकारी देने पर भी जोर दिया।
भाजपा ने अभी गोरखपुर, देवरिया, संतकबीरनगर, अंबेडकरनगर, प्रतापगढ़, जौनपुर, घोसी और भदोही में अपने उम्मीदवार घोषित नहीं किए हैं।
शाह ने इन क्षेत्रों की संभावना और दावेदारों की स्थिति पर चर्चा की। संकेत मिले हैं कि एक-दो दिन में इन सभी क्षेत्रों के उम्मीदवार घोषित कर दिए जाएंगे।
सपा-बसपा गठबंधन छोड़कर भाजपा में शामिल हुए गोरखपुर के सपा सांसद प्रवीण निषाद और पिता डॉ. संजय निषाद की पार्टी निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल (निषाद) तथा सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष और योगी सरकार के मंत्री ओमप्रकाश राजभर की मांगों पर भी शाह के समक्ष चर्चा हुई।
इनका समायोजन कहां होगा, इस पर अभी कोई निर्णय नहीं हुआ लेकिन, संकेत यही है कि एक-दो दिन में इन पर भी फैसला हो जाएगा।