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ठंडाई सेहत के लिए अमृत

गर्मियों का मौसम आते ही दिमाग में ठंडी-ठंडी ठंडाई का ख़्याल आने लगता है, जो पेट को ठंडक देने के साथ मन को भी संतुष्ट करती है.

ठंडाई सेहत के लिए अमृत

लेकिन साथ ही ये भी ख़्याल आता है कि कौन सी ठंडाई है बेहतर? आजकल बाजार में ठंडाई के बहुत सारे विकल्प मौजूद हैं जिसमें से सही और सेहतमंद ठंडाई का चयन करना मुश्किल हो जाता है.

गर्मियों में ठंडाई पीना अमृत से कम नहीं, ठंडाई गर्मी के प्रकोप को दूर करने के साथ साथ शरीर को तुरंत शक्ति देने वाला ग़ज़ब का पेय है.

दिमागी टॉनिक के साथ ये अनेक बड़े रोगों की रामबाण दवा भी है. आजकल के मॉडर्न युवा जहाँ प्यास बुझाने के लिए कोल्ड ड्रिंक्स जैसे ज़हर इस्तेमाल करते हैं, वहीँ पर भारतीय घरों में गर्मियों की शान है ठंडाई, ये बाज़ार में बनी बनाई मिल जाती है, जिसको एक गिलास पानी या दूध की लस्सी (एक हिस्सा दूध और तीन हिस्से पानी) में  सिर्फ 20 – 30 मि. ली. डालकर तुरंत पी सकतें हैं. और ठंडाई को आप घर पर भी बना सकते हैं.

बाज़ार में मिलने वाली ठंडाई जहाँ चीनी से बनी होती है और इसमें प्रिस्र्वेटिवस भी मिले होतें हैं. वही पर आप इसको मिश्री डालकर खुद ही घर पर बनायें तो इसके गुणों में चार चाँद लग जायेंगे.

ठंडाई बनाने के लिए आवश्यक सामग्री:-

  •     सौंफ 100 ग्राम
  •     खस खस 50 ग्राम
  •     मगज खरबूजा 50 ग्राम (खरबूजे से निकलने वाले बीजो की गिरियाँ)
  •     काली मिर्च 60 ग्राम
  •     बादाम 150 ग्राम
  •     इलायची दाना 20 ग्राम
  •     केसर 3 ग्राम
  •     गुलाब जल 30 मि ली
  •     मिश्री 2.0 कि ग्रा
  •     वंश लोचन 3 ग्राम
  •     पानी 1.5 लीटर

ठंडाई बनाने की विधि:-

  1. रात को बादाम, सौंफ, काली मिर्च, मगज और खस खस को अलग अलग भिगो देंवें।
  2. सुबह इन सबको अलग अलग पीस लें। बादाम के छिलके उतार कर पीसना है।
  3. अब पिसे हुए सौंफ को 1.5 लीटर पानी में उबालें। (इतना उबालें कि, आधा लीटर तक पानी उड़ जाये।) इस पानी में से सौंफ को छान कर फेंक दें। छने हुए पानी को पुनः उबालें। एक उबाल आने पर मिश्री डाल कर 10 मिनट तक उबलने दें। पानी के ऊपर से मैल निकाल लें। इस मिश्री युक्त पानी को छान लीजिये और छानने के बाद इस में पिसे हुए बादाम, खस खस, काली मिर्च और मगज मिलाकर आधे घण्टे तक उबालने के बाद ठंडा होने दें।
  4. वंश लोचन को बारीक पीस लें।
  5. केसर और इलायची दाने को पीस कर गुलाब जल में घोट लें।
  6. वंशलोचन, केसर इलायची और गुलाबजल के मिश्रण को ठंडाई में मिला कर बोतलों में भर लें।

ठंडाई के फायदे.

1. एसिडिटी – पेट में गर्मी

जिनको अम्ल पित्त, पित्त प्रकोप और उदर में ज्यादा गर्मी होने की तथा पेट में जलन होने की शिकायत हो उनको गर्मियों में सुबह खाली पेट दूध की लस्सी में ठंडे डालकर पीना बहुत फायदेमंद है.
2. मुंह में छाले

मुँह में छाले होते रहते हों तो ठंडाई का नित्य सेवन करने से छाले होना बंद हो जायेंगे.
3. पेशाब में जलन

अगर पेशाब करते समय जलन हो तो ठंडाई का नित्य सेवन करने से ये समस्या दूर हो जाती है.
4. आँखों में जलन

आँखों में जलन हो ठंडाई का रोजाना सेवन करने से इसमें बहुत आराम आता है.
5. अलसर (पेट के छालों में)

पेट में अल्सर होने पर यह बहुत ही रामबाण है. दिन में 3-4 बार दूध की लस्सी में ठंडाई डालकर पीने से अल्सर में थोड़े दिनों में ही आराम होता है.
6. स्वपनदोष और शीघ्रपतन

शरीर में अति उष्णता बढ़ जाने से तथा पित्त के कुपित रहने से जिन्हे स्वप्नदोष और शीघ्रपतन होने की शिकायत हो उनके लिए इसका सेवन अत्यधिक फायदेमंद है. शीघ्रपतन के रोगियों को इसे दूध में डालकर पीना चाहिए. और स्वपन दोष के रोगियों को इसे दूध की लस्सी में.
7. रक्तप्रदर और श्वेत प्रदर में.

स्त्रियों को रक्तप्रदर या श्वेतप्रदर की समस्या होने पर 40 दिन तक नियमित रूप से ठंडाई का सेवन करने से बहुत लाभ होता है।
8. दिमागी टॉनिक.

ठंडाई एक प्रकार का दिमागी टॉनिक भी है. गर्मियों में ठंडाई का नियमित सेवन दिमागी काम करने वालों और पढने वाले बच्चों के लिए ये विशेष रूप से लाभकारी है.

नोट : इस आर्टिकल में दी गई जानकारियां रिसर्च पर आधारित हैं । इन्‍हें लेकर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूरी तरह सत्‍य और सटीक हैं, इन्‍हें आजमाने और अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें.

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पणजी में पर्रिकर के अंतिम दर्शन के लिए उमड़ी भीड़,राष्ट्रिय शोक घोषित, भाजपा के सभी कार्यक्र्म रद्द

पणजी: 

गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर का अंतिम संस्कार सोमवार शाम यहां मिरामर में किया जाएगा. बीजेपी के एक प्रवक्ता ने यह जानकारी दी. चार बार के मुख्यमंत्री और पूर्व रक्षा मंत्री पर्रिकर (63) फरवरी 2018 से ही अग्नाशय संबंधी बीमारी से जूझ रहे थे.

पिछले एक साल से बीमार चल रहे बीजेपी के वरिष्ठ नेता का स्वास्थ्य दो दिन पहले बहुत बिगड़ गया था. 

सूत्रों ने बताया कि पूर्व रक्षा मंत्री पर्रिकर शनिवार देर रात से ही जीवनरक्षक प्रणाली पर थे. राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मुख्यमंत्री का निधन रविवार शाम छह बजकर चालीस मिनट पर हुआ.

वक्ता ने बताया कि पर्रिकर का पार्थिव शरीर सोमवार को सुबह साढ़े नौ से साढ़े दस बजे तक बीजेपी मुख्यालय में रखा जाएगा. उसके बाद पार्थिव शरीर को कला अकादमी ले जाया जाएगा.

उन्होंने बताया कि लोग सुबह 11 बजे से लेकर शाम चार बजे तक कला अकादमी में पर्रिकर के अंतिम दर्शन कर उन्हें श्रद्धांजलि दे सकेंगे.  पर्रिकर की अंतिम यात्रा शाम चार बजे शुरू होगी. उनकी अंतिम संस्कार शाम करीब पांच बजे मिरामर में किया जाएगा.

केंद्र सरकार ने उनके निधन पर सोमवार को राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है. गृह मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने बताया कि राष्ट्रीय राजधानी, केंद्र शासित प्रदेशों और राज्य की राजधानियों में राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा.

सोमवार को सुबह 10 बजे केंद्रीय मंत्रिमंडल की विशेष बैठक होगी. पर्रिकर का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा.


मध्यमवर्गिय परिवार में 13 दिसंबर, 1955 में जन्मे पर्रिकर ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक के रूप में करियर शुरू किया. यहां तक कि आईआईटी बंबई से स्नातक करने के बाद भी वह संघ से जुड़े रहे.

सक्रिय राजनीति में पर्रिकर का पदार्पण 1994 में पणजी सीट से भाजपा टिकट पर चुनाव जीतने के साथ हुआ. वह 2014 से 2017 तक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कैबिनेट में रक्षा मंत्री रहे.


राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक के तौर पर शुरुआत कर गोवा के मुख्यमंत्री और देश के रक्षा मंत्री बनने वाले पर्रिकर की छवि हमेशा ही बहुत सरल और सामान्य व्यक्ति की रही.

वह सर्वस्वीकार्य नेता थे. ना सिर्फ भाजपा बल्कि दूसरे दलों के लोग भी उनका मान-सम्मान करते थे. उन्होंने गोवा में भाजपा को मजबूत आधार प्रदान किया. लंबे समय तक कांग्रेस का गढ़ रहने वाले गोवा में क्षेत्रीय संगठनों की पकड़ के बावजूद भाजपा उनके कारण मजबूत हुई.


राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ट्वीट किया है, ‘गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर के निधन की सूचना पाकर शोकाकुल हूं.’ उन्होंने कहा कि सार्वजनिक जीवन में वह ईमानदारी और समर्पण की मिसाल हैं. गोवा और भारत की जनता के लिए उनके काम को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा.

पर्रिकर के निधन पर शोक जताते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ट्वीट किया है, ‘श्री मनोहर पर्रिकर बेमिसाल नेता थे. एक सच्चे देशभक्त और असाधारण प्रशासक थे, सभी उनका सम्मान करते थे. देश के प्रति उनकी निस्वार्थ सेवा पीढ़ियों तक याद रखी जाएगी. उनके निधन से बहुत दुखी हूं. उनके परिवार और समर्थकों के प्रति संवेदनाएं. शांति.’  

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ATM के बिना भी निकाल सकते हैं, जिसमें यूजर्स बिना एटीएम कार्ड के पैसा निकाल सकते है।

पहले बैंक से पैसे निकालना बहुत मुश्किल था, क्योंकि बैंक से वही पैसा निकाल सकता है जिसका अकाउंट था। इसके लिए लोगों को कई तरह की स्लिप भरनी पड़ती थी, जिसके बाद पैसा मिलता था। 

डेबिट कार्ड के आने के बाद से ही लोगों को पैसे निकालने में आसानी होती है और एटीएम मशीन से भी जल्दी से पैसा निकाल जाता है। हम आपको जानकारी देने वाले है, जिसमें आप बिना एटीएम कार्ड के पैसा निकाल सकते है। 

 दरअसल स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने अपने ग्राहकों को लिए एक नई योजना पेश की है, जिसके तहत यूजर्स बिना डेबिट कार्ड के पैसा निकाल सकते है।

एसबीआई ने योनो कैश के नाम से नई सेवा का लॉन्च किया है, जिसमें यूजर्स बिना एटीएम कार्ड के पैसा निकाल सकते है। 

एसबीआई की इस सेवा का लाभ उठाने के लिए सबसे पहले यूजर्स को योनो मोबाइल ऐप को डाउनलोड करना होगा।  

इसके बाद यूजर्स को योनो ऐप में 6 नंबर वाला पिन सेट करना होगा और इसके बाद यूजर्स को इस ऐप में पैसा निकालने के लिए रिक्वेस्ट करनी होगी।  

अब यूजर्स के पास 6 नंबर वाला एक पिन आएगा, जिसको एंटर करने के बाद किसी भी एटीएम से पैसा निकाल सकते है। लेकिन इस पिन का समय सिर्फ 30 मिनट का ही है।  

यह सर्विस आम एटीएम में उपलब्ध नहीं है। इसके लिए एसबीआई ने देश में करीब 16,500 एटीएम में योनो कैश प्वाइंट सेवा दी है। जिसमें यूजर्स आसानी से बिना एटीएम कार्ड के पैसा निकाल सकते है। 

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गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर का निधन हो गया

गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर का निधन हो गया है। पूर्व रक्षा मंत्री और गोवा के सीएम मनोहर पर्रिकर 63 साल के थे।

मनोहर पर्रिकर अग्नाशय कैंसर की बीमारी से जूझ रहे थे।

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सस्ते घरों का सपना विरोध के चलते फंसता दिख रहा

सस्ते घरों का सपना राज्यों के विरोध के चलते फिर फंसता दिख रहा है।

राज्यों की दलील है कि संपत्ति में जीएसटी लागू करने का अधिकार उन्हें मिलना चाहिए तभी इसका सही फायदा बिल्डरों और ग्राहकों दोनों को पहुंच पाएगा। 

पश्चिम बंगाल सहित कई राज्य एक अप्रैल से रियल एस्टेट में जीएसटी की नई दरों का फायदा देने का विरोध कर रहे हैं। विरोध करने वाले राज्यों का कहना है कि इनपुट टैक्स क्रेडिट का फायदा अगर सही ढ़ंग से न दिया गया तो फायदा नहीं होगा।

राज्य चाहते हैं कि जीएसटी की नई दरें कब, कैसे लागू की जाएं, इसका अधिकार राज्यों को दिया जाए। राज्यों ने कहा कि अगर एक अप्रैल से ही दरें लागू कर दी गईं तो संपत्ति की कीमतें घटने के बजाए बढ़ सकती हैं।

सूत्रों के अनुसार जीएसटी पर लॉ कमेटी ने सिफारिश की थी कि पुराने घरों पर बिल्डरों को जो इनपुट टैक्स क्रेडिट का फायदा बिल्डरों को मिलना है वो एक अप्रैल के बाद नहीं मिल पाएगा।

पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री इस मुद्दे को लेकर जीएसटी परिषद को चिट्ठी लिखने की तैयारी में हैं।

अब जीएसटी दरों को लागू करने की व्यवस्था पर लॉ कमेटी की सिफारिशों के आधार पर 19 मार्च को होने वाली जीएसटी परिषद की बैठक मे मंथन किया जाएगा।

बैठक में कोई रास्ता नहीं निकला और विरोध बढ़ा तो एक अप्रैल की तारीख को बढ़ाने पर भी विचार किया जा सकता है। 

पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री इस मुद्दे को लेकर जीएसटी परिषद को चिट्ठी लिखने की तैयारी में हैं।

अब जीएसटी दरों को लागू करने की व्यवस्था पर लॉ कमेटी की सिफारिशों के आधार पर 19 मार्च को होने वाली जीएसटी परिषद की बैठक मे मंथन किया जाएगा।

बैठक में कोई रास्ता नहीं निकला और विरोध बढ़ा तो एक अप्रैल की तारीख को बढ़ाने पर भी विचार किया जा सकता है। 

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आठवीं कक्षा के बाल वैज्ञानिक नीरज कुमार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गांधीनगर में हुए फेस्टिवल ऑफ इनोवेशन एंड इंटरप्रेनरशिप में सम्मानित किया

उत्तराखंड के चंपावत:

राजकीय इंटर कॉलेज के आठवीं कक्षा के बाल वैज्ञानिक नीरज कुमार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गांधीनगर में हुए फेस्टिवल ऑफ इनोवेशन एंड इंटरप्रेनरशिप में सम्मानित किया।

शुक्रवार को हुए कार्यक्रम में उन्हें इस सम्मान से नवाजा गया। राष्ट्रपति कोविंद ने उनके ऑटोमैटिक वाटर टैंक प्रोजेक्ट की प्रशंसा की।

कार्यक्रम में देशभर के 60 बाल वैज्ञानिकों को प्रोजेक्टों के लिए सम्मान मिला।

इस मौके पर बाल वैज्ञानिक नीरज कुमार के साथ मार्गदर्शक शिक्षक भौतिक विज्ञान के प्रवक्ता मनोज कुमार जोशी भी थे।

नीरज ने ऑटोमेटिक वाटर टैंक मॉडल बनाया है। लकड़ी का यह बॉक्स पानी के आम टैंक से अलग है।

इसके भीतरी हिस्से में वाटर टैंक है। बाहर की तरफ नल लगा हुआ है। साथ ही एक प्रेशर-पैड बना हुआ है।

प्रेशर-पैड पर पांवों की सहायता से दाब डालने से तुरंत ही नल से पानी निकलने लगता है।

दबाव के हटते ही पानी का निकलना भी बंद हो जाता है। दिव्यांग पांव के दबाव से इस टैंक का उपयोग कर सकते हैं। साथ ही इससे पानी की बर्बादी भी रुकेगी। 

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इंडोनेशिया के पपुआ प्रांत में बाढ़ का कहर

इंडोनेशिया के पपुआ प्रांत में भीषण बाढ़ की खबर है।

इस बाढ़ में अब तक 42 लोगों की जान जा चुकी है तो वहीं 21 लोग घायल बताए जा रहे हैं।

राहत बचान टीम ने रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू कर दिया है। 

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इंडोनिशया के पूर्वी प्रांत पापुआ में अचानक आई बाढ़ से कम से कम 42 लोगों की मौत हो गई है।

अधिकारियों ने रविवार को बताया कि प्रांतीय राजधानी जयपुरा के पास स्थित सेंतानी में शनिवार को भारी बारिश के चलते बाढ़ आ गई जिसमें कम से कम 42 लोगों की मौत हो गई और 21 अन्य घायल हो गए। 

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पुरस्कार लेने पहुंची थीमक्का ने आशीर्वाद स्वरूप राष्ट्रपति के माथे को हाथ लगाया

नई दिल्ली: 

पद्म पुरस्कारों के वितरण समारोह में राष्ट्रपति भवन का कड़ा प्रोटोकाल भी कर्नाटक में हजारों पौधे लगाने के लिये पद्म श्री से सम्मानित 106 साल की सालूमरदा थीमक्का को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को आशीर्वाद देने से नहीं रोक सका.

पुरस्कार लेने पहुंची थीमक्का ने आशीर्वाद स्वरूप राष्ट्रपति के माथे को हाथ लगाया. 

थीमक्का ने बरगद के 400 पेड़ों समेत 8000 से ज्यादा पेड़ लगाएं हैं और यही वजह है कि उन्हें ‘वृक्ष माता’ की उपाधि मिली है.

उन्हें राष्ट्रपति भवन में शनिवार को अन्य विजेताओं के साथ पद्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया. 

कड़े प्रोटोकाल के तहत आयोजित होने वाले समारोह में हल्के हरे रंग की साड़ी पहने थीमक्का ने अपने मुस्कुराते चेहरे के साथ माथे पर ‘त्रिपुण्ड्र’ लगा रखा था.

जब थीमक्का से 33 साल छोटे राष्ट्रपति ने पुरस्कार देते वक्त उनसे चेहरा कैमरे की तरफ करने को कहा तो उन्होंने राष्ट्रपति का माथा छू लिया और आशीर्वाद दिया. 

थीमक्का के इस सहज कदम से राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और अन्य मेहमानों के चेहरे पर मुस्कान आ गई और समारोह कक्ष उत्साहपूर्वक तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा. 

थीमक्का की कहानी धैर्य और दृढ़ संकल्प की कहानी है. जब वह उम्र के चौथे दशक में थीं तो बच्चा न होने की वजह से खुदकुशी करने की सोच रही थीं, लेकिन अपने पति के सहयोग से उन्होंने पौधरोपण में जीवन का संतोष तलाश लिया. 

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इस बार सर्दी ने रिकॉर्ड सारे तोडे- मौसम विशेषज्ञ

दिल्ली:

इस साल सर्दी में बार-बार बदल रहे मौसम से दिल्ली वासी ही हैरान-परेशान नहीं हैं, बल्कि मौसम विशेषज्ञ भी इसे सामान्य नहीं मान रहे हैं।

उनकी नजर में इस बार दिल्ली की सर्दी असामान्य है। इस बार जितने रिकॉर्ड टूटे हैं, उतने पहले कभी नहीं टूटे। इसके पीछे जलवायु परिवर्तन का असर भी बताया जा रहा है।

सर्दी के बाद गर्मी के मौसम में भी ऐसी ही हालत रह सकती है। आमतौर पर सर्दी का मौसम नवंबर से फरवरी तक माना जाता है, लेकिन इस बार सर्दी मार्च के तीसरे सप्ताह में भी प्रभावी है।

इस बार तो कई बार ऐसी स्थिति आई जब दिल्ली को शिमला से भी ठंडा बताया गया। सात फरवरी को बड़े स्तर पर हुई ओलावृष्टि ने तो सभी को हैरत में डाल दिया था।

एक मार्च को 118 वर्षों में सबसे अधिक ठंड पड़ने वाली तिथि के रूप में दर्ज किया गया। इस बार पश्चिमी विक्षोभ भी एक के बाद एक आते रहे तो बारिश ने भी पिछले तमाम रिकॉर्ड तोड़ दिए।

कोहरा भी इस बार नहीं के बराबर ही नजर आया।

भारतीय मौसम विभाग के विशेषज्ञ बताते हैं कि सामान्यतया फरवरी से पश्चिमी विक्षोभ धीरे-धीरे ऊपरी अक्षांश की ओर जाना शुरू हो जाते हैं।

इससे भारतीय क्षेत्र प्रभावित नहीं होता। इस बार पश्चिमी विक्षोभ दक्षिण की तरफ ज्यादा रहे हैं यानी भारतीय क्षेत्र पर ही प्रभावी हो रहे हैं।

एक तथ्य यह भी सामने आ रहा है कि जनवरी में पश्चिमी विक्षोभ की अधिकता के पीछे भी यही कारण था लेकिन वर्तमान में यह स्थिति न होने के बावजूद पश्चिमी विक्षोभ प्रभावी साबित हो रहे हैं।

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किर्ति आज़ाद के लिए दरभंगा सीट बनी चुनौती

दरभंगाः 

महागठबंधन में सीटों का फॉर्मूला तय होने की बात कही जा रही है. हालांकि लोकसभा चुनाव 2019 के लिए सीटों पर उम्मीदवारी की पेंच महागठबंधन से लेकर एनडीएतक फंसी है. महागठबंधन में सीट शेयरिंग के फॉर्मूले को लेकर कहा जा रहा है कि कांग्रेस 11 सीटों पर बिहार में चुनाव लड़ेगी.

सूत्रों की माने तो 21+11+5+2+1 का फॉर्मूला अपनाया गया है. यानी की आरजेडी 21, कांग्रेस 11, आरएलएसपी 5, हम 2 और वीआईपी को 1 सीट मिलेगी. लेकिन उम्मीदवारी को लेकर कई सीटों पर गणित उलझ रही है. जिसमें अब दरभंगा और मधुबनी सीट को लेकर भी पेंच फंसती नजर आ रही है.

हाल ही में कांग्रेस में शामिल होने वाले कीर्ति आजाद के लिए यह अच्छी खबर नहीं है. लेकिन दरभंगा सीट पर कांग्रेस की ओर से ताल ठोकने वाले कीर्ति आजाद से यह सीट छिन सकती है.

कीर्ति आजाद कांग्रेस ज्वाइन करने से पहले ही दरभंगा सीट पर लड़ने का दावा कर रहे थे. वहीं, कांग्रेस में आने के बाद भी वह दरभंगा सीट से ही लड़ने का दावा कर रहे थे. लेकिन अब इस सीट पर पेंच फंसती दिख रही है.

वहीं, दरभंगा सीट के अलावा मधुबनी सीट से चुनाव लड़ने वाले अब्दुल बारी सिद्दीकि के लिए भी अच्छी खबर नहीं है.

माना जा रहा है कि दरभंगा सीट आरजेडी के पाले में जा सकती है और अब्दुल बारी सिद्दीकि मधुबनी के स्थान पर दरभंगा सीट से चुनाव लड़ सकते हैं. ऐसे में कीर्ति आजाद के खाते में कौन सी सीट होगी यह भी बड़ा सवाल उठ रहा है.

दरअसल, कांग्रेस विधायक भावना झा के एक बयान के बाद दरभंगा और मधुबनी सीट पर पेंच फंसने के कयास बिहार की राजनीति में शुरू हो गए.

दरभंगा के बेनीपट्टी से विधायक भावना झा ने मधुबनी सीट पर शकील अहमद के लिए मांगा है. उन्होंने कहा कि सिद्दीकि साहब दरभंगा सीट से चुनाव लड़ें तो बेहतर होगा.

वहीं, दरभंगा सीट पर कीर्ति आजाद की दावेदारी को लेकर कहा कि वह बड़े नेता हैं. वह बड़े चेहरे हैं पूरे बिहार में कहीं से भी चुनाव लड़ेंगे तो वह जीत जाएंगे.

लेकिन दरभंगा सीट पर सिद्दीकि साहब को मिलेगा तो बेहतर होगा. क्योंकि मधुबनी सीट पर शकील अहमद की मजबूत पकड़ हैं.