जानकर दंग रह जाएंगे आप,जमीं पर होगा आसमां जैसा सफर

जमीन पर आसमां जैसे सफर का अहसास दिलाने वाली वंदे भारत एक्सप्रेस का सफर आश्चर्य भरा है।

देश में ही निर्मित पहली सेमी हाई स्पीड वाली इस ट्रेन के सफर के दौरान महसूस हुआ…कि सोचा जाए तो काफी कुछ किया जा सकता है।

ट्रेन बाहर से देखने पर किसी बुलट ट्रेन की तरह दिखाई देती है।

हर कोई ट्रेन की खूबसूरती को निहारने और अंदर की खूबियां जानने को बेताब था।

इसके प्रवेश द्वार स्वचालित हैं, जो कि आमतौर पर वायुयान में भी नहीं होते।

इसका सबसे बड़ा फायदा चलती ट्रेन में चढने और नहीं उतरने का विकल्प समाप्त होने का है।

फायदा बड़ा है, ट्रेन के नीचे आने की दुर्घटनाएं कम होंगी।

अंदर जाने पर वायुयान जैसी अनुभूति होती है।

वंदे भारत ने रेलवे के इतिहास में सुनहरा पन्ना जोड़ा है।

आज है, जया एकादशी व्रत 2019

Jaya Ekadashi Vrath 2019

जया एकादशी : हिंदू धर्म में एकादशी के व्रत का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। प्रत्येक वर्ष चौबीस एकादशियां होती हैं, आैर जब भी अधिकमास या मलमास आता है तो इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है। पौराणिक मान्यताआें के अनुसार एक बार धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान श्री कृष्ण से पूछा कि माघ शुक्ल एकादशी को किसकी पूजा करनी चाहिए, तथा इस एकादशी का क्या महात्मय है। इस भगवान ने उत्तर दिया कि इस एकादशी को जया एकादशी कहते हैं। यह एकादशी बहुत ही पुण्यदायी होती है। इसका व्रत करने से व्यक्ति सभी नीच योनि अर्थात भूत, प्रेत, पिशाच की योनि से मुक्त हो जाता है। श्री कृष्ण ने इस से जुड़ी एक कथा भी युधिष्ठिर को सुनाई, जो इस प्रकार है।

भगवान के बताया कि एक बार नंदन वन में उत्सव चल रहा था। इस उत्सव में सभी देवता, सिद्ध संत और दिव्य पुरूष आये थे। इसी दौरान एक कार्यक्रम में गंधर्व गायन कर रहे थे और गंधर्व कन्याएं नृत्य कर रही थीं। इसी सभा में गायन कर रहे माल्यवान नाम के गंधर्व पर नृत्यांगना पुष्पवती मोहित हो गयी। अपने प्रबल आर्कघण के चलते वो सभा की मर्यादा को भूलकर ऐसा नृत्य करने लगी कि माल्यवान उसकी ओर आकर्षित हो जाए। एेसा ही हुआ आैर माल्यवान अपनी सुध बुध खो बैठा और गायन की मर्यादा से भटक कर सुर ताल भूल गया। इन दोनों की भूल पर इन्द्र क्रोधित हो गए आैर दोनों को श्राप दे दिया कि वे स्वर्ग से वंचित हो जाएं और पृथ्वी पर अति नीच पिशाच योनि को प्राप्त हों। श्राप के प्रभाव से दोनों पिशाच बन गये और हिमालय पर्वत पर एक वृक्ष पर अत्यंत कष्ट भोगते हुए रहने लगे। एक बार माघ शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन दोनो अत्यंत दु:खी थे जिस के चलते उन्होंने सिर्फ फलाहार किया आैर उसी रात्रि ठंड के कारण उन दोनों की मृत्यु हो गर्इ। इस तरह अनजाने में जया एकादशी का व्रत हो जाने के कारण दोनों को पिशाच योनि से मुक्ति भी मिल गयी। वे पहले से भी सुन्दर हो गए और पुन: स्वर्ग लोक में स्थान भी मिल गया। जब देवराज इंद्र ने दोनों को वहां देखा तो चकित हो कर उनसे मुक्ति कैसे मिली यह पूछा। तब उन्होंने बताया कि ये भगवान विष्णु की जया एकादशी का प्रभाव है। इन्द्र इससे प्रसन्न हुए और कहा कि वे जगदीश्वर के भक्त हैं इसलिए अब से उनके लिए आदरणीय हैं अत: स्वर्ग में आनन्द पूर्वक विहार करें।

गूगल ने महान अभिनेत्री मधुबाला के जन्मदिन पर शेयर किया ये खास डूडल

वैलेंटाइन डे के दिन पैदा हुई भारतीय सिनेमा की महान अभिनेत्री मधुबाला का आज 86वां जन्मदिन है। गूगल ने इस खास मौके पर डूडल बनाकर मधुबाला को याद किया है। गूगल ने अपने डूडल पर मधुबाला की बहुत कलरफुल इमेज बनाई है। ये फोटो उनकी आईकॉनिक फोटो है। हर साल उनका जन्मदिन वैलेंटाइन डे के दिन मनाया जाता है। 

भारतीय सिनेमा की सबसे खूबसूरत अभिनेत्रियों में शुमार मधुबाला का वैक्स स्टैच्यू मैडम तूषाद में लगाया गया है। फिल्मों में अपने अभिनय से दिल जीतने वाली मधुवाला का स्टैच्यू हू-ब-हू उनकी तरह दिखता है।

 वहीं दिलीप कुमार ने ब्यूटी क्वीन मधुबाला के साथ काफी हिट फिल्म दी वहीं देव आनंद साहब का नाम भी इस लिस्ट में आता है। कहते हैं कि दिलीप साहब और मधुबाला के बीच अफेयर की शुरुआत फिल्म हिट के दौरान ही होने लगी थी। लेकिन फिल्म नया दौर ने दोनों के रिश्ते के बीच खाई पैदा कर दी।

अभिनेत्री मधुबाला का जन्म 14 फरवरी 1933 को राजधानी दिल्ली में हुआ। लेकिन माता पिता ने बेटी की परवरिश के लिए दिल्ली से बेहतर मुंबई को समझा और वो मुंबई आ गए। लेकिन 23 फरवरी 1969 को दिल की एक बीमारी की वजह से महज 36 साल की उम्र में उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया।

सरस्वती पूजा : 2019 : वसंत पंचमी

देश में वसंत पंचमी  का त्योहार मनाया जा रहा है। पंचमी तिथि शनिवार 9 फरवरी को दिन में 8 बजकर 55 मिनट से लग रही है, जो रविवार 10 फरवरी को दिन में 9 बजकर 59 मिनट तक रहेगी। उदया तिथि ग्राह्य होने से 10 फरवरी को ही वसंत पंचमी मनाई जाएगी।

इस दिन मां सरस्वती की पूजा का विशेष दिन माना जाता है और मां सरस्वती ही बुद्धि और विद्या की देवी हैं। मान्यता है कि जिस छात्र पर मां सरस्वती की कृपा हो उसकी बुद्धि बाकी छात्रों से अलग और बहुत ही प्रखर होती है। 

मां सरस्वती की प्रतिमा अथवा तस्वीर को सामने रखकर उनके सामने धूप-दीप, अगरबत्ती, गुगुल जलाएं जिससे वातावरण में सकारात्मक उर्जा का संचार हो और आसपास से नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाएगी। 

प्रात:काल स्नानादि कर पीले वस्त्र धारण करें. मां सरस्वती की प्रतिमा को सामने रखें तत्पश्चात क्लश स्थापित कर भगवान गणेश और नवग्रह की विधिवत पूजा करें. फिर मां सरस्वती की पूजा करें. मां की पूजा करते समय सबसे पहले उन्हें आचमन और स्नान कराएं. फिर माता का श्रृंगार कराएं. माता श्वेत वस्त्र धारण करती हैं इसलिए उन्हें श्वेत वस्त्र पहनाएं. प्रसाद के रुप में खीर अथवा दूध से बनी मिठाईयां अर्पित करें. श्वेत फूल माता को अर्पण करें !




धर्मपाल गुलाटी : उन्हें गणतंत्र दिवस के मौके पर पद्मभूषण से सम्मानित किया

विज्ञापन में आने वाले यह दुनिया के सबसे अधिक उम्र के स्टार के रूप में जाने जाते हैं। धर्मपाल गुलाटी 95 वर्ष के हैं। लेकिन उनकी प्रसिद्धि की केवल यही एक वजह नहीं है। गुलाटी 2 हजार करोड़ रुपये के एमडीएच ग्रुप के मालिक भी हैं। और उन्हें गणतंत्र दिवस के मौके पर पद्मभूषण से सम्मानित किया गया है। ट्रेड एवं इंडस्ट्री में काम के लिए उन्हें ये पुरस्कार मिला है। गुलाटी को लोग महाशय कहकर संबोधित करते हैं। उनके कपड़े पहनने के अंदाज और मूछों के कारण लोगों ने उन्हें ये नाम दिया है। जो उन्हें काफी पसंद भी आता है। गुलाटी का कहना है, “मैं कोई और नशा नहीं करता, मुझे प्यार का नशा है। मुझे यह बहुत पसंद है जब बच्चे और युवा मुझसे मिलते हैं और मेरे साथ सेल्फी लेते हैं।”गुलाटी कक्षा 5 ड्रॉपआउट हैं। वह एफएमसीजी सैक्टर में सबसे अधिक कमाने वाले सीईओ हैं। सूत्रों के अनुसार 2018 में उन्हें 25 करोड़ रुपये की सैलरी मिली है। 27 मार्च, 1923 में सियालकोट (अब पाकिस्तान में) में जन्म लेने वाले गुलाटी की सफलता की कहानी काफी मशहूर है। आजादी के बाद हुए बंटवारे में गुलाटी और उनका परिवार केवल 1500 रुपये हाथ में लिए भारत आए थे। इसके बाद उन्होंने एक तांगेवाले के तौर पर काम करना शुरू किया। लेकिन बाद में उनके परिवार ने करोल बाग के अजमल खान रोड पर एक मसाले की दुकान खोलने के लिए संसाधन जुटा लिए।

उनका व्यापार धीरे-धीरे बढ़ा और आज गुलाटी की भारत और दुबई में 18 फैक्ट्रियां हैं। जहां से दुनियाभर में एमडीएच मसालों की सप्लाई की जाती है। कंपनी 62 उत्पाद बेचती है और उत्तर भारत में 80 फीसदी मार्केट शेयर का दावा करती है। गुलाटी दो महीने बाद 96 साल के होने वाले हैं, बावजूद इसके वह हर रोज कम से कम एक फैक्ट्री में जाते हैं। चाहे फिर वह दिल्ली की फैक्ट्री हो या फरीदाबाद और गुरुग्राम की। उन्होंने मसाले का जो इतना बड़ा बिजनेस खड़ा किया है इसे संभालने में उनका बेटा और छह बेटियां मदद करती हैं। वह खुद को राजाना की खबरों से अपडेट रखते हैं।

गुलाटी का कहना है कि उनकी लंबी उम्र का राज उनकी अच्छी डाइट और रोजाना की जाने वाली एक्सरसाइज है। वो कहते हैं, “मैं बुड्ढा नहीं हूं, जवान हूं।” नेहरू पार्क में सैर करने के लिए वह रोज सुबह 4 बजे उठते हैं, वह योगा भी करते हैं और फिर नाश्ता करते हैं। वह शाम को भी सैर करने जाते हैं।

GURUDWARA SHRI NADA SAHIB PANCHKULA(HARYANA)

BRIEF HISTORY

Shri Guru Gobind Singh Ji Mahararj After The Glourious VictoryIn The Battle of Bhangani Went To Paonita Sahib While Going From Paonta Sahib To Shri Anandpur Sahib, On the way Guru Ji Visited Nahan, Toka Sahib, Raipur Rani And Finally After Manak Tabra in 1746, Guru Ji Visited The Land of Nada Sahib And Made It Sacred. Here Guru Ji Ordered His Army To Halt And Rest For A While.

For Detailed

Today At This Place, Gurudwara Shri Nada Shaib Is Situated On The Bank Of Ghaghar River, Commemorates People From All Around. Firstly Bhai Nadu Shah Came And Welcome Guru Ji And His Army. Trough Out Their Stay, Bhai Nadu Shah Whole Heatedly Served Guru Ji With Food And Milk. Guru Ji Was Pleased With His Service And Asked Bhai Nadu Shah’s Occupation. In Repl He Said That He Is A Preety Farmer And A Poor Follower Of You. Guru Ji Blessed Bhai Nadu Shah That Because of His Serving, This Place Would Be Famous By The Name Of Bhai Nadu Shah And His Name Winn Be Fulfilled .

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The Place Remained Obscure Until Bhai Motha Sing Who Beloned to Nearby Village Discovered The Scared Spot And Saised A Platform To Prepetutate The Memory Of Guru Ji’s Visit.

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