’श्री माता मनसा देवी पर चोला अर्पित करने की ऑनलाइन बुकिंग प्रक्रिया शुरू’

आज अन्तर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस 2019 है, जिसे मई दिवस के नाम से भी जाना जाता है

दुनियाभर में 1 मई का दिन अन्तर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस या मई दिवस के तौर पर मनाया जाता है। 

World Labor Day 2019

जो हर बाधा को करता है दूर, उसका ङटकर मुकाबला करता है, उसका नाम है मज़दूर !

मज़दूर दिवस की शुभकामनाएं!

मई दिवस और मजदूरों की कुर्बानियों के इतिहास के बीच यह भी गौरतलब है कि लड़ कर हासिल तमाम मजदूर अधिकारों का आज छीनने का दौर चल रहा है।

आज अन्तर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस 2019 है, जिसे मई दिवस के नाम से भी जाना जाता है।

लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि मजदूर दिवस क्यों मनाया जाता है ,

मजदूर दिवस।

आज ही के दिन 1886 में अमेरिका के शिकागो शहर में मजदूरों ने पूंजीवादी शोषण के खिलाफ और काम के घंटे निर्धारित किये जाने, यूनियन बनाने के अधिकार समेत तमाम मजदूर अधिकारों के लिए ऐतिहासिक हड़ताल की थी।

इस हड़ताल पर बर्बर दमन ढाया गया। कई दिनों तक चले संघर्ष में कई मजदूर हताहत हुए और 8 मजदूर नेताओं को तो एक साल बाद नवम्बर 1887 में फांसी पर चढ़ा दिया गया।

8 घंटे का कार्यदिवस जो पूरी दुनिया मे लागू हुआ, उस अधिकार के लिए मजदूरों की कुर्बानियों के इतिहास का प्रतीक दिन है-मई दिवस। भारत में भी मजदूर अधिकारों के संघर्षों की लंबी परम्परा है।

उसके बाद निरन्तर कपड़ा मिलों, जूट मिलों समेत तमाम कारखानों में मजदूर अपने अधिकारों के लिए लड़ते रहे और हड़ताल को संघर्ष के सब से प्रभावी हथियार के तौर पर उपयोग में लाते रहे।

1908 में देश के मजदूरों ने पहली राजनीतिक हड़ताल की। लोकमान्य तिलक को जून 1908 में अंग्रेजों ने राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया। इस गिरफ्तारी के खिलाफ हजारों मजदूर सड़कों पर उतर आए। जुलाई के महीने में जब मुकदमें की कार्यवाही शुरू हुई तो मजदूरों का संघर्ष और तीखा हो गया।

रूस के क्रांतिकारी नेता कामरेड लेनिन ने इस हड़ताल का स्वागत किया और कहा कि तिलक की गिरफ्तारी के खिलाफ उभरा मजदूरों का यह संघर्ष और उससे पैदा हुए वर्ग चेतना अंग्रेजी साम्राज्य को नेस्तनाबूद कर देगी।

मई दिवस और मजदूरों की कुर्बानियों के इतिहास के बीच यह भी गौरतलब है कि लड़ कर हासिल तमाम मजदूर अधिकारों का आज छीनने का दौर चल रहा है। 8 घण्टे काम का अधिकार हो या यूनियन बनाने का अधिकार, सब धीरे-धीरे खत्म किये जा रहे हैं।

वाइट कॉलर नौकरीपेशा लोगों की एक बड़ी जमात है, जो स्वयं को मजदूर कहलाना पसंद नही करती, लेकिन पूंजी के शोषण की भरपूर मार झेलती है।

मजदूर अधिकारों और श्रम कानूनों पर हमले के इस दौर में अथाह कुर्बानियों से हासिल इन अधिकारों को बचाने के लिए मजदूरों के एकताबद्ध संघर्ष ही एकमात्र रास्ता हैं।

दुनिया में मजदूर अधिकारों का संघर्ष और भारत मे मजदूर अधिकारों के संघर्ष का इतिहास बताता है कि दुनिया भर में मजदूरों ने एक ही तरह से लड़ कर अपने अधिकार हासिल किए हैं।

इसलिये आज जो मई दिवस को बाहरी बता रहे हैं, वे मजदूरों की कुर्बानियों के समूचे इतिहास को ही मिटा देना चाहते हैं। वे मजदूरो के पक्षधर लोग नही हैं। वे मजदूरों के जायज हकों पर डाका डालने वाले, सत्ता में बैठे बाउंसर हैं।

इसलिए मजदूरों के कुर्बानियों के इतिहास में दरार पैदा करने की कोशिशों के खिलाफ मजदूरों की एकता के जरिये मुंहतोड़ जवाब दिया जाए।

दुनियाभर के मेहनतकशों की एकजुटता का आह्वान करने वाले कार्ल मार्क्स के नारे को बुलन्द करें- दुनिया के मजदूरो, एक हो।

जो हर बाधा को करता है दूर, उसका ङटकर मुकाबला करता है, उसका नाम है मज़दूर !

“मज़दूर दिवस की शुभकामनाएं”!

’श्री माता मनसा देवी पर चोला अर्पित करने की ऑनलाइन बुकिंग प्रक्रिया शुरू’

भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को दी गई एक दिन पहले फांसी – 23 March – शहीद दिवस

भारत की आजादी के लिए आज ही के दिन हंसते-हंसते फांसी के फंदे पर झूलने वाले महान स्वंतत्रता सेनानियों शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु के बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। 

भगत सिंह और उनके साथी राजगुरु और सुखदेव को फांसी दिया जाना भारत के इतिहास में दर्ज सबसे बड़ी एवं महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक है

23 मार्च 1931 को भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के क्रांतिकारी भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी दी गई थी।

23 मार्च को शहीद दिवस के रूप में भी जाना जाता है।

भगत सिंह और उनके साथी राजगुरु और सुखदेव को फांसी दिया जाना भारत के इतिहास में दर्ज सबसे बड़ी एवं महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक है

असेंबली में बम फेंकने के बाद भगत सिंह  वंहा से भागे नहीं लेकिन ब्रिटिश सरकार की चालबाजी का शिकार हो गये और गलत आरोप लगाकर उन्हें फांसी की सजा सुना दी गयी ।

भगत सिंह, शिवराम राजगुरु और सुखदेव को 24 मार्च 1931 को फांसी दी जानी थी, लेकिन एक दिन पहले 23 मार्च को दी उन्हें फांसी दे दी गई थी क्योंकि तीनों वीर सपूतों को फांसी देने का एलान पहले ही किया जा चुका था।

23 मार्च की आधी रात को अंग्रेज हुकूमत ने भारत के तीन सपूतों- भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फंसी पर लटका दिया था। देश की आजादी के लिए खुद को देश पर कुर्बान करने वाले इन महान क्रांतिकारियों को याद करने के लिए ही शहीद दिवस मनाया जाता है।

यह खबर आग की तरह पूरे देश भर में फैल गई थी। लोग ब्रिटिश सरकार पर भड़के हुए थे और वे तीनों वीर सपूतों को देखना चाहते थे।

तीनों को फांसी को लेकर जिस तरह से लोग प्रदर्शन और विरोध कर रहे थे उससे अंग्रेज सरकार डर गई थी। माहौल को बिगड़ता देखकर ही फांसी का दिन और समय बदला दिया गया और एक दिन पहले ही फांसी दे दी।

Google ने महिलाओं के लिए खास Doodle बनाकर किया समर्पित – अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2019

गूगल ने खास तौर पर महिलाओं सशक्‍तीकरण और उनको सम्‍मान देनें के लिए ही इस डूडल को बनाया है।

Happy International Women’s Day 2019

आज पूरे विश्व में अंतरराष्ट्रीय महिलाओं दिवस 2019 मनाया जा रहा है।

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2019 के खास अवसर पर दूनिया की दिग्गज सर्च इंजन कंपनी गूगल ने महिलाओं के लिए खास डूडल (Google Doodle) बनाकर उन्हें समर्पित किया हैं।

गूगल ने खास तौर पर महिलाओं सशक्‍तीकरण और उनको सम्‍मान देनें के लिए ही इस डूडल को बनाया है।

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2019 के डूडल को खास उद्देश्य सिर्फ महीला सशक्‍तीकरण को बढ़ाना है।

गूगल ने अपने खास डूडल में 14 स्लाइड्स को जोड़ा है, जिसमें 14 अलग भाषाओं में महिला सशक्‍तीकरण के कोट्स लिखे हैं।

गूगल के इस डूडल में भारतीय मुक्केबाज मैरी कॉम का कोट भी शामिल है। मैरी कॉम ने लिखा है कि यह मत कहिए कि आप कमजोर हैं क्योंकि आप एक महिला हैं। 

गूगल ने अपने डूडल को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर शेयर करने का ऑप्शन भी दिया है। 

महिलाओं के सम्मान, राजनीतिक और सामाजिक उपलब्धियों को बढ़ावा देने के लिए महिला दिवस 2019 के खास अवसर पर हर साल 8 मार्च को मनाया जाता है।

नारियल तेल का इस्तेमाल करेंगे तो दिखेंगे यंग

नारियल तेल का इस्तेमाल करेंगे तो दिखेंगे यंग

नारियल तेल के स्वास्थ्य संबंधी काफी लाभ होते हैं।

इसके औषधीय गुण आपकी सेहत, सुंदरता और बालों को स्वस्थ बनाए रखते हैं।

यह स्किन और बालों को प्राकृतिक रूप से मुलायम और चमकीला बनाता है।

त्वचा को मॉस्चराइजर करना हो या बालों की कंडीशनिंग, नारियल तेल सबसे अच्छा विकल्प है।

यहां ऐसे कई फायदे बताए जा रहे हैं जो कि आपकी उम्र से छोटा दिखाने में मदद करेंगे:

नारियल का तेल ड्राय स्किन को मुलायम बनाता है। नहाने से 20 मिनट पहले नारियल तेल से फुल बॉडी की मसाज करें और बाद में ताजे पानी से नहा लें। 

नारियल का तेल सनबर्न से भी आपकी त्वचा की रक्षा करता है।

इसमें एंटी एजिंग की गुण पाए जाते हैं। आंखों के आस-पास हाथों पर नारियल तेल की कुछ बूंदे लेकर मसाज करें। इससे स्किन ग्लोइंग और मुलायम बनेगी। इसके इस्तेमाल से डार्क सर्कल और झुर्रियां नहीं पड़ती है।

चेहरे पर कील मुंहासों के या किसी चोट के निशान हैं तो नारियल तेल के लगातार इस्तेमाल करें। दाग-धब्बे दूर हो जाएंगे।

चीनी में नारियल तेल की कुछ बूंदे मिलाकर आप स्क्रब की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे डेड स्किन और टैनिंग उतरेगी।

 इससे पसीने से होने वाली घमोरियो की परेशानी भी दूर रहती है। खाज- खुजली की समस्या होने पर भी इसी तेल का इस्तेमाल करें ताकि त्वचा में नमी बनीं रहें और खुजली की समस्या भी न हो।

 तेल से अपनी अंगलियों की मसाज करें इससे खून का प्रवाह सही होता हैं। नाखूनों के आस-पास की उप त्वचा उखड़ेगी नहीं। नाखूनों की मसाज करें। इससे नाखूनों में भी शाइन आती है।

एंबुलेंस डिवाइडर तोड़ते हुए दूसरी ओर से आ रही गाड़ी से टकराई : Yamuna Expressway

मथुरा में बलदेव क्षेत्र के गांव सुखदेव बुर्ज के पास यमुना एक्सप्रेसवे पर मंगलवार की सुुबह एक कार और एंबुलेंस आमने-सामने टकरा गईं। इसमें 7 लोगों की मौत हो गई।

कार टूंडला से नोएडा की ओर जा रही थी, जबकि एंबुलेंस दिल्ली से बिहार के लिए शव लेकर जा रही थी। घायलों को जिला अस्पताल से आगरा भेजे जाने की खबर है।

मिली जानकारी के अनुसार नोएडा की ओर से आ रही एंबुलेंस (जेके 02 सीबी 0102) बिहार के लिए शव लेकर निकली थी। एक्सप्रेसवे के चेंज नम्बर 138 के पास किसी वजह से एंबुलेंस बेकाबू होकर डिवाइडर पार कर दूसरी तरफ पहुंच गई। उसी समय सामने से टूंडला में शादी समारोह से लौटकर दिल्ली जा कार (यूपी 80 सीजी 4860) आ गई। कार में तीन लोग सवार थे। इसमें दोनों ओर से 7 लोगों की मौत हो गई। मृतकों में दो महिलाएं, एक बालिका व अन्य पुरुष हैं।

एक मेजर की चल रही थी अंतिम विदाई तभी आई दूसरे मेजर के शहीद होने की खबर, उत्तराखंड ने फिर खोया ‘लाल’

सोमवार को एक ओर राजौरी आईईडी धमाके में शहीद चित्रेश को आखिरी विदाई दी गई। वहीं दूसरी ओर देहरादून का एक और लाल सीमा पर आंतकियों से लोहा लेते हुए शहीद हो गया।

दक्षिणी कश्मीर के पुलवामा जिले के पिंगलिन इलाके में रविवार को आधी रात के बाद शुरू हुई मुठभेड़ में उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के मेजर डीएस ढौंडियाल शहीद हो गए हैं। उनका आवास देहरादून के चुक्कुवाला में है। शहादत की खबर के बाद से परिवार में मातम पसरा हुआ है। शहीद मेजर का संबंध 55 राष्ट्रीय रायफल्स से है। 

पिताजी स्व. ओमप्रकाश ढौंडियाल सीडी एयरफोर्स में थे।

2012 में उनका निधन हो गया था। 

2018 में शहीद का विवाह हुआ था।

उनकी पत्नी नितिका कश्मीरी पंडित हैं।

जानकारी के मुताबिक शहीद का शव आज ही देहरादून पहुंचेगा।

सेना तैयारी में जुट गई है।