*MC Chandigarh conducts anti-encroachment drive in sector 34 Green Belt area*

Google ने डूडल के साथ ICC कार्यक्रम की शुरुआत की

Google ने डूडल के साथ ICC कार्यक्रम की शुरुआत की

गूगल ने गुरुवार को इंग्लैंड में ICC क्रिकेट विश्व कप 2019 की शुरुआत डूडल बनाकर की।

दस टीमें एक महीने तक चलने वाले टूर्नामेंट में एक-दूसरे के साथ भिड़ेंगी जो 14 जुलाई को अपने फाइनल का आयोजन करेगी।

टूर्नामेंट के पहले मैच में मेजबान इंग्लैंड का सामना दक्षिण अफ्रीका से होगा।

*MC Chandigarh conducts anti-encroachment drive in sector 34 Green Belt area*

Google ने 7वें चरण के मतदान को लेकर बनाया स्पेशल डूडल

Google ने 7वें चरण के मतदान को लेकर बनाया स्पेशल डूडल

भारत में लोकसभा चुनाव 2019 जारी है, जिसमें सभी राजनीतिक पार्टियां एक-दूसरे पर पलटवार कर रही हैं।

चुनाव 2019 (Elections 2019) को ध्यान में रखकर दिग्गज राजनीतिक पार्टियां जमकर प्रचार कर रही हैं और इस बार देश के लोगों की भी इन चुनावों पर नजर बना रखी है।

आज देश के 8 राज्यों की 58 सीटों पर मतदान का सातवां चरण जारी है और इसको ध्यान में रखकर दिग्गज टेक कंपनी Google ने स्पेशल डूडल बनाया है।

गूगल के डूडल में देखें को इसमें एक अंगुली बनी है, जिसमें स्याही लगी है। यह मतदान करने के बाद लगाई जाती है।

लोकसभा चुनाव 2019 (Lok Shabha Elections 2019) को लेकर गूगल ने अपने डूडल में वोट करने के तरीके को बताया है।

अगर आप भी गूगल के इस डूडल पर टैप करेंगे, तो आपको कैसे मतदान करें इसकी पूरी जानकारी मिल जाएगी।

19 मई 2019 आज सातवें चरण में बिहार, मध्य प्रदेश, पंजाब, हिमाचल, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, झारखंड और चंडीगढ़ की सीटों पर मतदान जारी हैं।

अब तक छह चरण पूरे हो चुके हैं और 23 मई 2019 को परिणाम आएंगे।

आज सातवें चरण की वोटिंग जारी है। आपको बता दें कि आखरी चरण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकसभा सीट वाराणसी भी शामिल है।

अब तक छह चरण पूरे हो चुके हैं और 23 मई 2019 को परिणाम आएंगे।

*MC Chandigarh conducts anti-encroachment drive in sector 34 Green Belt area*

सेटअप बॉक्स के बिना भी आप देख सकेंगे टीवी

दिल्ली: आज टीवी हर एक व्यक्ति के घर में है। टीवी ही एक ऐसा साधन है, जिसके जरिए लोग अपना मनोरंजन करते हैं।

वैसे तो मार्केट में कई डीटूएच कंपनियां मौजूद हैं, लेकिन उनमे से सिर्फ वीडियोकॉम और टाटा स्काई ऐसी कंपनियां हैं, जो कि अपने ग्राहकों को कम कीमत में ज्यादा चैनल दे रही हैं।

वहीं, टीवी पर चैनल्स देखने के लिए लोगों को सेटअप बॉक्स लगाना पड़ता है, तभी चैनल देखें जा सकते हैं।

अगर हम कहें कि अब आप भी बिना सेटअप बॉक्स के ही टीवी चैनल देख सकते हैं, तो आपको यह बात सुनकर थोड़ी हैरानी होगी। 

दरअसल, डीटूएच कंपनी Tata Sky ने अपने ग्राहकों के लिए Tata Sky Binge सेवा को लॉन्च किया है। टाटा स्काई बिंग बिलकुल अमेज़न फायर स्टिक की तरह है और इसके जरिए बिना सेटअप बॉक्स के ही टीवी देखा जा सकता है।

Tata Sky Binge अपने ग्राहकों को अमेज़न फायर स्टिक की तरह की प्रीमियम कंटेंट देखने का एक्सिस देता है।

वहीं, ग्राहक भी टाटा स्काई बिंग पर केवल 249 रुपए में अपने अनुसार टीवी पर अपना पसंदीदा कंटेंट देख सकेंगे।

इसके लिए ग्राहकों को प्रति माह 249 रुपए का भुगतान करना होगा।

अगर आपके पास स्मार्ट टीवी है या फिर ऐसा टीवी है, जिसमें एचडीएमआई पोर्ट हो। तो तभी आप टाटा स्काई की नई सेवा लाभ उठा सकेंगे और इसके लिए घर में वाई-फाई इंटरनेट कनेक्शन भी होना चाहिए।

टाटा स्काई बिंग को इस्तेमाल करने के लिए लोगों को अपने फोन में टाटा स्काई ऐप से कंटेंट को एक्सिस करना होगा और इसके बाद लोग फोन में मौजूदा कंटेंट को देख सकेंगे।

इसके अलावा लोगों को टाटा स्काई बिंग के साथ एक रिमोट मिलेगा, जो कि वॉयस कमांड फीचर से लैस होगा।

टाटा स्काई की इस सेवा का लाभ उठाने के लिए आपको सबसे पहले टाटा स्काई एडिशन पैक को खरीदना होगा, जिसमें आपको टाटा स्काई बिंग प्री-लोडेड ही मिलेगा।

आप भी टाटा स्काई बिंग को 3,999 रुपए में खरीद सकते हैं और इसके बाद कंटेंट के लिए आपको हर महीने 249 रुपए का भुगतान करना होगा।

*MC Chandigarh conducts anti-encroachment drive in sector 34 Green Belt area*

श्री सीता नवमी 2019 को जानकी नवमी भी कहते हैं, जानिेए कैसे ?

श्री सीता नवमी 2019:

वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को जनकनंदनी एवं प्रभु श्रीराम की प्राणप्रिया, सर्वमंगलदायिनी, पतिव्रताओं में शिरोमणि श्री सीताजी का प्राकट्य हुआ। यह दिन जानकी नवमी या सीता नवमी के नाम से जाना जाता है। धर्मशास्त्रों के अनुसार इस पावन पर्व पर जो भी भगवान राम  सहित माँ जानकी का व्रत-पूजन करता है, उसे पृथ्वी दान का फल एवं समस्त तीर्थ भ्रमण का फल स्वतः ही प्राप्त हो जाता है एवं समस्त प्रकार के दु:खों, रोगों व संतापों से मुक्ति मिलती है।

भगवान श्रीराम की अर्द्धांगिनी देवी सीता जी का जन्मदिवस फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी को तो मनाया जाता ही है परंतु वैशाख मास के शुक्लपक्ष की नवमी तिथि को भी जानकी-जयंती के रूप में मनाया जाता है क्योंकि रामायण के अनुसार वे वैशाख में अवतरित हुईं थीं, किन्तु ‘निर्णयसिन्धु’ के ‘कल्पतरु’ ग्रंथानुसार फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष के दिन सीता जी का जन्म हुआ था इसीलिए इस तिथि को सीताष्टमी के नाम से भी संबोद्धित किया गया  है अत: दोनों ही तिथियाँ उनकी जयंती हेतु मान्य हैं तथा दोनों ही तिथियां हिंदू धर्म में बहुत पवित्र मानी गई हैं। इस दिन वैष्णव संप्रदाय के भक्त माता सीता के निमित्त व्रत रखते हैं और पूजन करते हैं। मान्यता है कि जो भी इस दिन व्रत रखता व श्रीराम सहित सीता का विधि-विधान से पूजन करता है, उसे पृथ्वी दान का फल, सोलह महान दानों का फल तथा सभी तीर्थों के दर्शन का फल अपने आप मिल जाता है। अत: इस दिन व्रत करने का विशेष महत्त्व है। 

शास्त्रों के अनुसार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी के दिन पुष्य नक्षत्र में जब महाराजा जनक संतान प्राप्ति की कामना से यज्ञ की भूमि तैयार करने के लिए हल से भूमि जोत रहे थे, उसी समय पृथ्वी से एक बालिका का प्राकट्य हुआ। जोती हुई भूमि को तथा हल की नोक को भी ‘सीता’ कहा जाता है, इसलिए बालिका का नाम ‘सीता’ रखा गया। 

सीता जन्म कथा सीता के विषय में रामायण और अन्य ग्रंथों में जो उल्लेख मिलता है, उसके अनुसार मिथिला के राजा जनक के राज में कई वर्षों से वर्षा नहीं हो रही थी। इससे चिंतित होकर जनक ने जब ऋषियों से विचार किया, तब ऋषियों ने सलाह दी कि महाराज स्वयं खेत में हल चलाएँ तो इन्द्र की कृपा हो सकती है। मान्यता है कि बिहार स्थित सीममढ़ी का पुनौरा नामक गाँव ही वह स्थान है, जहाँ राजा जनक ने हल चलाया था। हल चलाते समय हल एक धातु से टकराकर अटक गया। जनक ने उस स्थान की खुदाई करने का आदेश दिया। इस स्थान से एक कलश निकला, जिसमें एक सुंदर कन्या थी। राजा जनक निःसंतान थे। इन्होंने कन्या को ईश्वर की कृपा मानकर पुत्री बना लिया। हल का फल जिसे ‘सीत’ कहते हैं, उससे टकराने के कारण कालश से कन्या बाहर आयी थी, इसलिए कन्या का नाम ‘सीता’रखा गया था। ‘वाल्मीकि रामायण’ के अनुसार श्रीराम के जन्म के सात वर्ष, एक माह बाद वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को जनक द्वारा खेत में हल की नोक (सीत) के स्पर्श से एक कन्या मिली, जिसे उन्होंने सीता नाम दिया। जनक दुलारी होने से ‘जानकी’, मिथिलावासी होने से ‘मिथिलेश’ कुमारी नाम भी उन्हें मिले। वर्तमान में मिथिला नेपाल का हिस्सा हैं अतः नेपाल में इस दिन को बहुत उत्साह से मनाते हैं । वास्तव में सीता, भूमिजा कहलाई क्यूंकि राजा जनक ने उन्हें भूमि से प्राप्त किया था । 

वेदों, उपनिषदों तथा अन्य कई वैदिक वाङ्मय में उनकी अलौकिकता व महिमा का उल्लेख एवं  उनके स्वरूप का विस्तार पूर्वक वर्णन किया गया है जहाँ ऋग्वेद में एक स्तुति के अनुसार कहा गया है कि असुरों का नाश करने वाली सीता जी आप हमारा कल्याण करें एवं इसी प्रकार सीता उपनिषद जो कि अथर्ववेदीय शाखा से संबंधित उपनिषद है जिसमें सीता जी की महिमा एवं उनके स्वरूप को व्यक्त किया गया है। इसमें सीता को शाश्वत शक्ति का आधार बताया गया है तथा उन्हें ही प्रकृति में परिलक्षित होते हुए देखा गया है। सीता जी को प्रकृति का स्वरूप कहा गया है तथा योगमाया रूप में स्थापित किया गया है।

अष्टमी तिथि को ही नित्यकर्मों से निर्मित होकर शुद्ध भूमि पर सुंदर मंडप बनाएं, जो तोरण आदि से मंडप के मध्य में सुंदर चौकोर वेदिका पर भगवती सीता एवं भगवान श्री राम की स्थापना करनी चाहिए। पूजन के लिए स्वर्ण, रजत, ताम्र, पीतल, एवं मिट्टी इनमें से यथासंभव किसी एक वस्तु से बनी हुई प्रतिमा की स्थापना की जा सकती है। मूर्ति के अभाव में चित्रपट से भी काम लिया जा सकता है। जो भक्त मानसिक पूजा करते हैं उनकी तो पूजन सामग्री एवं आराध्य सभी भाव में ही होते हैं। भगवती सीता एवं भगवान श्री राम की प्रतिमा के साथ साथ पूजन के लिए राजा जनक, माता सुनैना, पुरोहित शतानंद जी, हल और माता पृथ्वी की भी प्रतिमा स्थापित करनी चाहिए। नवमी के दिन नित्य कर्म से निवृत्त होकर श्री जानकी राम का संकल्प पूर्वक पूजन करना चाहिए। सर्वप्रथम पंचोपचार से श्री गणेश जी और भगवती पार्वती का पूजन करना चाहिए। फिर मंडप के पास ही अष्टदल कमल पर विधिपूर्वक कलश की स्थापना करनी चाहिए। यदि मंडप में प्राण-प्रतिष्ठा हो तो मंडप में स्थापित प्रतिमा या चित्र में प्राण प्रतिष्ठा करनी चाहिए। प्रतिमा के कपड़ों का स्पर्श करना चाहिए। भगवती सीता का श्लोक के अनुसार ध्यान करना चाहिए।आज के दिन माता सीता की पूजन करने से सर्वश्रेष्ठ लाभ प्राप्त होता है।

श्री वाल्मीकि रामायण के अनुसार श्री राम के जन्म के सात वर्ष तथा एक माह पश्चात भगवती सीता जी का प्राकट्य हुआ। गोस्वामी तुलसीदास जी बालकांड के प्रारम्भ में आदिशक्ति सीता जी की वंदना करते हुए कहते हैं :

‘‘उद्भवस्थिति संहारकारिणी क्लेशहारिणीम्।

सर्वश्रेयस्करीं सीतां नतोऽहं रामवल्लभाम्॥’’

माता जानकी ही जगत की उत्पत्ति, पालन और संहार करने वाली तथा समस्त संकटों तथा क्लेशों को हरने वाली हैं। वह मां भगवती सीता सभी प्रकार का कल्याण करने वाली रामवल्लभा हैं। उन भगवती सीता जी के चरणों में प्रणाम है, मां सीता जी ने ही हनुमान जी को उनकी असीम सेवा भक्ति से प्रसन्न होकर अष्ट सिद्धियों तथा नव-निधियों का स्वामी बनाया।

‘‘अष्टसिद्धि नव-निधि के दाता।

अस वर दीन जानकी माता॥’’

सीता-राम वस्तुत: एक ही हैं।

*MC Chandigarh conducts anti-encroachment drive in sector 34 Green Belt area*

आज अन्तर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस 2019 है, जिसे मई दिवस के नाम से भी जाना जाता है

दुनियाभर में 1 मई का दिन अन्तर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस या मई दिवस के तौर पर मनाया जाता है। 

World Labor Day 2019

जो हर बाधा को करता है दूर, उसका ङटकर मुकाबला करता है, उसका नाम है मज़दूर !

मज़दूर दिवस की शुभकामनाएं!

मई दिवस और मजदूरों की कुर्बानियों के इतिहास के बीच यह भी गौरतलब है कि लड़ कर हासिल तमाम मजदूर अधिकारों का आज छीनने का दौर चल रहा है।

आज अन्तर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस 2019 है, जिसे मई दिवस के नाम से भी जाना जाता है।

लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि मजदूर दिवस क्यों मनाया जाता है ,

मजदूर दिवस।

आज ही के दिन 1886 में अमेरिका के शिकागो शहर में मजदूरों ने पूंजीवादी शोषण के खिलाफ और काम के घंटे निर्धारित किये जाने, यूनियन बनाने के अधिकार समेत तमाम मजदूर अधिकारों के लिए ऐतिहासिक हड़ताल की थी।

इस हड़ताल पर बर्बर दमन ढाया गया। कई दिनों तक चले संघर्ष में कई मजदूर हताहत हुए और 8 मजदूर नेताओं को तो एक साल बाद नवम्बर 1887 में फांसी पर चढ़ा दिया गया।

8 घंटे का कार्यदिवस जो पूरी दुनिया मे लागू हुआ, उस अधिकार के लिए मजदूरों की कुर्बानियों के इतिहास का प्रतीक दिन है-मई दिवस। भारत में भी मजदूर अधिकारों के संघर्षों की लंबी परम्परा है।

उसके बाद निरन्तर कपड़ा मिलों, जूट मिलों समेत तमाम कारखानों में मजदूर अपने अधिकारों के लिए लड़ते रहे और हड़ताल को संघर्ष के सब से प्रभावी हथियार के तौर पर उपयोग में लाते रहे।

1908 में देश के मजदूरों ने पहली राजनीतिक हड़ताल की। लोकमान्य तिलक को जून 1908 में अंग्रेजों ने राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया। इस गिरफ्तारी के खिलाफ हजारों मजदूर सड़कों पर उतर आए। जुलाई के महीने में जब मुकदमें की कार्यवाही शुरू हुई तो मजदूरों का संघर्ष और तीखा हो गया।

रूस के क्रांतिकारी नेता कामरेड लेनिन ने इस हड़ताल का स्वागत किया और कहा कि तिलक की गिरफ्तारी के खिलाफ उभरा मजदूरों का यह संघर्ष और उससे पैदा हुए वर्ग चेतना अंग्रेजी साम्राज्य को नेस्तनाबूद कर देगी।

मई दिवस और मजदूरों की कुर्बानियों के इतिहास के बीच यह भी गौरतलब है कि लड़ कर हासिल तमाम मजदूर अधिकारों का आज छीनने का दौर चल रहा है। 8 घण्टे काम का अधिकार हो या यूनियन बनाने का अधिकार, सब धीरे-धीरे खत्म किये जा रहे हैं।

वाइट कॉलर नौकरीपेशा लोगों की एक बड़ी जमात है, जो स्वयं को मजदूर कहलाना पसंद नही करती, लेकिन पूंजी के शोषण की भरपूर मार झेलती है।

मजदूर अधिकारों और श्रम कानूनों पर हमले के इस दौर में अथाह कुर्बानियों से हासिल इन अधिकारों को बचाने के लिए मजदूरों के एकताबद्ध संघर्ष ही एकमात्र रास्ता हैं।

दुनिया में मजदूर अधिकारों का संघर्ष और भारत मे मजदूर अधिकारों के संघर्ष का इतिहास बताता है कि दुनिया भर में मजदूरों ने एक ही तरह से लड़ कर अपने अधिकार हासिल किए हैं।

इसलिये आज जो मई दिवस को बाहरी बता रहे हैं, वे मजदूरों की कुर्बानियों के समूचे इतिहास को ही मिटा देना चाहते हैं। वे मजदूरो के पक्षधर लोग नही हैं। वे मजदूरों के जायज हकों पर डाका डालने वाले, सत्ता में बैठे बाउंसर हैं।

इसलिए मजदूरों के कुर्बानियों के इतिहास में दरार पैदा करने की कोशिशों के खिलाफ मजदूरों की एकता के जरिये मुंहतोड़ जवाब दिया जाए।

दुनियाभर के मेहनतकशों की एकजुटता का आह्वान करने वाले कार्ल मार्क्स के नारे को बुलन्द करें- दुनिया के मजदूरो, एक हो।

जो हर बाधा को करता है दूर, उसका ङटकर मुकाबला करता है, उसका नाम है मज़दूर !

“मज़दूर दिवस की शुभकामनाएं”!

*MC Chandigarh conducts anti-encroachment drive in sector 34 Green Belt area*

भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को दी गई एक दिन पहले फांसी – 23 March – शहीद दिवस

भारत की आजादी के लिए आज ही के दिन हंसते-हंसते फांसी के फंदे पर झूलने वाले महान स्वंतत्रता सेनानियों शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु के बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। 

भगत सिंह और उनके साथी राजगुरु और सुखदेव को फांसी दिया जाना भारत के इतिहास में दर्ज सबसे बड़ी एवं महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक है

23 मार्च 1931 को भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के क्रांतिकारी भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी दी गई थी।

23 मार्च को शहीद दिवस के रूप में भी जाना जाता है।

भगत सिंह और उनके साथी राजगुरु और सुखदेव को फांसी दिया जाना भारत के इतिहास में दर्ज सबसे बड़ी एवं महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक है

असेंबली में बम फेंकने के बाद भगत सिंह  वंहा से भागे नहीं लेकिन ब्रिटिश सरकार की चालबाजी का शिकार हो गये और गलत आरोप लगाकर उन्हें फांसी की सजा सुना दी गयी ।

भगत सिंह, शिवराम राजगुरु और सुखदेव को 24 मार्च 1931 को फांसी दी जानी थी, लेकिन एक दिन पहले 23 मार्च को दी उन्हें फांसी दे दी गई थी क्योंकि तीनों वीर सपूतों को फांसी देने का एलान पहले ही किया जा चुका था।

23 मार्च की आधी रात को अंग्रेज हुकूमत ने भारत के तीन सपूतों- भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फंसी पर लटका दिया था। देश की आजादी के लिए खुद को देश पर कुर्बान करने वाले इन महान क्रांतिकारियों को याद करने के लिए ही शहीद दिवस मनाया जाता है।

यह खबर आग की तरह पूरे देश भर में फैल गई थी। लोग ब्रिटिश सरकार पर भड़के हुए थे और वे तीनों वीर सपूतों को देखना चाहते थे।

तीनों को फांसी को लेकर जिस तरह से लोग प्रदर्शन और विरोध कर रहे थे उससे अंग्रेज सरकार डर गई थी। माहौल को बिगड़ता देखकर ही फांसी का दिन और समय बदला दिया गया और एक दिन पहले ही फांसी दे दी।

Google ने महिलाओं के लिए खास Doodle बनाकर किया समर्पित – अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2019

गूगल ने खास तौर पर महिलाओं सशक्‍तीकरण और उनको सम्‍मान देनें के लिए ही इस डूडल को बनाया है।

Happy International Women’s Day 2019

आज पूरे विश्व में अंतरराष्ट्रीय महिलाओं दिवस 2019 मनाया जा रहा है।

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2019 के खास अवसर पर दूनिया की दिग्गज सर्च इंजन कंपनी गूगल ने महिलाओं के लिए खास डूडल (Google Doodle) बनाकर उन्हें समर्पित किया हैं।

गूगल ने खास तौर पर महिलाओं सशक्‍तीकरण और उनको सम्‍मान देनें के लिए ही इस डूडल को बनाया है।

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2019 के डूडल को खास उद्देश्य सिर्फ महीला सशक्‍तीकरण को बढ़ाना है।

गूगल ने अपने खास डूडल में 14 स्लाइड्स को जोड़ा है, जिसमें 14 अलग भाषाओं में महिला सशक्‍तीकरण के कोट्स लिखे हैं।

गूगल के इस डूडल में भारतीय मुक्केबाज मैरी कॉम का कोट भी शामिल है। मैरी कॉम ने लिखा है कि यह मत कहिए कि आप कमजोर हैं क्योंकि आप एक महिला हैं। 

गूगल ने अपने डूडल को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर शेयर करने का ऑप्शन भी दिया है। 

महिलाओं के सम्मान, राजनीतिक और सामाजिक उपलब्धियों को बढ़ावा देने के लिए महिला दिवस 2019 के खास अवसर पर हर साल 8 मार्च को मनाया जाता है।

नारियल तेल का इस्तेमाल करेंगे तो दिखेंगे यंग

नारियल तेल का इस्तेमाल करेंगे तो दिखेंगे यंग

नारियल तेल के स्वास्थ्य संबंधी काफी लाभ होते हैं।

इसके औषधीय गुण आपकी सेहत, सुंदरता और बालों को स्वस्थ बनाए रखते हैं।

यह स्किन और बालों को प्राकृतिक रूप से मुलायम और चमकीला बनाता है।

त्वचा को मॉस्चराइजर करना हो या बालों की कंडीशनिंग, नारियल तेल सबसे अच्छा विकल्प है।

यहां ऐसे कई फायदे बताए जा रहे हैं जो कि आपकी उम्र से छोटा दिखाने में मदद करेंगे:

नारियल का तेल ड्राय स्किन को मुलायम बनाता है। नहाने से 20 मिनट पहले नारियल तेल से फुल बॉडी की मसाज करें और बाद में ताजे पानी से नहा लें। 

नारियल का तेल सनबर्न से भी आपकी त्वचा की रक्षा करता है।

इसमें एंटी एजिंग की गुण पाए जाते हैं। आंखों के आस-पास हाथों पर नारियल तेल की कुछ बूंदे लेकर मसाज करें। इससे स्किन ग्लोइंग और मुलायम बनेगी। इसके इस्तेमाल से डार्क सर्कल और झुर्रियां नहीं पड़ती है।

चेहरे पर कील मुंहासों के या किसी चोट के निशान हैं तो नारियल तेल के लगातार इस्तेमाल करें। दाग-धब्बे दूर हो जाएंगे।

चीनी में नारियल तेल की कुछ बूंदे मिलाकर आप स्क्रब की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे डेड स्किन और टैनिंग उतरेगी।

 इससे पसीने से होने वाली घमोरियो की परेशानी भी दूर रहती है। खाज- खुजली की समस्या होने पर भी इसी तेल का इस्तेमाल करें ताकि त्वचा में नमी बनीं रहें और खुजली की समस्या भी न हो।

 तेल से अपनी अंगलियों की मसाज करें इससे खून का प्रवाह सही होता हैं। नाखूनों के आस-पास की उप त्वचा उखड़ेगी नहीं। नाखूनों की मसाज करें। इससे नाखूनों में भी शाइन आती है।

एंबुलेंस डिवाइडर तोड़ते हुए दूसरी ओर से आ रही गाड़ी से टकराई : Yamuna Expressway

मथुरा में बलदेव क्षेत्र के गांव सुखदेव बुर्ज के पास यमुना एक्सप्रेसवे पर मंगलवार की सुुबह एक कार और एंबुलेंस आमने-सामने टकरा गईं। इसमें 7 लोगों की मौत हो गई।

कार टूंडला से नोएडा की ओर जा रही थी, जबकि एंबुलेंस दिल्ली से बिहार के लिए शव लेकर जा रही थी। घायलों को जिला अस्पताल से आगरा भेजे जाने की खबर है।

मिली जानकारी के अनुसार नोएडा की ओर से आ रही एंबुलेंस (जेके 02 सीबी 0102) बिहार के लिए शव लेकर निकली थी। एक्सप्रेसवे के चेंज नम्बर 138 के पास किसी वजह से एंबुलेंस बेकाबू होकर डिवाइडर पार कर दूसरी तरफ पहुंच गई। उसी समय सामने से टूंडला में शादी समारोह से लौटकर दिल्ली जा कार (यूपी 80 सीजी 4860) आ गई। कार में तीन लोग सवार थे। इसमें दोनों ओर से 7 लोगों की मौत हो गई। मृतकों में दो महिलाएं, एक बालिका व अन्य पुरुष हैं।

एक मेजर की चल रही थी अंतिम विदाई तभी आई दूसरे मेजर के शहीद होने की खबर, उत्तराखंड ने फिर खोया ‘लाल’

सोमवार को एक ओर राजौरी आईईडी धमाके में शहीद चित्रेश को आखिरी विदाई दी गई। वहीं दूसरी ओर देहरादून का एक और लाल सीमा पर आंतकियों से लोहा लेते हुए शहीद हो गया।

दक्षिणी कश्मीर के पुलवामा जिले के पिंगलिन इलाके में रविवार को आधी रात के बाद शुरू हुई मुठभेड़ में उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के मेजर डीएस ढौंडियाल शहीद हो गए हैं। उनका आवास देहरादून के चुक्कुवाला में है। शहादत की खबर के बाद से परिवार में मातम पसरा हुआ है। शहीद मेजर का संबंध 55 राष्ट्रीय रायफल्स से है। 

पिताजी स्व. ओमप्रकाश ढौंडियाल सीडी एयरफोर्स में थे।

2012 में उनका निधन हो गया था। 

2018 में शहीद का विवाह हुआ था।

उनकी पत्नी नितिका कश्मीरी पंडित हैं।

जानकारी के मुताबिक शहीद का शव आज ही देहरादून पहुंचेगा।

सेना तैयारी में जुट गई है।