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21 जून, 2019 को पांचवें अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस पर विशेष

पंचकूला:

20वीं सदी के महान गृहस्थ योगी : स्वामी देवीदयाल जी महाराज

बात 41 साल पुरानी है लेकिन लगता है जैसे कल की ही हो। मुझे 14 जून, 1978 को दिल्ली से लगभग 100 किलोमीटर दूर गढ़मुकतेश्वर के साथ लगते बृजघाट में एक 60 वर्षीय योगी महाराज के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ, जिनकी आंखों में दिव्य चमक थी और वे गजब की चुस्ती-फुर्ती के साथ योग आश्रम में निराश, हताश एवं बीमार लोगों को योगिक क्रियाओंं तथा योग आसनों के द्वारा नवजीवन प्रदान करवा  रहे थे। मैं उन दिनों राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर से कानून की पढ़ाई कर रहा था। मैंने योग विद्या सीखने के उद्देश्य से उन योगी महाराज से विनती की कि वे मुझे अपने दिव्य आर्शीवाद से नवाजे। मेरा यह सौभाग्य रहा कि उन महान योगी महाराज ने 14 जून से 17 जून, 1978 तक अपने बृजघाट स्थित उस योग आश्रम में स्वयं चार दिनों तक मुझे योग साधना करवाई और भारतीय प्राचीन योग विद्या के महत्व से अवगत करवाया।   
वह योगी कोई और नहीं बल्कि 20वीं सदी के महान गृहस्थ योगी स्वामी देवीदयाल जी महाराज थे। सन 1920 में पाकिस्तान में फागुन मास की कृष्ण पक्ष छटी के शुभ दिन पर जन्मे बालक देवीदयाल जी को बचपन से ही साधू संतों की संगति पसन्द थी और वे सदैव योग विद्या को सीखने को आतुर रहते थे। युवावस्था में उनकी भेंट योगेश्वर श्री मुलखराज महाराज जी से हुई, जिन्होंने देवीदयाल जी को योग में दीक्षा देकर उन्हें अष्टïांग योग में पारंगत कर दिया। भारत की आजादी के बाद, योगीराज देवीदयाल जी महाराज ने पहला योग आश्रम सन 1951 में रोहतक शहर के गोहाना रोड़ पर स्थापित किया। फिर उन्होंने कभी पीछे मुड·ऱ नहीं देखा और योग आसनों एवं योगिक क्रियाओं के द्वारा निराश, हताश एवं बीमार लोगों को नवजीवन प्रदान करने के पुनीत कार्य में जी-जान से जुट गये। उत्तर भारत में स्वामी देवीदयाल जी महाराज ने 40 योग दिव्य मंदिरों की स्थापना करवाई, जहां लाखों की संख्या में लोगों ने योग आसनों के द्वारा जीवन में स्वस्थ एवं प्रसन्नचित रहने के गुर सीखे। योग अभ्यास आश्रम, सन्यास मार्ग, कनखल (हरिद्वार) के प्रधान योगाचार्य स्वामी देवीदयाल जी महाराज ने दिल्ली, चण्डीगढ़, मनीमाजरा, पंचकूला, मोहाली, सिरसा, फतेहाबाद, हिसार, हांसी, टोहाना, नरवाना, करनाल, पानीपत, सोनीपत तथा गुडग़ांव में योग दिव्य मंदिरों की स्थापना की, जहां पर लोगों को कई दशकों से नि:शुल्क योग साधना करवाई जाती है। योगीराज स्वामी देवीदयाल जी महाराज समय-समय पर देश के विभिन्न राज्यों में साप्ताहिक योग शिविर लगाते थे और अपनी दिव्य दृष्टिï से स्थानीय लोगों में से पवित्र आत्माओं का चयन कर उनके द्वारा उस नगर व कस्बे में योग आश्रमों की स्थापना करवाते थे। राजस्थान में गंगानगर व संगरिया, उत्तर प्रदेश में बृजघाट, चांदपुर, बिजनौर, मेरठ आदि शहरों में भी स्वामी जी ने योग शिविर लगाते थे। आंध्र प्रदेश में सुप्रसिद्घ एडवोकेट श्री हनुमंता राव को अपना शिष्य बनाकर स्वामी जी के ने विजयवाड़ा, गन्नावरम तथा मच्छलीपटनम में योग दिव्य मंदिरों की स्थापना करवाई। इस प्रकार स्वामी योगीराज देवीदयाल महाराज ने लगभग 50 योग दिव्य मंदिर भारत के  विभिन्न राज्यों में स्थापित करवाए और किसी भी राज्य के योग दिव्य मंदिर की प्रोपर्टी में अपना नाम नहीं रखा। वे नि:संदेह 20वीं सदी के एक महान गृहस्थ योगी थे, जिन्होंने लाखों बच्चों एवं युवाओं को योग मार्ग पर चलने हेतु प्रेरित किया। वे कहा करते थे कि जीवन में दो ही बातें हैं- भोग या योग। उनका कहना था कि यदि तुम निरंतर भोग में लिप्त रहोगे तो न केवल स्वयं की नजरों में गिरते चले जाओगे बल्कि मानसिक और शारीरिक रूप से कमजोर भी होते चले जाओगे और हमेशा चिंतातुर अवस्था में रहोगे। परंतु यदि प्रतिदिन आधा घण्टा भी योग साधना में लगाओगे तो तुम्हारी छुपी हुई दिव्य शक्तियां उजागर होंगी और जीवन भर तुम पूर्ण रूप से स्वस्थ्य एवं प्रसन्नचित रहोगे। वे कहा करते थे कि अपनी दिनचर्या में आधा घंटा योगसाधना के लिए समय निकालने वाला व्यक्ति कभी अस्पताल के चक्कर नहीं काटता क्योंकि योग आसनों एवं योगी क्रियाओं से वह अपने शरीर को चुस्त-दुरुस्त रख सकता है।
योगीराज देवीदयाल जी महाराज खानपान पर भी बहुत जोर देते थे, उनका कहना था कि हमें हमेशा सात्विक एवं शाहाकारी भोजन ही करना चाहिए, मांस-मदिरा से दूर रहना चाहिए ताकि हमारे जीवन में निरंतर सतगुणों की बढ़ोतरी होती रहे और दुव्र्यसनों से हम बचे रहें। 
लेखक स्वयं को बहुत ही सौभाग्यशाली समझता है कि 20वीं सदी के इन महान गृहस्थ योगी स्वामी देवीदयाल जी महाराज ने कृपा कर उसे 36 वर्ष पूर्व जन्माष्टïमी, 1983 के शुभ दिन के बह्मïमहुर्त में योग दीक्षा से नवाजा।

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लगभग 60 वर्षों तक योगीराज स्वामी देवीदयाल जी महाराज भारत के विभिन्न राज्यों में निशुल्क योग साधना शिविर लगाते रहे और योग के माध्यम से उन्होंने लाखों लोगों के जीवन में खुशियां भर दी। 1 अगस्त, 1998 को दिल्ली के माडल टाऊन  स्थित भामाशाह मार्ग के योग दिव्य मंदिर में योगीराज स्वामी देवीदयाल जी बह्मïलीन हो गए। 
उनके प्रमुख शिष्यों में 93 वर्षीय श्री इंद्र सैन गांधी, पंचकूला (आजकल लखनऊ), बहिन शारदा जी व राजेश वैरागी, योगाचार्य कमल खन्ना व किशोर योगी तथा आन्ध्रा प्रदेश के विजयवाड़ा, गन्नावरम तथा मच्छलीपटनम के योग आश्रमों में सुप्रसिद्घ एडवोकेट श्री हनुमंता राव, राजस्थान के गंगानगर व संगरिया के योग आश्रमों में जादूगर शंकर सम्राट, पंजाब के पटियाला में योगाचार्य पवन कुमार तथा हिमाचल प्रदेश के रेणुका क्षेत्र में योगाचार्य शास्त्री जी अपने गुरु महाराज के दिखाए मार्ग पर चलते हुए योग के प्रचार-प्रसार कार्य में जी-जान से जुटे हुए हैं। चंडीगढ़ के सैक्टर-30 स्थित दिव्य योग मंदिर में योगाचार्य नेगी, शिवालिक एन्कलेव, मनीमाजरा के दिव्य योग मंदिर में योगाचार्या एवं आर्टिस्ट राम कुमार शर्मा, धमेन्द्र अबरोल, एस.के.गोयल व सुरेन्द्र गर्ग तथा बलटाना के योग आश्रम में योगाचार्य सोहन लाल ने भी अपने योग गुरु योगीराज स्वामी देवीदयाल जी महाराज के योग झंडे को मजबूती से अपने हाथों में थामा हुआ है। योगीराज स्वामी देवीदयाल जी महाराज द्वारा लेखक के माध्यम से सन 1984 में सिरसा के पुरानी कचहरी रोड़ पर स्थापित दिव्य योग मन्दिर में आजकल आर.के. भारद्वाज, योगाचार्य कुलवन्त ग्रोवर, दीना नाथ, अशोक मेहता, राजेन्द्र राठी तथा गर्ग जी  अपने योग गुरु स्वामी देवीदयाल जी महाराज का परचम फहराए हुए हैं। 
योगीराज देवीदयाल जी महाराज के पौत्र योगी डॉ. अमित देव, पी.एच.डी.(योग साईंस) आजकल भारत के कौने कौने में स्थापित योग आश्रमों में योग साधना करवाकर उन्हें नवजीवन प्रदान करने का पवित्र कार्य कर रहे हैं। 
योगीराज स्वामी देवीदयाल जी महाराज 20वीं सदी के एक महान गृहस्थ योगी थे और उनके पुत्र- अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त योग गुरु एम. लाल (दिल्ली) तथा रोहतक में सन 1951 में स्थापित प्राचीनतम योग दिव्य मंदिर में योगाचार्य अशोक कुमार जी गत 40 वर्षों से योग के प्रचार-प्रसार कार्य में जी-जान से जुटे हुए हैं।  
आज पूरी दुनिया ने योग के महत्व को समझा है और यू.एन.ओ. ने प्रति वर्ष 21 जून को अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाने का निर्णय लिया है और 5वें अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस आज 21 जून,2019 को विश्व के 200 देशों में बहुत बड़े स्तर पर मनाया जा रहा है। यू.एन.ओ. द्वारा 21 जून को अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस घोषित करवाने का श्रेय आजाद भारत में जन्म लेने वाले देश के लोकप्रिय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी को ही जाता है। नि:संदेह योग ही हमें जीने की राह दिखाता है। 

– लेखक पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट, चण्डीगढ़ में एडवोकेट हैं तथा हरियाणा सरकार के सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के सेवानिवृत संयुक्त निदेशक हैं। 

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