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15 दिवसिय हरियाणी नाट्य कार्यशाला के समाप्तन पर नाट्क “एक सवाल” का मंचन

कालका:

कलाकारों ने नाट्क के माध्यम से युवाओं की फोन की लत्त पर किया वार

हरियाणा कला परिषद, मल्टी आर्ट कल्चरल सेंटर कुरुक्षेत्र, अंबाला मंडल व भाजपा मंडल कालका के संयुक्त तत्वाधान में रविवार को कालका एस.डी. स्मार्ट स्कूल में 15 दिवसिय हरियाणवी नाट्या कार्यशाला के समाप्तन अवसर पर कालका व पिंजोर के प्रतिभागियों द्वारा नाटक “एक सवाल” का मंचन किया गया।
नाटक का निर्देशन मनोज कुमार और सोमवीर प्रजापत ने किया। इस अवसर पर उपस्थित मुख्यातिथि रुबी भगत सिंह, भाजपा नेत्री, वशिष्ठ अतिथि कंवर सेन सिंगला, भाजपा प्रदेश कार्यकारणी सदस्य, पृथ्वी सिंह,प्रांत कार्यकारिणी सदस्य, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, मनिष डोगरा, मैक मेनेजर, जसबीर सिंह, महामंत्री
कालका मंडल द्वारा दीप प्रज्वलित कर नाटक का शुभारम्भ किया। नाटक “एक सवाल” हरियाणी संस्कृति पर आधारित था। जिसमें दिखाया गया कि किस प्रकार एक फौजी के सेना से रिटायर्ड होने पर जब वह घर लौटता है तो गांव वाले ढोल बजाकर उसका स्वागत करते है और कुछ गांव के लोग फौजी को घर तक
छोड़ने आते हैं। फौजी का पूरा परिवार भी उस दिन बहुत खुश दिखाई देता है। लेकिन जब वह अपने घर के हाल-चाल के बारे में अपनी पत्नी से पूछता है तो क्या देखता है कि पत्नी के साथ-साथ उसके दोनों बच्चों को फोन की लत्त लगी होती है। जो उसको बहुत परेशान करती है। सेना से आने के बाद फौजी अपने घर के
हालात को सुधारने की कौशिश करता है। लेकिन फौजी के सेना के रूल-रेगुलेशन वाले व्यवहार से उसका पूरा परिवार ही परेशान हो जाता है। वह अपने दोनों बच्चों खासकर बेटे को कामयाब होते देखना चाहता है। पर फौजी का बेटा माक्कड़ नाकारा निकलता है। और अपने पिता से एक फिल्म बनाने के लिए 10 लाख
रुपए देने की मांग करता है।

नाटक “एक सवाल” ने बेटी को भी बेटों के बराबर मिले हक, का दिया संदेश

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इन सबके बीच फौजी की बेटी भी अपने मां-बाप से अपनी कोचिंग के लिए पैसे देने की बात करती है लेकिन फौजी और उसकी पत्नी उसे ये कहकर टाल देते हैं कि अबकि बार तेरे भाई का बिजनेस करवा दें। अगली बार तेरी कोचिंग के लिए पैसे दे देंगे। 10 लाख से अपना फिल्म बनाने का बिजनेस शुरु करने के बाद भी माक्कड इसमें भी फेल हो जाता है और जिस बेटी की ओर फौजी ध्यान ही नहीं देता वह एक दिन पुलिस में भर्ती हो जाति है। अपने बाबू से कहती है कि अगर आपने मुझ पर पहले ध्यान दिया होता तो में पहले ही कामयाब हो जाती। नाटक के अंत में फौजी कहता है कि अगर मैने बेटे की बजाय बेटी पर भी ध्यान दिया होता तो ज्यादा अच्छा होता। इसलिए कि बेटियां भी बेटों से कम नहीं हैं। साथ ही कहता है कि आजकल के युवा अपना स्वाभिमान और महापुरुषों का अभिमान भूला चुके हैं। अगर वक्त रहते इस समस्या पर ध्यान नहीं दिया तो देश के हालात इससे भी बुरे होंगे। नाटक के अंत में मनोज कुमार ने कलाकारों का परिचय करवाया, नाटक में मुख्य भूमिका साईनंदन फौजी, आफरिन पत्नी, विकास बेटा, रिया बेटी, नरेंद्र राईटर, अभिनव दामाद, उत्सव डांसर, सर्ष्टी चुडेल, शिवम दिलेरमेंहदी ने निभाई। मुख्यातिथि रुबी भगत सिंह ने कलाकारों की प्रशंसा करते हुए कहा कि इस प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम सामज में होने चाहिए। जिससे युवा पीढ़ी को सिखने को मिलेगा। और साथ ही कहा कि जिस प्रकार से आज के युवाओं को फोन की लत्त लग चुकि है वह उसे समाज से दूर करती जा रही है जिससे समाज का ताना-बाना भी टुट रहा है नाटक व अन्य माध्यमों से इस समस्या को दूर किया जा सकता है। इस अवसर पर कंवर सेन सिंगल, भाजपा प्रदेश कार्यकारणी सदस्य, पृथ्वी सिंह, प्रांत कार्यकारिणी सदस्य, आरएसएस,गगन चौहान, भाजपा जिला अध्यक्ष पंचकुला, मनिष डोगरा, मैक मेनेजर, कुरुक्षेत्र, जसबीर सिंह, महामंत्री कालका मंडल आदि गणमान्य लोग उपस्थित रहे।

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