प्रश्नोतरी प्रतियोगिता व श्लोकाच्चारण प्रतियोगिता के अव्वल विद्यार्थियों व टीमों को प्रशस्ति पत्र देकर किया सम्मानित

*100 दिनों का त्यौहार, एनीमिया पर वार*

*एनीमिया मुक्त अभियान में लोगों के स्वास्थ्य की जांच कर रोगी का इलाज किया जाएगा शुरू – डॉ. शिवानी*

*स्वास्थ्य विभाग के साथ-साथ शिक्षा विभाग और महिला एवं बाल विकास विभाग मिलकर लगाएंगे एनीमिया जांच शिविर*

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पंचकूला, 9 जून- उपायुक्त डॉ. यश गर्ग के मार्गदर्शन में स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान में जिला में 100 दिनों का त्यौहार- एनीमिया पर वार नाम से लोगों को एनीमिया से मुक्ति दिलाने के लिए विशेष अभियान चलाया जाएगा। इस अभियान को सार्थक बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग के साथ-साथ शिक्षा विभाग और महिला एवं बाल विकास विभाग को आपसी तालमेल बनाकर कार्य करेंगे ताकि जिला में चिन्हित किए गए शत-प्रतिशत लोगों के एनीमिया से संबंधित स्वास्थ्य की जांच की जा सके। 100 दिन तक चलाए जाने वाले एनीमिया मुक्त अभियान में जिला में लोगों के स्वास्थ्य की जांच की जानी है, जिनमें बच्चे, किशोरी और महिलाएं शामिल है।

एनीमिया मुक्त भारत अभियान के जिला नोडल अधिकारी एवं डिप्टी सिविल सर्जन डॉ. शिवानी ने कहा कि इस अभियान के तहत जिला के सरकारी तथा गैर सरकारी स्कूलों में योजनाबद्ध कार्य करके बच्चों विशेष कर लड़कियों के स्वास्थ्य की जांच की जाएगी। इन शिविरों में विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा बच्चों के स्वास्थ्य की जांच की जानी चाहिए, जिन बच्चों में खून की कमी पाई जाती है, उन बच्चों को मौके पर ही दवाईयां देने के साथ-साथ पोषाहार खानपान के लिए जागरूक किया जाए। इसके अलावा गर्भवती महिलाओं व किशोरियों के स्वास्थ्य की भी जांच की जाए। उन्होंने कहा कि विशेषकर गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य की जांच की जानी है ताकि नवजात बच्चे के साथ-साथ उसकी मां का स्वास्थ्य भी सही रहे। आमतौर पर जानकारी के अभाव में महिलाएं एनीमिया से ग्रस्त हो जाते हैं।

डॉ शिवानी ने कहा कि स्वास्थ्य शिविरों में एनीमिया की जांच के साथ इलाज एवं काउंसलिंग की जाएगी। जिन बच्चों का हीमोग्लोबिन कम पाया जाता है, उनको तीन श्रेणी में बांट कर दवाई दी जाए। हलके व मध्यम श्रेणी के विद्यार्थियों को विद्यालय में ही दवाई दी जानी जरूरी है, जबकि गंभीर श्रेणी वाले विद्यार्थियों को नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में इलाज के लिए भेजा जाए। दवाई देने के दो सप्ताह के बाद विद्यार्थियों का दोबारा हीमोग्लोबिन चेक करवाया जाए।

*स्लम बस्तियों में लगाए जाएं स्वास्थ्य जांच शिविर*

उन्होंने कहा कि स्लम बस्तियों में भी स्वास्थ्य जांच शिविर लगाए जाएंगे। इन शिविरों में महिलाओं व बच्चों के स्वास्थ्य की जांच की जाएगी। इसी प्रकार से ईंट भळों व औद्योगिक क्षेत्र में जांच शिविर आयोजित करना जरूरी है ताकि श्रमिक महिलाओं व उनके बच्चों का स्वास्थ्य सही रहे। यहां पर भी श्रमिकों को सही भोजन की जानकारी देना जरूरी है।

*एनीमिया ग्रस्त व्यक्ति में अन्य बीमारियों होने की संभावना*

 डॉ. शिवानी ने बताया कि जब शरीर के रक्त में लाल कणों या कोशिकाओं के नष्ट होने की दर उनके निर्माण की दर से अधिक होती है। एनीमिया एक रक्त से संबंधित गंभीर बीमारी है। इसके होने से ग्रस्ति बालिकाओं. महिलाओं व व्यक्तियों में अन्य बीमारियों की संभावनाएं और बढ़ जाती है। इस अभियान को सफल बनाने के लिए टीमों को नियुक्त किया गया है। हर टीम में स्कूल से अध्यापकों की ड्यूटी लगाई गई है। सभी स्कूलों में मशीनों द्वारा रक्त में हीमोग्लोबिन का लेवल जांच कर रिपोर्ट प्राप्त की जाएगी। इन रिपोर्टों के आधार पर ही हीमोग्लोबिन की कमी वाले बच्चों को सूची बनाकर आंगनवाडी कार्यकर्ताओं द्वारा उनके घर-घर जाकर जागरूक किया जाएगा और हीमोग्लोबिन का लेवल बढ़ाने के लिए दवाइयां एवं गुड़, चना, हरी सब्जी, फल, जूस देने के लिए प्रेरित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस बीमारी से खानपान की आदतों में सुधार कर बचा जा सकता है।

*एल्यूमिनियम के बर्तन में न बनाए खाना*

उन्होंने बताया कि एल्युमीनियम के बर्तनों में खाना पकाने व खाने से यह बर्तन आयरन और कैल्शियम जैसे तत्वों को सोख लेता है। इसका मतलब अगर खाने के साथ एल्यूमीनियम पेट में जाता है तो यह शरीर से आयरन और कैल्शियम सोखना शुरू कर देता है। इससे हड्डियां कमजोर हो सकती हैं। लिहाजा एल्यूमीनियम के बर्तन में पके खाने को खाने से हड्डियां खोखली होने लगती हैं। खाने में शामिल आयरन और कैल्शियम की मात्रा को एल्युमिनियम आसानी से अब्जॉर्ब कर लेता है और यह हड्डियों की बीमारियों का कारण बन जाता है।

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