अब तक मंडियों में 99356 मीट्रिक टन धान में से 94815 मीट्रिक टन धान का हुआ उठान

हरियाणा के वन एवं वन्यप्राणी मंत्री श्री कंवरपाल ने लोगों से आह्वड्ढन किया है कि वे प्रकृति को परमात्मा मानकर दिन प्रतिदिन लुप्त हो रही पेड़ पौधों की प्रजातियों तथा वन्यप्राणियों के सरंक्षण एवं संवर्धन के लिए आगे आएं।

पंचकूला 8 अक्टूबर- हरियाणा के वन एवं वन्यप्राणी मंत्री श्री कंवरपाल ने लोगों से आह्वड्ढन किया है कि वे प्रकृति को परमात्मा मानकर दिन प्रतिदिन लुप्त हो रही पेड़ पौधों की प्रजातियों तथा वन्यप्राणियों के सरंक्षण एवं संवर्धन के लिए आगे आएं। मनुष्य की भौतिक विकास की इच्छा शक्ति भी वनों के अधीन क्षेत्र घटने का एक प्रमुख कारण है। इससे एक ओर पर्यावरण पर प्रतिकूल असर तो पड़ता ही है तो वहीं दूसरी ओर वन्य प्राणियों की संख्या भी दिन-प्रतिदिन घटती है।

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श्री कंवरपाल आज वन्य एवं वन्यप्राणियों द्वारा दो से आठ अक्तूबर तक आयोजित वन्यप्राणी सप्ताह के समापन अवसर पर यहां निकट पंचकूला के बीड़ शिकारगाह वन्यजीव अभयारण्य के अंतर्गत जोधपुर गांव में बाम्बे नैचुरल हिस्ट्री सोसाईटी के सहयोग से स्थापित गिद्ध सरंक्षण प्रजनन केंद्र में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे।


उन्होंने कहा कि इसका ताजा उदाहरण हमें उस समय कोविड-19 के लॉकडाउन के दौरान साक्षात देखने को मिला जब नदियों का पानी स्वच्छ हुआ और पर्यावरण प्रदूषण ना के बराबर रहा तथा ऐसी-ऐसी पहाडियां व पक्षी देखने को मिले जो पर्यावरण प्रदूषण की आड़ में छिपे हुए थे।

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वन मंत्री ने कहा कि प्रकृति की उत्पत्ति के समय वन्यप्राणियों की रचना का भी एक वैज्ञानिक कारण रहा है। गिद्ध व जटायु को मृत्त मवेशियों व पशुओं के शरीर को खाने के कारण इन्हें स्वच्छता का दूत कहा जाता है, परंतु 1990 के बाद से भारत में इनकी प्रजाति प्रायरू-प्रायरू लुप्त हो गई, जिसके कारण इनके पुनरू अस्तित्व में लाने के लिए सरंक्षण एवं प्रजनन केंद्र खोलने की आवश्यकता महसूस हुई।


उन्होंने कहा कि लोगों में प्रकृति एवं पर्यावरण के सरंक्षण के लिए वनों एवं वन्यप्राणियों को बचाए रखने के लिए जागरूकता जरूरी है। उन्होंने कहा कि हर वर्ष भारत व पूरे विश्व में वन महोत्सव, वन्य प्राणी सप्ताह तथा पर्यावरण दिवस के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं ताकि इनके महत्व का अधिक से अधिक प्रचार प्रसार हो।
श्री कंवरपाल ने बाम्बे नैचुरल हिस्ट्री सोसाईटी के वैज्ञानिक डॉ. विभू प्रकाश व उनकी टीम को बधाई दी जिन्होंने हरियाणा के इस गिद्ध सरंक्षण प्रजनन केंद्र को एशिया का नंबर एक केंद्र बनाया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने भी प्राकृतिक संपदाओं के सरंक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करने की पहल की है, चाहे वह देश के वनों की बात हो, झीलों की बात हो, नदियों की बात हो या वन्यप्राणियों की बात हो।


उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल भी राज्य के विकास के साथ-साथ पर्यावरण सरंक्षण के प्रति गंभीर हैं। नवंबर, 2015 में इसी गिद्ध सरंक्षण प्रजनन केंद्र में 8 गिद्धों को प्री-रिलीस अवेरी में छोड़ा था और आज लगभग 5 वर्षों बाद उन्हीं 8 गिद्धों को एशिया के पहले जिप्सवल्चर रिइंट्रोडक्शन प्रोग्राम के तहत रिहा कर प्राकृतिक वन्य जीव पर्यावरण में छोड़ा जा रहा है। इसके लिए वन विभाग व डॉ. विभू प्रकाश की पूरी टीम के साथ-साथ स्थानीय लोग भी बधाई के पात्र हैं जिनके सहयोग से हम इस मुकाम तक पहुंचे हैं।


मुख्य वन्यप्राणी वार्डन, हरियाणा श्री आलोक वर्मा ने अपने स्वागतीय भाषण में कहा कि 5 एकड़ में स्थापित यह जटायु सरंक्षण एवं प्रजनन केंद्र देश के अन्य 8 ऐसे केंद्रों में से सर्वश्रेष्ठ है तथा यह सबके लिए मार्गदर्शन है। इसके अलावा सुल्तानपुर व कलेसर 2 प्राकृतिक पार्क, 7 वन्यप्राणी अभयारण्य, 5 लघु चिडियाघर, हाथी पुनर्वास बनसंतोर, मगरमच्छ सरंक्षण केंद्र, भौरसंयदा, कुरुक्षेत्र जहां पर वन्यप्राणियों के सरंक्षण एवं संवर्धन के कार्यक्रम चलाए जाते हैं।


बाम्बे नैचुरल हिस्ट्री सोसायटी के वैज्ञानिक डॉ. विभू प्रकाश ने इस केंद्र में चलाइ जा रही गतिविधियों पर विस्तार से प्रस्तुतीकरण दिया। उन्होंने कहा कि 2001 में गिद्धों के सरंक्षण के लिए कार्यक्रम की शुरूआत की गई थी और अध्ययन किए गए थे कि गिद्धों की प्रजाति विलुप्त होने का क्या कारण है और अध्ययन के निष्कर्ष में पाया कि पशुओं के लिए प्रतिबंधित डाइक्लोफिनेक दवाई का उपयोग है, पशुओं के दर्द और सूजन में इस दवाई का टीका दिया जाता है और टीका देने के बाद किसी कारणवश 72 घण्टे के अंदर मवेशी की मृत्यु हो जाती है तो मवेशी के शव में मौजूद डाइक्लोफिनेक के अवशेष गिद्धों में चले जाते हैं और उसके बाद गुर्दे खराब होने कर वजह से गिद्ध की मृत्यु हो जाती है। उन्होंने बताया कि हरियाणा के इस केंद्र में गिद्धों की संख्या 370 है, जिनमें से 300 से अधिक पक्षी यहीं पिंजौर में पैदा हुए हैं।


प्रधान मुख्य वन सरंक्षण डॉ. अमरिंदर कौर ने भी समारोह को संबोधित किया। इस अवसर पर वन मंत्री ने केंद्र परिसर में लगाई गई प्रदर्शनी का अवलोकन किया और त्रिवेणी का पौधारोपण किया। इसके अलावा उन्होंने केंद्र में नई गिद्ध पक्षीशाला का उद्घाटन किया और इसमें गिद्धों को छोड़ा।


वन मंत्री ने वन्यप्राणी सुरक्षा सप्ताह के दौरान आयोजित की गई ईक्को प्रश्नोत्तरी तथा पेंटिंग प्रतियोगिता के विजेताओं तथा विभाग के उत्कृष्टड्ढ प्रदर्शन करने वाले कर्मचारियों को सम्मानित भी किया। ईक्को प्रतियोगिता में कुमारी तनवी को प्रथम, तुषार को द्वितीय तथा सुनिल को तृतीय तथा पेंटिंग में कुसाग्र को प्रथम, इशांत तंवर को द्वितीय तथा कुमारी तनवी को तृतीय पुरस्कार दिया गया। इसी प्रकार लघु चिडियाघर, पिपली के डॉ. अशोक खासा, रेवाड़ी के उपनिरीक्षक देवेंद्र सिंह वन्यप्राणी गार्ड, कुलदीप सिंह, जितेंद्र दलाल, सुल्तानपुर लेक के पंप ऑपरेटर सुरेश तथा पिपली लघु चिडियाघर के सेवादार सुंदर को भी सम्मानित किया।