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हरियाणा उर्दू अकादमी की और से भारत की ‘उर्दू पत्रकारिता में ‘गैर-मुस्लिम पत्रकारों’ का योगदान’ विषय पर एक विशेष सेमिनार का आयोजन किया।

हरियाणा उर्दू अकादमी की और से भारत की ‘उर्दू पत्रकारिता में ‘गैर-मुस्लिम पत्रकारों’ का योगदान’ विषय पर एक विशेष सेमिनार का आयोजन किया।

पंचकूला, 22 नवंबर- हरियाणा उर्दू अकादमी की और से भारत की ‘उर्दू पत्रकारिता में ‘गैर-मुस्लिम पत्रकारों’ का योगदान’ विषय पर एक विशेष सेमिनार का आयोजन किया। इसकी अध्यक्षता प्रमुख लेखक एवं वरिष्ठ आई पी एस अधिकारी के.पी.सिंह ने की और मुख्य अतिथि के तौर पर अतिरिक्त मुख्य सचिव धनपत सिंह ने शिरकत की।

हरियाणा उर्दू अकादमी की और से भारत की ‘उर्दू पत्रकारिता में ‘गैर-मुस्लिम पत्रकारों’ का योगदान’ विषय पर एक विशेष सेमिनार का आयोजन किया।


इस अवसर पर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के वरिष्ठ प्रोफे़सर ज़ियाउर रहमान सिद्दीकी ने उर्दू पत्रकारिता में गैर मुस्लिम पत्रकारों की भूमिका के विषय में ‘हरियाणा के गैर मुस्लिम पत्रकारों का योगदान’ शीर्षक पर एक दिलचस्प शोध पत्र प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि ‘जामे जहाँ नुमा’ नामक उर्दू के पहले अख़बार के सम्पादक मुंशी सदासुख लाल थे, जिनका सम्बन्ध संयुक्त पंजाब से रहा। यह अख़बार 1822 में प्रकाशित हुआ। भारतेन्दु हरिश्चन्द्र भी ऐसे पत्रकार थे कि जिन्होंने उर्दू और हिन्दी दोनों भाषाओं में समाचार पत्र जारी किए। भारतेन्दु हरिश्चन्द्र ही ऐसे प्रथम व्यक्ति थे जिन्होंने सबसे पहले देवनागरी लिपि में उर्दू के अखबार को प्रकाशित करना शुरू किया। इस मौके पर उन्होंने बताया कि देश के बटवारे के समय हरियाणा की सरजमीन से 22 उर्दू के अखबार निकलते थे जिनके सम्पादक सभी हिन्दू थे। सिद्दीकी साहब ने सर छोटू राम के ‘जाट गजट’ और लाला लाजपत राय के समाचार पत्र का भी जिक्र किया। सबसे विशेष बात प्रोफे़सर ज़ियाउर रहमान सिद्दीकी ने अपने भाषण में ये कही कि हमारा फर्ज बनता है कि हम इन गुमनाम पत्रकारों पर अधिक से अधिक शोध करंे और इनकी साहित्यिक व सामाजिक सेवाओं को लोगों के सामने लाए ताकि आने वाली नस्ले इनके कारनामों एवं सेवाओं से परिचित हों सकें।

हरियाणा उर्दू अकादमी की और से भारत की ‘उर्दू पत्रकारिता में ‘गैर-मुस्लिम पत्रकारों’ का योगदान’ विषय पर एक विशेष सेमिनार का आयोजन किया।


अध्यक्ष के.पी. सिंह, आई.पी.एस. ने अपने वक्तव्य में कहा कि इसमें कोई सन्देह नहीं की उर्दू के गैर मुस्लिम पत्रकारों ने उर्दू पत्रकारिता को नया मोड दिया था। इसी के साथ उन्होंने पत्रकारिता के दृष्टिकोण में इस तहजीब और संस्कृति को भी बढ़ावा दिया था जिसे हम गंगा जमनी तहजीब कहते हैं। मुख्य अतिथि के रूप में धनपत सिंह, आई.ए.एस. ने कहा कि हरियाणा उर्दू अकादमी ने इस अछूते विषय पर सेमिनार कराकर पत्रकारिता को एक नई दिशा प्रदान की है। विशिष्ट अतिथि के रूप में वरिष्ठ पत्रकार एन.एस.परवाना ने भी उर्दू पत्रकारिता के क्षेत्र में हिन्दू पत्रकारों के योगदान पर प्रकाश डाला और कहा कि भारतीय पत्रकारिता में इनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। विशिष्ठ अतिथि और केन्द्रीय साहित्य अकादमी, दिल्ली के उपाध्यक्ष माधव कौशिक ने उर्दू और हिन्दी पत्रकारिता के सम्बन्धों को महत्वपूर्ण ढंग से उजागर किया।


इस अवसर पर अकादमी की ओर से दस वरिष्ठ पत्रकारों को सम्मानित किया गया। इनमें वरिष्ठ पत्रकार एन.एस.परवाना, केदार नाथ केदार, मुकेश राजपूत, राकेश गुप्ता, महेश परमार, शशि अरोडा, मृणाल लाला, चन्द्र शेखर और सुरेन्द्र सागवान, प्रदीप शर्मा शामिल रहे। कार्यक्रम का संचालन अकादमी के निदेशक डाॅ. चन्द्र त्रिखा ने किया और सभी विद्वानों तथा अतिथियों का धन्यवाद व्यक्त किया। विशिष्ठ उपस्थिति में शिखर लेखक डाॅ. अत्मजीत, बी.डी. कालिया ‘हमदम’, डाॅ. आर.पी.सेठी कमाल, एस.एल.धवन आदि शामिल थे।

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