रेड क्रॉस सोसायटी, सेक्टर-15, पंचकूला स्थित वृद्धाश्रम में मनाया गया विश्व बुजुर्ग दुर्व्यवहार जागरूकता दिवस

स्वास्थ्य विभाग द्वारा आज रेड बिशप पंचकूला में खसरा रोग नियंत्रण कार्यक्रम के तहत एक कार्यशाला का आयोजन किया गया।

पंचकूला, 3 सितंबर-

स्वास्थ्य विभाग द्वारा आज रेड बिशप पंचकूला में खसरा रोग नियंत्रण कार्यक्रम के तहत एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला की अध्यक्षता नैशनल हैल्थ मिशन के निदेशक डॉ0 वीके बंसल ने की और प्रदेश के सभी 22 जिलों को प्रतिरक्षण अधिकारी, टीकारण नोडल अधिकारी और विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रतिनिधि डॉ0 श्री निवासन ने भाग लिया। 

डॉ वीके बंसल ने इस अवसर पर बताया कि अप्रैल 2018 में खसरा नियंत्रण टीकाकरण कार्यक्रम आरंभ करके इसमें 90 प्रतिशत लक्ष्य हासिल किये गये है। उन्होंने कहा कि खसरा और रूबेला के नियंत्रण के लिये विभागीय कार्यक्रमों को और अधिक प्रभावी तरीके से धरातल पर लागू करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि निजी अस्पतालों में इन बीमारियों से संबंधित आने वाले केसों की रिपोर्टिंग को भी और अधिक प्रभावी बनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सभी प्रतिरक्षण अधिकारी खसरा और रूबेला टीकाकरण की साप्ताहिक रिपोर्ट तैयार करें और संबंधित सिविल सर्जन इसकी समीक्षा करें। उन्होंने कहा कि अधिक बल दिये जाने वाले क्षेत्रों की पहचान करके वहां पर नियमित टीकारण प्रभावी तरीके से सुनिश्चित किया जाये। 

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आज की इस कार्यशाला में पल्स पोलियो अभियान पर भी चर्चा की गई। हैल्थ मिशन के निदेशक डॉ असरूदीन ने बताया कि भारत वर्ष 2014 में पोलियो फ्री देशों की सूची में शामिल हो चुका है और हरियाणा में पोलियों का अंतिम केस वर्ष 2010 में रिपोर्ट हुआ था। उन्होंने बताया कि इस वर्ष मार्च में चलाये गये पल्स पोलियो अभियान के तहत 3851743 बच्चों को पोलियों की खुराक पिलाई गई थी और जून मास में चलाये गये सब नेशनल पोलियो अभियान में 257337 बच्चों को यह खुराक पिलाई गई। आज की इस कार्यशााला में पल्स पोलियों से जुड़े 13 जिलों के नोडल अधिकारियों ने भाग लिया। 

उन्होंने कहा कि भविष्य में चलाये जाने वाले पल्स पोलियो अभियानों में स्वास्थ्य, महिला एवं बाल विकास, शिक्षा, स्थानीय निकाय, पंचायती राज संस्थान, परिवहन, रेलवे, जनसंपर्क, श्रम विभागों के साथ साथ गैर सरकारी संगठनों का भी सहयोग और अधिक प्रभावी तररीके से लिया जायेगा। उन्होंने कहा कि हाईरिस्क एरिया, जिनमें स्लम बस्तियां, ईंट भट्ठे, प्रवासी मजदूर, स्टोन क्रेशर, निर्माण स्थल इत्यादि शामिल है पर टीकाकरण गतिविधियों के लिये और प्रभावी प्रयास किये जाने चाहिए। उन्होंनंे कहा कि विशेष अभियानों के साथ साथ नियमित टीकाकरण पर भी विशेष बल दिये जाने की आवश्यकता है। 

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