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सीएचसी मालिक किसानों को पराली प्रबंधन बारे करें प्रेरित : उपायुक्त

सिरसा, 12 नवंबर।

सीएचसी मालिक किसानों को पराली प्रबंधन बारे करें प्रेरित : उपायुक्त


               पराली जलाने से होने वाले पर्यावरण प्रदूषण बहुत बड़ी समस्या बनी हुई है। इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट बहुत ही सख्त है। इसके साथ ही प्रदेश सरकार भी पराली प्रबंधन को लेकर दृढता पूर्वक प्रयासरत है। इस दिशा में किसानों को जागरूक व पराली प्रबंधन बारे प्रेरित करके ही पराली जलाने पर पूर्णतया रोक लगाई जा सकेगी। इस कार्य में कस्टम हायरिंग सैंटर(सीएचसी) मालिक अहम भूमिका निभा सकते हैं।


                यह बात उपायुक्त अशोक कुमार गर्ग ने गत सायं पंचायत भवन में जिला के कस्टम हायरिंग सैंटर मालिकों की बैठक को संबोधित करते हुए कही। बैठक में कस्टम हायरिंग सैंटर मालिकों ने अपने-अपने सुझाव सांझा किए, वहीं पराली प्रबंधन बारे अपने अनुभव भी बताएं। इस अवसर पर उप कृषि निदेशक बाबू लाल सहित अन्य कृषि अधिकारी उपस्थित थे।


                उपायुक्त अशोक कुमार गर्ग ने कहा कि पराली जलाने पर रोक के लिए सभी को काम करने की जरूरत है, विशेषकर किसानों को स्वयं जागरूक होना होगा और इसके नुकसान को समझना होगा। उन्होंने कहा कि सरकार पराली प्रबंधन के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने की दिशा में अनेकों पराली प्रबंधन उपकरण सब्सिडी पर मुहैया करवा रही है। इसी कड़ी में उपकरणों के माध्यम से पराली प्रबंधन करने पर 1000 रुपये प्रति एकड़ की दर से आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी। उन्होंने उपस्थित सीएचसी मालिकों को कहा कि वे इसमें अहम भूमिका निभा सकते हैं। सभी अपने-अपने सैंटर पर उपलब्ध उपकरणों की सूची चस्पा करना सुनिश्चित करें, ताकि किसानों को इनके बारे में जानकारी हो सके। इसके अलावा अपने सैंटर व पराली उपकरणों का प्रचार करें, ताकि ज्यादा से ज्यादा किसान इन उपकरणों का लाभ उठा सकें।

सीएचसी मालिक किसानों को पराली प्रबंधन बारे करें प्रेरित : उपायुक्त


                उन्होंने कहा कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने पराली जलाने की एक भी घटना न होने देने के आदेश दिए हैं और यदि कोई ऐसा करता है तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। इसलिए स्वयं जागरूक होकर इस दिशा में पराली का सही प्रबंधन करके इस समस्या को पूर्णतय खत्म करने में अपना सहयोग दें। उन्होंने कहा कि सरकार ने किसानों को पराली प्रबंधन के लिए प्रेरित करने की दिशा में पराली को जलाने की बजाय उपकरणों की मदद से प्रबंधन करने वाले लघु व सीमांत किसानों को 1000 रुपये प्रति एकड़ की दर से आर्थिक मदद दी जाएगी। इसके लिए किसान को एक फार्म के माध्यम से अंडरटेकिंग देनी होगी कि उसने अपनी पराली का प्रबंधन उपकरणों की मदद से किया है। इस फार्म पर सरपंच के भी हस्ताक्षर होंगे। उन्होंने बताया कि किसान द्वारा दी गई अंडरटेकिंग को वेरीफाई करने के लिए प्रत्येक गांव में एक नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है। यदि किसी किसान ने अपने खेत में पराली को आग लगाई है तो उसे किसी प्रकार का लाभ नहीं दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस कार्य में कस्टम हायरिंग सैंटर विशेष रूप से भूमिका निभाएं ताकि पराली जलाने की घटनाओं पर पूर्णतया प्रतिबंध लग सके।


                इस दौरान कईयों ने उपकरणों के माध्यम से पराली प्रबंधन बारे अपने अनुभव सांझा किए। एक किसान ने अपने अनुभव सांझा करते हुए बताया कि उसने हैप्पी सीडर के माध्यम से खेत में गेंहूं की बुआई करते हुए कई साल हो गए हैं। हैप्पी सीडर से बुआई से उत्पादन पर किसी प्रकार कोई प्रभाव नहंीं पड़ता है बल्कि खेत में पराली के गलने वाली खाली खाद जमीन को उपजाऊ बनाने का काम करती है। उन्होंने किसानों से आह्वान किया कि वे हैप्पी सीडर या सुपर सीडर से खेत में बुआई करके पराली प्रबंधन में अहम भूमिका निभा सकते हैं। इसी प्रकार किसान सरबजीत ने बताया कि जहां पहले उसने प्रशासन की ओर से हैप्पी सीडर के इस्तेमाल के अनुरोध का विरोध किया था। लेकिन जब उन्होंने हैप्पी सीडर का प्रयोग कर बुआई की तो सभी शंकाएं दूर हो गई और आज मैं पराली के खेत में हैप्पी सीडर से बुआई कर रहा हूं। इससे मुझे किसी प्रकार कोई नुकसान नहीं हुआ बल्कि पराली के सही प्रबंधन के साथ-साथ जमीन की उपजाऊ शक्ति बढी है।

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