सांकेतिक भाषा मूक-बधिर के लिए सामान्य जन से जुडऩे का सशक्त माध्यम : उपायुक्त रमेश चंद्र बिढाण
मूक-बधिर व्यक्ति सांकेतिक भाषा के माध्यम से समाज की मुख्यधारा में सामान्य जन से सहज रूप से वार्तालाप कर सकता है। सांकेतिक भाषा मूक-बधिर व्यक्ति के लिए सामान्य जन से जुडऩे का सशक्त माध्यम है।
यह बात आरकेजे श्रवण एवं वाणी निशक्तजन कल्याण केंद्र के अध्यक्ष एवं उपायुक्त रमेश चंद्र बिढाण ने सांकेतिक भाषा जागरूकता सप्ताह के शुभारंभ अवसर पर कही। इस दौरान केंद्र के सहायक निदेशक राजेश कुमार ने उपायुक्त को सांकेतिक भाषा संबंधी पोस्टर भी भेंट कर जागरूकता सप्ताह की शुरूआत की।
उपायुक्त ने कहा कि केंद्र द्वारा चलाए जा रहे भारतीय सांकेतिक भाषा जागरूकता सप्ताह से मूक-बधिर व्यक्तियों को इससे लाभ होगा। उन्होंने कहा कि 30 सितंबर तक चलने वाले इस जागरूकता सप्ताह के दौरान लोगों को भारतीय सांकेतिक भाषा के बारे में जानकारी दी जाएगी। केेंद्र के सभी कर्मचारी अलग-अलग विभागों में जाकर लोगों को सांकेतिक भाषा के बारे मेंं जागरूक कर रहे हैं।
केंद्र के सहायक निदेशक राजेश कुमार ने बताया कि सप्ताह अभियान के तहत शुक्रवार को पुलिस स्टेशन सदर, सिविल लाइंस स्टेशन, सिविल अस्पताल के सीएमओ, एमडीके इंटरनेशल स्कूल के प्रिंसिपल तथा सेंट जेवियर पब्लिक स्कूल के स्टाफ के सदस्यों के साथ मिलकर भारतीय सांकेतिक भाषा की जानकारी दी गई। लोगों को जागरूक करते हुए बताया गया कि मूकबधिर व्यक्ति भी समाज की मुख्यधारा मेंं अपनी भारतीय सांकेतिक भाषा के माध्यम से सामान्य जन की तरह वार्तालाप कर सकते हैं। जहां भी केंद्र के कर्मचारी लोगों से मिले तो उन्होंने भारतीय सांकेतिक भाषा को सीखने मेंं दिलचस्पी दिखाई। केंद्र के सभी कर्मचारियों ने जिसमें श्रीमती रेनू ग्रोवर, श्रीमती सुमन वाला, श्रीमती सुनीता सक्सेना, कुमारी भावना व रजनीश कुमार तिवारी ने अलग-अलग जगह पर जाकर भारतीय सांकेतिक भाषा के बारे में लोगों को जागरूक किया।