संस्कृत दिवस के उपलक्ष्य में श्लोकोच्चारण एवं प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का किया गया आयोजन
पंचकूला-2 सितम्बर- हरियाणा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के महाराजा दाहिर सेन सभागार में संस्कृत दिवस के उपलक्ष्य में श्लोकोच्चारण एवं प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के आरम्भ में अध्यक्ष, डाॅ. कुलदीप चंद अग्निहोत्री, कार्यकारी उपाध्यक्ष, अकादमी, विशिष्ट अतिथि, मनजीत सिंह, सदस्य सचिव, अकादमी, डाॅ. धर्मदेव विद्यार्थी, निदेशक, हिंदी एवं हरियाणवी प्रकोष्ठ तथा डाॅ. सी.डी.एस. कौशल, निदेशक, संस्कृत प्रकोष्ठ ने माँ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण तथा दीप प्रज्ज्वलित कर समारोह की शुरुआत की।
अकादमी के कार्यकारी उपाध्यक्ष डाॅ. कुलदीप चंद अग्निहोत्री ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में संस्कृत के दो श्लोकों को हिन्दी में समझाते हुए कहा कि आलसी को विद्या नहीं आ सकती और जिसके पास विद्या नहीं होती, उसके पास धन नहीं आता, परन्तु सभी धन के कारण ही मित्र बनते हैं। उनका मानना है कि मनुष्य विद्या से तो युक्त हो परन्तु उसका स्वभाव भी साधु होना चाहिए। अच्छे स्वभाव वाला मनुष्य कुल को इस प्रकार प्रसन्न रखता है जैसे कि चांदनी सारी रात को रोशन करती है। उन्होंने एक छोटी सी कहानी के माध्यम से बताया कि कैसे राजा भोज एक दिन लकड़हारा लकड़िया लेकर जा रहा था कि राजा ने लकड़हारे से पूछ लिया कि आपको भार तो नहीं लग रहा। लकड़हारे ने बोला कि आपने जो संस्कृत भाषा का गलत उच्चारण किया उससे ही दबा जा रहा हूँ। उनका मत है कि पहले संस्कृत भाषा बोलचाल की भाषा थी तथा सभी को आती थी।
कार्यक्रम में मनजीत सिंह, सदस्य सचिव, अकादमी ने भी अपनी शुरुआत श्लोकोच्चारण से की। उन्होंने कहा कि सुख मित्र से ही प्राप्त होता है, अगर मित्र से ही सुख मिलता तो व्यक्ति अपूर्ण है उसको पूर्णता को आगे ले जाने के लिए कुछ अच्छे मित्रों की आवश्यकता होती है। दूसरी बात में उन्होंने कहा कि अगर हम कोई अच्छा काम या किसी की मदद आदि नहीं करते हैं तो हम मनुष्य रूप में पशु की तरह जीवन व्यतीत कर रहे हैं। उनका मानना है कि सुख मित्रों के साथ ही सीमित नहीं है, अगर हम कुछ भी करें अच्छा करें।
प्रतियोगिताओं में मुक्तिनाथ वेद विद्याश्रम संस्कृत गुरुकुल श्री माता मनसा देवी, श्री रामनन्दाब्रह्मर्षि संस्कृत महाविद्यालय, विराट नगर पिंजौर, महाराजा प्रताप नैशनल काॅलेज, मुलाना, अम्बाला, श्री माता मनसा देवी राजकीय संस्कृत महाविद्यालय, राजकीय कन्या महाविद्यालय सेक्टर-14, पंचकूला तथा राजकीय महाविद्यालय सेक्टर-1, पंचकूला के इन छह संस्कृत संस्थाओं के छात्र-छात्राओं ने भाग लिया।
इसके अलावा कार्यक्रम में डाॅ. कामदेव झा, डाॅ. विक्रम व डाॅ. गुप्ता ने कार्यक्रम में निर्णायक की भूमिका निभाई। कार्यक्रम में 30 छात्र-छात्राओं ने प्रतिभागिता की। श्लोकाच्चारण प्रतियोगिता में प्रथम स्थान देवानुज मिश्र, द्वितीय स्थान ध्रुव शर्मा तथा तृतीय स्थान शिवानी ने हासिल किया तथा सांत्वना पुरस्कार आकाश पांडे व पार्थ गौतम को मिला। प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में प्रथम स्थान शिवा तिवारी व दिव्यांश कालिदास टीम, द्वितीय स्थान अंजलि व आशु बाण टीम, तृतीय स्थान उमंग व प्राची वाल्मीकि टीम ने प्राप्त किया तथा सांत्वना पुरस्कार भवभूति टीम में अतुल शर्मा व राहुल शर्मा ने प्राप्त किया।
डाॅ. चितरंजन दयाल सिंह कौशल, निदेशक, संस्कृत प्रकोष्ठ ने अपना एक श्लोक प्रस्तुत किया तथा उन्होंने कार्यक्रम में पधारे हुए अतिथियों व बच्चों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन डाॅ. प्रतिभा वर्मा व डाॅ. राजबीर ने किया।