संविधान भारत के लोगों की सामूहिक चेतना, हमारा अतीत, वर्तमान और भविष्य – पूर्व न्यायाधीश स्वतन्त्र कुमार
भारतीय संविधान नामक रचित पुस्तक का किया गया विमोचन
पंचकूला 28 अक्तूबर – संविधान भारत के लोगों की सामूहिक चेतना और कल अतीत है इसमें हमारा अतीत, वर्तमान और भविष्य है। यह हमारे स्व-व्यवस्था संघर्ष का लेखा-जोखा है। यह हमारी पिछली पीढ़ी की वीरता की गाथा है जिसने हमें स्वतंत्रता का सौभाग्य दिया।
यह विचार सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश स्वतन्त्र कुमार ने आईएएस एसोसिएशन हरियाणा द्वारा आयोजित दी लेक्चर एवं इंटरेक्शन सेशन 75 इयर्स आॅफ दी कान्सटीच्यूशन आॅफ इंडिया, इम्पेक्ट आॅन पबिल्क पोलिसी एण्ड सिविल सर्विस’’ थीम के दौरान व्यक्त किए।
इस अवसर पर भारतीय संविधान नामक रचित पुस्तक का विमोचन भी किया गया। आईएएस एसोसिएशन की ओर से आयुक्त एवं सचिव डा. अमित अग्रवाल ने पूर्व न्यायाधीश स्वतन्त्र कुमार एवं फाउंडिग वीसी ओपी जिन्दल युनिवर्सिटी डा. सी राज कुमार को स्मृति चिन्ह भेंट किया।
एमडीसी जिमखाना क्लब में आयोजित कार्यक्रम में हरियाणा के मुख्य सचिव श्री टीवीएसएन प्रसाद, एसीएस श्री सुधीर राजपाल, एसीएस राजा शेखर वूंदरू, महानिदेशक विकास एवं पंचायत डीके बेहरा, विशेष सचिव प्रियंका सोनी, विशेष सचिव पंकज, अतिरिक्त उपायुक्त पंचकूला सचिन गुप्ता, पूर्व मुख्य सचिव धर्मबीर सिंह, डीडी आर्कियोलोजी एवं म्यूजियम बनानी भट्टाचार्य, डा. राजेश सहित कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।
संविधान अन्याय और असमानताओं के खिलाफ हमारी आशा,
उत्पीड़न से मुक्ति और शोषण के खिलाफ है लड़ाता
पूर्व न्यायाधीश ने कहा कि हमें संविधान की कहानी को सुनना ही नहीं बल्कि उससे प्रेरणा ग्रहण करनी चाहिए। संविधान सामाजिक अस्तित्व की वास्तविकता है जिसने स्वतंत्रता का अधिकार और सामाजिक जीवन का विचार दिया है। यह अन्याय और असमानताओं के खिलाफ हमारी आशा है। हमें असफलताओं से ऊपर उठाता है और उत्पीड़न से मुक्त और शोषण के खिलाफ लड़ाता है। संविधान का ज्ञान वर्तमान का सत्य है इसे हम कृतज्ञतापूर्वक, आशापूर्वक, प्रशंसापूर्वक महसूस नहीं करेंगे। संविधान समतावाद का सत्य है यह वह है ज्ञान है जिसकी हमें तलाश है। यह वह प्रार्थना है जो हमारे सामने संभावनाओं का ब्रह्मांड केवल संविधान ही खोल सकता है। यह एक आध्यात्मिक गुरु है जो मानव उत्कर्ष की कला सीखाता है। इसलिए हम मानव समाज की अनंत संभावनाओं को प्राप्त करने के लिए संविधान में प्रदत्त विवेक को अवश्य अपनाएंगे।
संविधान संग्रहालय की जा रही स्थापना
ओपी जिन्दल युनिवर्सिटी के फाउंडिग वीसी डा. सी राजकुमार ने प्रजेंटेंशन के माध्यम से संविधान संग्रहालय के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि भारत के संविधान को एक जीवंत प्राणमय और सतत प्रगतिशील दस्तावेज के रूप में प्रदर्शित करने का प्रयास किया गया है। अपने अंगीकरण के 75 साल बाद संविधान सभी भारतीयों को प्रेरित करता है जिसमें बुद्धिजीवी, विधि, व्यवसाय, इतिहासकार, कलाकार, सामाजिक कार्यकर्ता और सबसे महत्वपूर्ण रूप से आम नागरिक शामिल है।
इस संग्रहालय के लिए हमारा दृष्टिकोण भारत के संविधान के निर्माण और निर्माता को प्रदर्शित करना है, जिसमें न केवल संविधान सभा के सदस्य शामिल हैं जिन्होंने हमें यह अमल दस्तावेज दिया बल्कि वे नागरिक भी शामिल हैं जिन्होंने अपने संवैधानिक अधिकारों की प्राप्ति के लिए उपाय मांगे वे कानून निर्माता जिन्होंने आवश्यक संशोधन की शुरुआत की और साथ ही ऐसे वकील और न्यायाधीश जिन्होंने ऐतिहासिक निर्णय दिए जो उन्हें आज के भारत के निर्माता बनाते हैं।
स्वतंत्रता संग्राम की कहानियां, बलिदानों के गीत और राष्ट्र के उत्थान का कथाकार संग्र्रहालय
संविधान संग्रहालय और अधिकार एवं अकादमी स्वतंत्रता और अधिकारों की आकांशा को सजोने का स्थान है। यह एक राष्ट्र के स्व-निर्माण की यादों को एकत्र करता है। स्वतंत्रता संग्राम की कहानियां, बलिदानों के गीत और राष्ट्र के उत्थान का कथाकार है।
संग्रहालय में संविधान निर्माण से जुड़े ऐतिहासिक तथ्यों की भरमार होगी। अनजान लोगों के लिए संविधान संग्रहालय समझने की बेहतरीन जगह होगी जिसमें दस्तावेजों के हर हिस्से से और उसके महत्व को समर्पित कई खंड होंगे। संग्रहालय में संविधान सभा के हर सदस्य की जोशीली बहस और विचार विमर्श के साथ दिखाया जाएगा, जिसने समय से पहले एक मजबूत पांडुलिपि को परिष्कृत और निर्मित किया है। कई प्रारूपो पाठक, दृश्य श्रव्य, अनुभव आत्मक के जरिए हम संविधान के विकास और इसके विभिन्न खंडों में आगंतुकों की रुचि जगाने की उम्मीद करते हैं। हम अपने लिए उपलब्ध अधिकारों और स्वतंत्रताओं पर अन्वेषण और विचार विमर्श को बढ़ावा देना चाहते हैं। संग्रहालय में प्रदर्शित कला जो मूल दस्तावेज का हिस्सा है, वह संविधान से प्रेरित रही। यह एक गतिशील संग्रह होगा जो संविधान के साथ-साथ बढ़ता रहेगा। इसमें सिर्फ 26 नवंबर 1949 से पहले की घटनाओं को दर्शाने वाले दस्तावेजों का संग्रह नहीं होगा।
पुरातात्विक संग्रह और विरासत को देगा बढावा तथा आएगी जनता के बीच समग्र जागरूकता- मुख्य सचिव
मुख्य सचिव श्री टीवीएसएन प्रसाद ने संविधान के बारे में विस्तार से जानकारी दी और प्रशासनिक एवं न्यायिक अधिकारियों के ड्यूटी और कर्तव्य के बारे में भी अवगत करवाया। उन्होंने जिमखाना क्लब में हेरीटेज काॅर्नर एवं प्रोटोकाॅल हैल्थ विंग का लोकार्पण किया। इसमें हरियाणा की विरासत के संबंधित मानचित्र, फोटो, और प्रतिकृतियंा, स्त्रोतों का एक संग्रह और विरासत से जोडने का बेहतर तरीका है। जो दर्शकों को विरासत के बारे में पूरी जानकारी देगा। इसका मुख्य ध्येय पुरातात्विक संग्रह और विरासत को बढावा देना तथा जनता के बीच समग्र जागरूकता और संवेदनशीलता पैदा करना है जिससे हरियाणा के विरसत स्थलों की सुरक्षा में सहयोग देगा।