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संत रविदास जी की शिक्षाओं को हम अपने व्यवहारिक जीवन में उतार कर एक हो सकते हैं : डीसी रमेश चंद्र बिढान

सिरसा, 9 फरवरी।

संत रविदास जी की शिक्षाओं को हम अपने व्यवहारिक जीवन में उतार कर एक हो सकते हैं : डीसी रमेश चंद्र बिढान


             उपायुक्त रमेश चंद्र बिढान ने कहा कि केवल पढने लिखने से ही हम ज्ञानी नहीं बन सकते, ज्ञानी वही व्यक्ति होता है जो ज्ञान को अपने आचरण में धारण करता है। गुरु रविदास जी ने हमें यही सिखाया है कि समाज में आपसी भाईचारा, एक दूसरे के प्रति सम्मान व प्रेम का भाव हो।

संत शिरोमणी रविदास जी की 643वीं जयंती पर जिला स्तरीय कार्यक्रम आयोजित


                 वे रविवार को स्थानीय पंचायत भवन में हरियाणा अनुसूचित जातियां एवं पिछड़े वर्ग कल्याण विभाग हरियाणा द्वारा आयोजित संत शिरोमणी गुरु रविदास जी की 643वीं जयंती पर आयोजित जिला स्तरीय कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर नगराधीश कुलभूषण बंसल, सदस्य अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग वेद कुसुंबी, तहसील कल्याण अधिकारी राम कुमार सैनी, खंड शिक्षा अधिकारी बुटा राम भी मौजूद थे।


                 उपायुक्त ने कहा कि जब व्यक्ति इस दूनिया को छोड़ कर जाता है तो उसको उसके यश के कारण ही याद किया जाता है। यदि व्यक्ति को अपने जीवन में यश को कमाना है तो एक दूसरे का सहयोग करें और आपसी भाईचारे के साथ रहें। उन्होंने कहा कि संत वहीं होता है जो सहयोग व प्रेम के भावों के साथ अपने जीवन का जीता है और यही खुबी संत रविदास जी में थी। उनकी खुबियों के कारण आज इतने वर्षों के बाद भी हम उन्हें याद कर रहे हैं। संत शिरोमणी रविदास जी की जयंती मनाने का उद्देश्य यही है कि हम उनसे कुछ न कुछ सीख सकें। उन्होंने कहा कि आज के समय में मनुष्य ने अपने जीवन में आपसी सहयोग को खत्म कर दिया है जिसके फलस्वरुप परिवारों में विघटन हो रहे हैं। हम संत रविदास जी की शिक्षाओं को अपने व्यवहारिक जीवन में उतार कर एक हो सकते हैं और परिवारों के विघटन को आगे बढने से रोक सकते हैं। उपायुक्त ने कहा कि संतों ने हमेशा इस बात पर जोर दिया है कि व्यक्ति का कर्म व वचन शुद्ध हो। हमारा आचरण वैसा ही होना चाहिए जैसी हम दूसरों से अपने लिए उम्मीद करते हैं, यही गुण हमें संत सिखाते हैं। संत रविदास जी कभी स्कूल नहीं गए, न ही शिक्षा ग्रहण की फिर भी अनेक ग्रंथों की रचना करके समाज को प्रेरित किया। उनके लेख व वाणी को हमारे धार्मिक ग्रंथों में भी शामिल किया गया है। उनकी शिक्षाएं आज भी हमारा मार्गदर्शन करती है।


                 नगराधीश कुलभूषण बंसल ने कहा कि गुरु रविदास जी की सभी रचनाएं बड़ी ही सरल भाषा में थी। हर कोई व्यक्ति बड़ी आसानी से उनका अर्थ समझ सकता है। उन्होंने मुर्तिपूजा, छूआछूत जैसी कुरीतियों को कड़ा विरोध किया। वे महान समाज सुधारक व कवि थे, उन्होंने सामाजिक समरस्ता का पाठ पढाया। वे समस्त भारत में एक महान संत के रुप में पूजे जाते हैं। इस अवसर पर हिंदी प्रवक्ता चिमन भारतीय, विद्यार्थी शुभम, राधा, तनिषा ने भी संत रविदास जी के जीवन चरित्र व शिक्षाओं पर विस्तारपूर्वक प्रकाश डाला।


                 उपायुक्त रमेश चंद्र बिढान ने संत शिरोमणी रविदास जी के जीवन पर आधारित स्कूल स्तर पर आयोजित भाषण व लेखन प्रतियोगिता के विजेताओं को प्रथम, द्वितीय तथा तृतीय स्थान पर आने वाले विद्यार्थियों को क्रमश: 2100, 1500 व 700 रुपये के चैक प्रदान किया। श्रीराम न्यू सतलुज स्कूल के बच्चों ने राष्टï्रीय गान प्रस्तुत किया। भाषण प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पर शुभम, द्वितीय स्थान पर तनिशा तथ तृतीय स्थान पर राधा रही। इसी प्रकार लेखन प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पर प्रशांत, द्वितीय स्थान पर अमन तथा तृतीय स्थान पर कोमल रही।


                 इस अवसर पर लेखाकार मक्खन सिंह, समाजसेवी बिमला देवी, सीमा रानी, हरबंदी, लाभ चंद, नरोत्तम मैहता, विजय सिंह वर्मा, निखिल, पंकज सहित भारी संख्या में आमजन ने भाग लिया। लेखन प्रतियोगिता में प्रशांत, द्वितीय स्थान पर अमन तथा तृतीय स्थान पर कोमल रही। 

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