विद्यालय शिक्षा में पुस्तकालयों की भूमिका विषय पर कार्यशाला आयोजित
सिरसा, 23 नवंबर।
उपायुक्त अशोक कुमार गर्ग ने कहा कि ज्ञान व्यक्ति की असली ताकत होती है और पुस्कालय ज्ञान अर्जन का सबसे बढिया माध्यम है। किताबें व्यक्ति के जीवन में अंधविश्वास व भ्रांतियों को दूर करती है तथा व्यक्ति का बौद्धिक विकास करती है।
वे शनिवार को स्थानीय पंचायत भवन में शिक्षा विभाग व जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान डिंग द्वारा विद्यालय शिक्षा में पुस्तकालयों की भूमिका विषय पर आयोजित कार्यशाला में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। इस कार्यशाला की अध्यक्षता जिला शिक्षा अधिकारी राजेश चौहान ने की। कार्यशाला में जिला परियोजना समन्वयक पवन सुथार, खंड शिक्षा अधिकारी बुटाराम, जसपाल सिंह सहित विभिन्न विद्यालयों के पुस्तकालय प्रभारी, बीआरपी, एबीआरसी व डिंग डाईट के विद्यार्थियों ने भाग लिया।
उपायुक्त ने कहा कि किताबों से हमें पता चलता है कि दुनिया में भिन्न-भिन्न संस्कृतियां है लेकिन भावनाएं एक जैसी होती है। किताबें व्यक्ति के मस्तिष्क में ज्ञान का सृजन करती है, हमारे सवालों के सभी जवाब किताबों में मिलते हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य केवल परीक्षा पास करना नहीं होता, शिक्षा विद्यार्थी के सर्वांंगिण विकास, बेहतर समाज के निर्माण का एक औजार होती है। विद्यार्थियों की कामयाबी में सबसे बड़ी भूमिका एक अध्यापक की होती है। अध्यापक भविष्य के समाज का निर्माण करते हैं। उन्होंने कहा कि अध्यापक के पेशे की खास बात यह है कि इससे समाज बनता, समाज में परिवर्तन आता है। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों के दिमाग में पैदा हो रहे सवालों को दबाए नहीं बल्कि उन्हें पैदा होने दें और उनका समाधान करें। इससे विद्यार्थियों में प्रश्र पूछने की झिझक खत्म होगी और उनका ज्ञान वर्धन होगा। उन्होंने कहा कि पुस्तकालय अथाह ज्ञान का भंडार होते हैं, पुस्तकें व्यक्ति की जिज्ञासाओं को शांत करती है। इसलिए विद्यालयों के पुस्तकालयों में विविध प्रकार के इतिहास, महापुरुषों, ज्ञान, नवीनतम सूचनाओं, सेवाओं से संबंधित उपलब्ध करवाएं ताकि छात्र-छात्राओं को हर प्रकार की जानकारियां मिले और उनका ज्ञान वर्धन हो। उन्होंने कहा कि महासावित्री बाई फुले ने महिलाओं की शिक्षा के लिए बड़े प्रयास किए, आज उन्ही के प्रयासों की बतौदल महिलाओं की शिक्षा का स्वपन साकार हुआ है। उन्होंने कहा कि कई बार अध्यापक अपने काम के महत्व को कम आंकते हैं, जोकि गलत है। विद्यार्थी अपना अधिकतर समय अपनी कक्षा में ही गुजारते हैं, इसलिए अध्यापक की जिम्मेवारी भी अभिभावक जैसी ही होती है।
कार्यशाला में जिला शिक्षा अधिकारी राजेश चौहान ने उपायुक्त अशोक कुमार गर्ग का स्वागत किया। उन्होंने बताया कि जिला में गत 14 से 21 नवंबर तक पुस्तकालय सप्ताह मनाया गया था। इस दौरान विद्यार्थियों को पुस्तकालय में शिक्षाप्रद कविता, कहानियां व विद्वानों की जीवनियों के बारे में बताया गया। उन्होंने विद्यालय में पुस्तकालय के महत्व पर विस्तारपूर्वक प्रकाश डाला।
इस अवसर पर डा. अमित देवगुण ने समग्र शिक्षा, पुस्तकालय को आगे बढाने के लिए उठाए जाने वाले कदम तथा पुस्तकालयों में साहित्य का सृजन आदि विषयों पर विस्तारपूर्वक चर्चा की। उन्होंने कहा कि प्रत्येक विद्यालय में पुस्तकालय प्रबंधन समिति का गठन किया जाए तथा उस समिति में कम से कम 6 सक्रिय विद्यार्थियों को भी शामिल करें। उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा समय-समय पर पुस्तक मेलों का भी आयोजन किया जाता है तथा इन पुस्तक मेलों में विभिन्न लेखकों की अच्छी किताबें भी मुहैया करवाई जाती है ताकि विद्यार्थियों को हर प्रकार की जानकारी मिल सके।
विषय विशेषज्ञ चंद्र प्रकार ने कार्यशाला ने कार्यशाला में विद्यार्थियों में पढने की आदत को बढाने, शब्दों के ज्ञान में वृद्धि, मोटिवेशन, सहयोग आदि पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी का सबसे बड़ा उद्देश्य ज्ञान अर्जित करना है। कक्षा की किताबों में सीमित ज्ञान होता है और पुस्तकालय ज्ञान का अपार भंडार होते हैं, इसलिए विद्यार्थियों को पुस्तकालयों में लाएं। विद्यार्थियों के लिए एक अलग रिडिंग कॉर्नन बनाए जहां वे पुस्तकें पढने के साथ-साथ उन मद्दों पर चर्चा भी कर सकें। उन्होंने कहा कि आज स्कूलों में सभी सुविधाएं है, अब आवश्यकता है तो केवल विद्यार्थियों को विजन देने की। उन्होंने कहा कि बच्चे कल्पनाशील बनें, यह केवल किताबों के माध्यम से ही संभव है।
इस अवसर पर नोडल ऑफिसर डा. गार्गी मुंजाल ने प्लास्टिक से महिलाओं में बांझपन एवं पर्यावरण पर पड़ रहे दुषप्रभाव आदि विस्तारपूर्वक जानकारी दी। इस अवसर पर एलीमेंट्री हेड ओम प्रकाश, आरती, अध्यापक चिरंजीलाल, रशपाल सिंह, संदीप कुमार, कुलदीप सिंह, मुल्क सिंह, कृष्ण कायत ने पुस्तकालयों के महत्व पर प्रकाश डाला और अपने अनुभव सांंझा किए। उन्होंने पुस्तकालय का विद्यार्थियों पर प्रभाव, स्कूलों में पुस्तकालय क्लब का गठन, बाल सभा में कविता वाचन, शब्द ज्ञान, किताबें चुनने में विद्यार्थियों की मदद, बच्चों की शिक्षा में रूचि पैदा करना आदि बिंदुओं पर अपने अनुभव सांझा किए। जिला परियोजना समन्वयक पवन सुथान ने कार्यशाला में आए सभी व्यक्तियों का धन्यवाद किया। कार्यशाला में अध्यापक परामानंद शास्त्री ने कुशल मंच संचालन किया।
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