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*राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा दिवस के अवसर पर राज्य स्तरीय सम्मेलन का किया गया आयोजन*

*प्राकृतिक चिकित्सा स्वयं में परिपूर्ण चिकित्सा, किसी और चिकित्सा की नहीं आवश्यकता-डाॅ. जयदीप आर्य*

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पंचकूला, 22 नवंबर- हरियाणा योग आयोग, एमिटी विश्वविद्यालय हरियाणा, गुरुग्राम एवं इंटरनेशनल नेचुरोपैथी ऑर्गेनाइजेशन के संयुक्त तत्वाधान में राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा दिवस के अवसर पर राज्य स्तरीय सम्मेलन का आयोजन एमिटी विश्वविद्यालय में हरियाणा योग आयोग के  चेयरमैन डॉ जयदीप आर्य एवं एमिटी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर पी. वी. शर्मा की अध्यक्षता में किया गया। 

प्रातःकाल प्राकृतिक चिकित्सा का प्रैक्टिकल सत्र डॉ विजाता आर्य द्वारा आयोजित किया गया, जिसमें विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने मुख्य रूप से भागीदारी की।

राज्य स्तरीय प्राकृतिक चिकित्सा सम्मेलन में श्री वेदप्रकाश शर्मा, चेयरमैन, मध्य प्रदेश योग आयोग ने मुख्य अतिथि के रूप में शिकरत की एवं प्रो0 विकास मधुकर, प्रति उपकुलपति, एमिटी विश्विद्यालय, डॉ अनंत बिरादर, राष्ट्रीय अध्यक्ष, आईएनओ, डॉ किरणमयी, अतिरिक्त निदेशक, शैक्षिक, शिक्षा विभाग, डॉ विनय, प्रमुख, जनसँख्या विभाग, एससीईआरटी मुख्य रूप से शामिल रहे। सम्मेलन का शुभारंभ दीप प्रज्वलन एवं नेचुरोपैथी गीत के साथ किया गया। इसके साथ ही हरियाणा योग आयोग एवं इंडो वेतनाम मेडिकल बोर्ड द्वारा कौन बनेगा स्वास्थ्य रक्षक का लॉन्च किया गया। कार्यक्रम में एमिटी विश्विद्यालय के विद्यार्थी, आई0एन0ओ0 के कार्यकर्ता, योगासन खिलाड़ी, स्थानीय योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा के चिकित्सकों सहित लगभग 1000 प्रतिभागी सम्मिलित रहे।

 हरियाणा योग आयोग के अध्यक्ष डॉ जयदीप आर्य ने सभी का अभिनन्दन करते हुए कहा कि  प्राकृतिक चिकित्सा रोग मुक्त, दवा मुक्त जीवन जीने की पद्धति है और प्राकृतिक चिकित्सा अपनाने से कार्यक्षमता, शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य का विकास होता है। उन्होंने कहा कि कोविड में जलनेति, सूत्रनेति, नस्य और प्राणायाम ने लाखों लोगों की जान बचायी।

 डॉ आर्य ने कहा कि एमिटी विश्विद्यालय के संस्थापक श्री अशोक चौहान ने प्रकृति संरक्षण का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत किया है।  मुख्य अतिथि श्री वेदप्रकाश शर्मा, अध्यक्ष, मध्य प्रदेश योग आयोग ने तीनों संस्थानों के इस संयुक्त प्रयास की सरहाना करते हुए कहा कि प्रथम प्राकृतिक चिकित्सा संस्थान 1956 में पुणे में स्थापित हुआ था, जिसकी स्थापना महात्मा गांधी द्वारा की गई।

 उन्होंने कहा कि प्राकृतिक चिकित्सा स्वयं में परिपूर्ण चिकित्सा है। इसमें किसी और चिकित्सा की आवश्यकता नहीं। साथ ही अष्टांगयोग का वर्णन करते हुए कहा कि स्वस्थ शरीर हेतु योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा दोनों ही एक-दूसरे के पहलू हैं।

एमिटी विश्विद्यालय के कुलपति ने कार्यक्रम के सफल आयोजन हेतु सभी को बधाई देते हुए सदाचार, सद्भाव के व्यक्तित्व को अपनाने का सन्देश दिया और कहा कि उन्होंने स्वयं अपने जीवन में योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा को अपनाया है। मुख्य वक्ताओं के रूप में डॉ बिस्वरूप रॉय चैधरी, निदेशक, इंडो वियतनाम मेडिकल बोर्ड और एचआईएमएस हॉस्पिटल, डॉ डी0न0 शर्मा, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, डॉ ब्रिजेन्द्र आर्य, निदेशक, कायाकल्प योग नेचुरोपैथी संस्थान, स्वामी आनंद देव, प्रबंधन प्रतिनिधि, पतंजलि विश्विद्यालय, डॉ नवदीप जोशी, नाद योगगुरु, श्री ओमप्रकाश, संस्कार स्कूल पाली, डॉ अभिषेक जैन, वेलनेस प्रोजेक्ट सलाहकार, डॉ मदन मानव, सदस्य, हरियाणा योग आयोग एवं डॉ हरीश यादव, संयोजक, आईएनओ  उपस्थित रहे और प्राकृतिक चिकित्सा के स्वास्थ्य लाभ, उपयोग आदि के संबंध में व्याख्यान प्रस्तुत किये।

  कार्यक्रम के संयोजक के रूप में प्राकृतिक चिकित्सा विशेषज्ञ एवं हरियाणा योग आयोग के सदस्य डॉ मदन मानव एवं एमिटी विश्विद्यालय से डॉ संजना विज ने भूमिका निभाई।  विश्व प्रसिद्ध वैज्ञानिक चिंतक डॉ विश्वस्वरूप चौधरी ने किडनी रोग एवं डायलिसिस से पीड़ित रोगियों को प्राकृतिक चिकित्सा से ठीक होने का रास्ता बताते हुए जल चिकित्सा, टब चिकित्सा तथा श्वास रोगों के लिए विज्ञान परक अनुसन्धान परक सरल रास्ते बताये। योगीराज ओमप्रकाश ने प्राकृतिक चिकित्सा मिट्टी, पानी, धूप-हवा सब रोगों की एक दवा पर अपना चिंतन प्रस्तुत किया।

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