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राज्य स्तरीय राष्ट्रीय सेवा योजना शिविर में अपनी संस्कृति और मूल की ओर लौटने का दिया संदेश: प्रो कुलदीप अग्निहोत्री

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पंचकूला 11 जनवरी – भारत समस्त संस्कृतियों का पालन है, सभ्यताओं की जन्मभूमि है।
राज्य स्तरीय राष्ट्रीय सेवा योजना शिविर विश्व की समस्त संस्कृतियां समय-समय पर उत्थान और पतन की लीला को झेलती रही है। कितनी संस्कृतियों मृतप्राय हो गई। भारतीय संस्कृति युगो युगो से जीवंत चली रही है। किसी देश का पतन उसके भूमि के खत्म हो जाने से नहीं होता बल्कि उसकी सांस्कृतिक मूल्य समाप्त हो जाने से होता है। हमें अपना सर्वस्व देकर अपने सांस्कृतिक मूल्यों और विचारों को बचाना चाहिए।
प्रसिद्ध समाज सेवी रमाकांत भारद्वाज ने स्वयंसेवकों को भारत के गौरवपूर्ण इतिहास का भावपूर्ण वर्णन किया।
भारतीय चिंतन और परंपरा बहुत ही प्राचीन है। वैदिक गणित, चिकित्सा, नक्षत्रो की खगोलीय गणना, दर्शन और अनुसंधान भारतीय चिंतन परंपरा का आधार रहा है। भारतीय चिंतन परंपरा सर्वग्रहणीय रही है। कितने यवन, शक, हूण कुषाण, तुर्क, मुगल, फ्रांसीसी, अंग्रेज भारत में आए और भारतीय परंपरा को अपनाकर के यही बस गए। भारतीय परंपरा में हम पंचांग के माध्यम से तिथियां और नक्षत्र तक की गणना कर लेते थे आज नासा के वैज्ञानिक भी हमारी परंपरा को देखकर के हैरान है। भारतीय चित्रकला शिल्प कला स्थापत्य कला और द्रव्य विज्ञान का इतना ज्ञान हमारे ग्रंथो में भरा पड़ा हुआ है। हजारों साल से मिट्टी में दबे तलवारों में जंग नहीं लगे, उनको इस विधि से बनाया गया है कि आज वैज्ञानिक फिर देख करके हैरान है। हमें ऐसे राष्ट्रीय योजना शिविरों के माध्यम से विद्यार्थियों में अपने राष्ट्र समाज और संस्कृति के प्रति प्रेम की भावना को जागना चाहिए। आज के स्वयंसेवक विद्यार्थी कल के भावी नागरिक हैं। इन विद्यार्थियों के ऊपर हमारा भविष्य टिका हुआ है। जिस देश के युवा अपने सांस्कृतिक मूल्यों और आदर्शों से जुड़े हैं वह देश युगों–युगों तक जीवित और जागृत रहेगा।
शिविर के कोऑर्डिनेटर डॉक्टर अरविंद कुमार द्विवेदी ने बताया विद्यार्थियों के शारीरिक मानसिक और आध्यात्मिक विकास के लिए हम योग प्राणायाम व्यायाम मंत्र उच्चारण के साथ-साथ विभिन्न गतिविधियां खेल, मंत्र उच्चारण, भाषण , चित्रकला संगीत आदि प्रतियोगितायों माध्यम से स्वयंसेवकों में संस्कार देने का कार्य कर रहे हैं।
शिविर में संजीव कुमार रविंदर कुमार,डॉ सम्राट अनिल अत्री, रणदीप मान वीना, सुशीला, ममता आज के सहयोग से सफलतापूर्वक आयोजन किया जा रहा है

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