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राजबीर देसवाल की 23वीं कृति ‘टी-बैग्स’ का लोकार्पण

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पंचकूला 17 जनवरी: हरियाणा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के महाराजा दाहिर सेन सभागार में पूर्व अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक राजबीर देसवाल की ‘टी-बैग्स’ पुस्तक का लोकार्पण किया गया।

इस समारोह के मुख्य अतिथि पूर्व पुलिस महानिदेशक अनिल शर्मा ने कहा कि राजबीर देसवाल साहित्य जगत में किसी परिचय के मोहताज नहीं है। राजबीर देसवाल के साहित्य में हरियाणा में ग्रामीण जीवन व लोक जीवन की अद्भुत झलक मिलती है। अपने अंटा गांव की कहानी के अन्तर्गत वे हरियाणा की संस्कृति व लोकजीवन को उसकी समृद्ध परम्परा में अभिव्यक्त करते हैं। उनकी रचनाएं हरियाणा के लोक जीवन के हास्य व जीवंत्तता को बखूबी रेखांकित करती हैं। वे एक कुशल पुलिस अधिकारी ही नहीं रहे एक समर्पित साहित्यकार, गीतकार, फोटोग्राफर, पत्रकार भी हैं। उनकी 23 पुस्तकों में से 7 पुस्तकें कविता की हैं। वे अपनी रचनाओं के माध्यम से सोशल मीडिया में भी बहुत ही सक्रिय हैं। उनके विभिन्न विषयों पर अनेक आलेख समाचार-पत्रों में भी छपते रहते हैं।

अकादमी के कार्यकारी उपाध्यक्ष डॉ. कुलदीप चंद अग्निहोत्री ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि सरकार द्वारा अकादमी परिसर को एक साहित्यिक सांस्कृतिक केन्द्र के रूप में विकसित करने के लिए भवन का निर्माण किया है। अनुभव व संवेदनाओं को सही रूप में व्यक्त करना ही लेखक का दायित्व है।

सभागार में उपस्थित लेखक इस बात का प्रमाण है कि राजबीर देशवाल के कृतित्व को पढ़ने वालों की संख्या अच्छी खासा है। देशवाल जी के संस्मरण इतने सजीव हैं कि उनका साधारणीकरण हो गया है। ऐसे संस्मरण किसी एक व्यक्ति के संस्मरण नहीं रहते वे समग्र  समाज के संस्मरण बन जाते हैं।

सुप्रसिद्ध प्रेरक एवं चिंतक विवेक आत्रेय ने कहा कि राजबीर देशवाल एक बहुमुखी प्रतिभा सम्पन्न व्यक्तित्व हैं। मेरे विचार में उनका पुलिस वाला होना साहित्य पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। कोई भी अधिकारी यदि लेखक है तो उसमें मानवीय संवेदना का पक्ष प्रभावशाली हो जाता है। वह अपनी भूमिका व सामाजिक दायित्वों को अधिक निष्ठा से निभाता है। वे उत्साह से भरपूर व्यक्ति हैं, उनसे कभी भी मिलेंगे तो आप उन्हें उत्साह और जीवन से भरपूर पाएंगे।

इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि डॉ. गुरदीप धीर गुल ने कहा कि कवि में ब्रह्म शक्ति, शिव शक्ति एवं विष्णु शक्ति का समावेश होता है। ब्रह्म शक्ति से लेखक सृजनशील होता है तो शिव शक्ति से वह समाज को आईना दिखाता है। विष्णु शक्ति से लेखक समाज में मानवीय संवेदनाओं का प्रचार-प्रसार करता है। राजबीर देशवाल के कृतित्व में यह तीनों गुण स्पष्ट रूप से दिखाई देते हैं।

 वरिष्ठ पत्रका श्री एस.डी. शर्मा ने अपने संबोधन में राजबीर देशवाल के जीवन के अनछुए पहलुओं पर बात की तथा उनके गायक के पक्ष को सांझा किया। इस अवसर पर वशिष्ट अतिथि के रूप में पधारीं डॉ. चेतना वैश्नवी ने कहा कि राजबीर देशवाल बहुमुखी प्रतिभा के धनी सहज एवं सरल हृदय के स्वामी हैं। उनके व्यक्तित्व के गीतकार, लेखक, चित्रकार, पत्रकार एवं वरिष्ठ पुलिस अधिकारी अनेक पक्ष हैं, जिनमें वे अद्भुत सांमजस्य स्थापित करते हुए आगे बढ़ते हैं।

राजबीर देशवाल ने अपनी रचना प्रक्रिया की बात करते हुए कहा कि अपने अनुभवों एवं संवेदनाओं को सांझा करने के लिए वे सृजनशील होते हैं। इस अवसर पर उन्होंने अपने कई सामाजिक अनुभव सांझा किए तथा कुछ रचनाएं भी प्रस्तुत की। कार्यक्रम का संचालन कवि समस तवरेजी द्वारा प्रभावशाली ढंग से किया गया। लोकार्पण समारोह में चंडीगढ़, पंचकूला के लगभग 100 लेखकों एवं गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया।

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