माननीय न्यायमूर्ति श्री एन0वी0 रमना जी ने कोविड-19 की महामारी के कारण देश के सामने आने वाले कई मुद्दों और चुनौतियों पर प्रकाश डाला।
पंचकूला 5 जूून- माननीय न्यायमूर्ति श्री एन0वी0 रमना, न्यायाधीश, सर्वोच्च न्यायालय एवं कार्यकारी अध्यक्ष, राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण ने राज्य विधिक सेवा प्राधिकरणों के अध्यक्षों, उच्च न्यायालय कानूनी सेवा समितियों के अध्यक्षों, सभी राज्य विधिक सेवा प्राधिकरणों के सदस्य सचिवों एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों के अध्यक्षांे तथा सचिवों की उपस्थिति में एक वेबिनार के माध्यम से एक‘Handbook of Formats: Ensuring Effective Legal Services’ को जारी किया।
यह पुस्तिका Commonwealth Human Rights Initiative (CHRI के सहयोग से तैयार की गयी है। यह पुस्तिका विभिन्न प्रारूपों को एकीकृत करने की दिशा मंे पहला महत्वपूर्ण कदम है। यह पुस्तिका मानव संसाधनों के प्रबन्धन के लिए एक प्रभावी उपकरण है और भविष्य में सभी को न्याय दिलवाने के लिए एक छोटा परन्तु महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।
अपने प्रमुख संबोधन में, माननीय न्यायमूर्ति श्री एन0वी0 रमना जी ने कोविड-19 की महामारी के कारण देश के सामने आने वाले कई मुद्दों और चुनौतियों पर प्रकाश डाला। लाॅकडाउन के कारण, हजारों लोग अपनी जान और आजीविका खो चुके हैं, बड़े पैमाने पर पलायन भी हुआ है। उन्होंने इस प्रचलित महामारी के दौरान कानूनी विधिक सेवा प्राधिकरणांे द्वारा नवीनतम तकनीक को अपनाते हुए किए गए कार्यों/गतिविधियों की सराहना की।
माननीय न्यायमूर्ति श्री एन0वी0 रमना जी ने यह भी कहा कि लाॅकडाउन के दौरान, यह संज्ञान में आया है कि परिवार के भीतर ही हिंसा के मामले बढ़ रहे हैं। इस स्थिति में, हर जिले में महिला पैनल वकीलों की टेली-सेवाओं के माध्यम से, पीड़ितांे को कानूनी सहायता प्रदान करने के लिए लगातार प्रयास किए गए।
भारत के माननीय उच्चतम न्यायालय के दिनांक-23 मार्च 2020 के निर्देशांे के अनुपालन में, राज्य विधिक सेवा प्राधिकरणों ने पूर्ण सक्रियता के साथ भ्पही च्वूमतमक ब्वउउपजजममे को कैदियों की रिहाई के लिए आवश्यक औपचारिकताओं को समझने और उन्हंे पूरा करने के लिए सक्रिय रूप से सहायता की है। इस महामारी के दौरान कुल 58,797 विचाराधीन कैदियों को एवं 20,972 दोषियों को विधिक सेवा संस्थानों की सहायता से रिहा कर दिया गया है और रिमाण्ड स्टेज पर 9,558 व्यक्तियों को कानूनी प्रतिनिधित्व प्रदान किया गया है। 1,559 घरेलू हिंसा के मामलों में महिलाओं को, 16,391 अपराधियांे को, 1,882 मजदूरांे को एवं 310 किरायेदारों को कानूनी सलाह एवं सहायता प्रदान की गई है।
कानूनी सेवा प्राधिकरणों नें विभिन्न राज्यों में सैकड़ों वेबिनार आयोजित किए हैं तथा अधिकांश जरूरतमंद लोगों तक पहुॅचने के लिए सोशल मीडिया, सामुदायिक रेडियों स्टेशनों, स्थानीय केबिल टेलीविजन चैनलों और अन्य डिजिटल प्लेटफार्मों जैसे प्रभावी उपकरणों का भी उपयोग कर रहे हैं।
हरियाणा राज्य में दिनांक-24मार्च 2020 के बाद से कुल 5,752 विचाराधीन कैदी और 3,041 अपराधी रिहा किए गए हैं।
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