जब महिलाएं बिना दबाव के निर्णय लेने में सक्षम होगी तभी वास्तव में सशक्त होंगी-राकेश कुमार आर्या

मछली पालकों के लिए वरदान साबित हो रही प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना

सिरसा, 05 अप्रैल।

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नीली क्रांति का परिचायक मत्स्य पालन व्यवसाय जिला के मत्स्य किसानों के लिए वरदान साबित हो रहा है। मत्स्य पालन विभाग जिला में मछली पालन व्यवसाय से जुड़े मत्स्य किसानों को आजीविका के बेहतर अवसर प्रदान कर उनके आर्थिक विकास के लिए प्रयासरत है।


उपायुक्त अजय सिंह तोमर ने कहा कि जिला में मत्स्य पालन व्यवसाय मत्स्य किसानों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। सिरसा जिला में अनेक मत्स्य पालक किसान इस व्यवसाय से जुड़े हुए हैं। विभाग द्वारा योजना के सफल क्रियान्वयन से मछली पालकों के जीवन में आर्थिक रुप से परिवर्तन आया है। सरकार द्वारा जिले में मत्स्य पालकों के लिए विभिन्न कल्याणकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं, जिनका उन्हें पूरा लाभ मिल रहा है।
उन्होंने बताया कि सरकार की ओर से ओर से मछली पालकों को 40 से 60 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है। इसके अलावा मत्स्य पालन विभाग के माध्यम से मछली पालकों को मछली पालन का प्रशिक्षण देने के साथ-साथ प्रशिक्षण भत्ता भी प्रदान किया जाता है। इसके अलावा मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए मत्स्य कृषकों को नोटिफाइड वाटर पर 25 प्रतिशत अनुदान, पंचायती तालाब पर पट्टा राशि पर 50 प्रतिशत अनुदान, खाद-खुराक लागत पर प्रति हेक्टेयर 1.50 लाख पर 60 प्रतिशत अनुदान और 15 हजार के जाल की खरीद पर 50 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है। मत्स्य कृषकों को डीप बोरवेल पर 2 लाख लागत का 60 प्रतिशत सभी वर्गों की महिलाओं व अनुसूचित जाति को तथा 40 प्रतिशत सामान्य व ओबीसी को व सोलो ट्यूबवेल पर 50 हजार लागत पर 60 प्रतिशत व 40 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है। इसके अलावा एरियेटर पर 30 हजार लागत पर 60 प्रतिशत व 40 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है। मत्स्य पालन के लिए विभाग द्वारा ग्रो आउट पोंड पर 11 लाख लागत पर व रियरिंग पोंड के लिए अनुमानित लागत सात लाख रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से अनुदान प्रदान किया जाता है।

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  उपायुक्त ने बताया कि प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत 60 प्रतिशत सभी वर्गों की महिलाओं व अनुसूचित जाति को तथा 40 प्रतिशत सामान्य व ओबीसी को अनुदान प्रदान किया जाता है। मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना की शुरुआत की गई थी। इस योजना के तहत प्रार्थी निजी भूमि में या पट्टे पर भूमि लेकर मछली फीड हैचरी, बायोफ्लॉक, आरएएस, फीड मिल, कोल्ड स्टोर आदि लगाने पर विभाग से वित्तीय एवं तकनीकी सहायता प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि झींगा मछली पालन से 5 से 6 लाख रुपये प्रति एकड़ तक की आमदनी होती है।


जिला मत्स्य अधिकारी जगदीश चंद्र ने मछली पालन बारे जानकारी देते हुए बताया कि कई गांवों में विभिन्न प्रकार से मछली पालन का कार्य किसानों द्वारा किया जा रहा है। विभाग द्वारा प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना तथा अन्य विभागीय योजनाओं के लिए किसानों को जागरूक किया जा रहा है और समय-समय पर विभाग द्वारा प्रशिक्षण भी दिया जाता है। इसके अलावा जिन किसानों के पास भूमि का अभाव है, उनके लिए पंचायती भूमि को आठ साल के लिए पट्टे पर देने का प्रावधान है जिसमें वे झींगा पालन करने अपनी आय बढ़ा सकते हैं।