ब्लाक हुए दिल के वाल्वों में वाल्व फिट करने की तकनीक ने जगाई नई उम्मीद: डा. एच.के. बाली
ट्रांस्क्यूटेनियस एरोटिक वाल्व रिप्लेसमैंट तकनीक देगी बुजुर्गों को नई जिंदगी: डा. बाली
पंचकूला, 30 मई : पंचकूला के पारस सुपरस्पेशलिटी अस्पताल के कार्डियक साइंस विभाग के प्रमुख तथा प्रसिद्ध दिल के रोगों के माहिर डा. एच.के. बाली ने बंद (ब्लॉक) वाल्व में बिना आप्रेशन वाल्व फिट करने की नई तकनीक द्वारा एक 70 वर्षीय महिला को नई जिंदगी मुहैया करवाने में सफलता हासिल की है।
अस्पताल के कार्डियक साइंस विभाग के साथ जुड़े माहिर डाक्टरों की मौजूदगी में अपनी इस सफलता संबंधी जानकारी देते हुए डाक्टर बाली ने बताया कि ट्रांस्क्यूटेनियस एरोटिक वाल्व रिप्लेसमैंट नामक इस तकनीक ने विशेषकर बुजुर्ग दिल के रोगियों के लिए नई उम्मीद जगाई है। उन्होंने बताया कि इस विधि द्वारा ब्लाक हो चुके वाल्वों के अंदर बिना आप्रेशन वाल्व फिट करके रक्त की सप्लाई को दोबारा निर्विघ्न करने में सफलता हासिल हुई है। जिससे इंसान के शरीर को अनेकों बीमारियों से सुरक्षित किया जा सकता है।
दिल के रोगों के इलाज में 30 वर्ष से अधिक का सफल सफर निभा रहे तथा 15 हजार से अधिक आप्रेशन कर चुके डाक्टर बाली ने आज पारस सुपरस्पेशलिटी अस्पताल के सीटीवीएस विभाग के प्रमुख डा. राणा संदीप सिंह, कार्डियोलॉजी विभाग के सीनियर कंस्लटेंट डा. कपिल चैटर्जी, कंस्लटेंट डाक्टर दीप सिंह तथा कार्डियक एनसीथीसिया के डाक्टर प्रिंयका गुप्ता की मौजूदगी में उन्होंने कहा कि उन्होंने इस आप्रेशन को करने में 10 दिन पहले सफलता हासिल की है। उन्होंने बताया कि ऐसा आप्रेशन करने वाला पारस अस्पताल ट्राईसिटी का ही नहीं, बल्कि इलाके का पहला निजी अस्पताल बन गया है।
वाल्व रिप्लेसमैंट तकनीक में डाक्टर बाली ने रचा नया इतिहास, 70 वर्षीय महिला के बंद वाल्व को बिना आप्रेशन किया कार्यशील
डाक्टर बाली ने आप्रेशन का जिक्र करते हुए बताया कि चंडीगढ़ की रहने वाले 70 वर्षीय इस महिला के दिल में तकरीबन 10 वर्ष पहले वाल्व डाला गया था, जिनको अब दोबारा से सांस लेने में दिक्कत होनी शुरू हो गई थी।
उन्होंने बताया कि माहिर टीम द्वारा की जांच दौरान यह बात सामने आई कि इस स्थिति में रैडो सर्जिकल वाल्व रिप्लेसमैंट तकनीक अपनाना काफी जोखिम भरा कार्य है। जिसके बाद इस नतीजे पर पहुंचे कि सर्जिकल ट्रांस्क्यूटेनियस एरोटिक वाल्व रिप्लेसमैंट तकनीक को अपनाया जाए। उन्होंने बताया कि विश्व भर में अनेकों लोगों को नई जिंदगी देने वाली यह विधि न सिर्फ किसी तरह की बड़ी तकलीफ से मुक्त है, बल्कि इससे मरीज भी जल्द चलने फिरने के योगय हो जाता है।
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