147 बुजुर्ग एवं दिव्यांगों ने भरा 12डी फार्म, रिटर्निंग अधिकारी घर-घर जाकर डलवाएंगे वोट - डा. यश गर्ग

फोर्टिस अस्पताल मोहाली में आधुनिक तकनीक से दिमाग की बीमारी से ग्रस्त बुजुर्ग मरीजों का सफल इलाज

न्यूरोवेस्कूलर स्थिति में फ्लो डायवर्टर तथा मैकेनिकल थ्रोम्बैक्टमी तकनीक से किया इलाज

For Detailed News-

जालंधर, 10 दिसंबर ( ): फोर्टिस अस्पताल मोहाली के न्यूरो इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी विभाग के एडिशनल डायरेक्टर डा. संदीप शर्मा ने ब्रेन स्ट्रोक (दिमाग का दौरा) पडऩे के कारण एक जटिल दिमागी बीमारी से ग्रस्त 2 मरीजों का आधुनिक तकनीकों द्वारा सफलतापूर्वक इलाज किया। इन मरीजों के इलाज के लिए फ्लो डायवर्टर तथा मकैनिकल थ्रोम्बैक्टमी तकनीक का इस्तेमाल किया गया।


डा. शर्मा ने बताया कि हाल ही में उन्होंने जालंधर से संबंधित एक 51 वर्षीय महिला का इलाज किया है, जिसको ब्रेन हेमरेज हो गया था, जिसको तुरंत इलाज की जरूरत थी, क्योंकि दिमाग में खून का दबाव बढऩे से वह बेहोशी की हालत में जा सकती थी या मौत भी हो सकती थी। डा. शर्मा ने बताया कि फ्लो डायवर्टज की मदद से दिमाग की फूली नस यानि एन्यरिजम में काइल्ज डाली गई।


मरीज जसबीर कौर उच्च रक्तचाप (हाईपरटेंशन) से पीडि़त थी तथा ब्रेन स्ट्रोक के कारण उनको लकवा हो गया था तथा शरीर में अकड़ाहट (अपंगता) पैदा हो गई थी। वह 17 जून को फोर्टिस अस्पताल मोहाली आए तथा सीटी स्केन से पता लगा कि उनके दिमाग की नस फट गई है। डा. शर्मा की टीम ने उनका आप्रेशन किया जो कि बहुत कामयाब रहा तथा 9 दिनों के अंदर मरीज बिल्कुल तंदरूस्त हो गई तथा उसको छुट्टी दे दी गई।


डा. शर्मा ने बताया कि एक अन्य मामले में एक 70 वर्षीय मरीज को थ्रोम्बोटिक एक्लयूसिव स्ट्रोक हो गया था। इस मामले में तुरंत इलाज की जरूरत थी, क्योंकि मरीज के दिमाग की नाड़ी में खून का कतला (कलॉट) बन चुका था, जिससे दिमाग को खून की सप्लाई बंद या कम हो जाने का खतरा होता है। उन्होंने तुरंत मरीज के इलाज के लिए मकैनिकल थ्रोम्बैक्टमी तकनीक का प्रयोग किया। 70 वर्षीय केवल कृष्ण चथरथ 5 दिनों के अंदर ही तंदरूस्त हो गए तथा उनको अस्पताल से छुट्टी दी दी।

https://propertyliquid.com


डा. संदीप शर्मा ने बताया कि दिमाज की नाड़ी फटने या दिमाग में खून का कलॉट जम जाने की स्थिति में फ्लो डायवर्टज तथा मैकेनिकल थ्रोम्बैक्टमी द्वारा कामयाबी से इलाज किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि स्ट्रोल के 24 घंटों के अंदर-अंदर मैकेनिकल थ्रोम्बैक्टमी द्वारा इलाज करके मरीज की जान बचाई जा सकती है तथा वह जल्द ही पहले की तरह कामकाज कर सकता है।