फिल्म ‘पहलÓ दिखा ग्रामीणों को किया नशा को लेकर जागरूक
किस प्रकार एक व्यक्ति का नशा करना उसके परिवार के लिए बर्बादी का कारण बनता है। किसी का नशा करना कैसे एक मां, पत्नी, बहन, पिता के लिए कितना दुखदायी व पीड़ादायक होता है, ये सब दिखाया गया है फिल्म पहल में। इसके साथ ही नशे से बाहर निकलने व नशे का कारोबार करने वालों के खिलाफ आवाज बुलंद करने का संदेश भी इस फिल्म में दर्शाया गया है। सोमवार को सूचना, जनसंपर्क एवं भाषा विभाग की सिनेमा यूनिट ने गांव डिंग में इस फिल्म के माध्यम से लोगों को नशा न करने के लिए जागरूक किया।
फिल्म में दर्शाया गया है कि कैसे एक युवक नशे की दलदल में फंस जाता है। यहीं से उसके परिवार की बर्बादी की कहानी शुरू होती है। युवक की मां, पत्नी, बहन और पिता के साथ-साथ दूसरे सगे संबंधी पर इसका प्रभाव पड़ता है। फिल्म में नशे से ग्रस्त बेटे को देख मां व पिता के पीड़ादायी संवाद सुनकर उपस्थित लोग सहज रूप से नशा के दुष्परिणों को समझ रहे थे। यह दृष्य देख लोग अपने आंसू नहीं रोक पाए और समझ रहे थे कि नशा बर्बादी के अलावा कुछ नहीं लाता।
नशा के दुष्परिणों के साथ-साथ नशा तस्करों के खिलाफ कैसे आवाज बुलंद करें और किस प्रकार ऐसे लोगों की शिकायत करें, इन सबके बारे में भी फिल्म साफ तौर से संदेश दिया।
नशा तस्करी करने व इसमें संलिप्त लोगों की दें सूचना : उपायुक्त रमेश चंद्र बिढाण
उपायुक्त रमेश चंद्र बिढाण ने कहा कि नशा के खिलाफ सभी को सामाजिक जिम्मेवारी निभाते हुए एकजुट होना होगा, तभी जिला से नशा प्रवृति को जड़मूल से खत्म किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि जो लोग नशा तस्करी करते हैं या इस काम में संलिप्त हैं, ऐसे लोगों की सूचना बेझिझक प्रशासन या पुलिस को दें, ताकि उसके खिलाफ कार्रवाई की जा सके। नशा किसी विशेष को बर्बाद नहीं करता है, यह पूरे समाज के लिए घातक है। इसलिए जिलावासी नशा मुक्ति अभियान के साथ जुड़ें और अपनी सामाजिक जिम्मेवारी का निर्वहन करते हुए जागरूक नागरिक होने का परिचय दें।
उन्होंने कहा कि वैसे तो नशा को दृढ इच्छा शक्ति के बल पर छोड़ा जा सकता है। यदि कोई व्यक्ति नशा ग्रस्त है और उससे नशा नहीं छुट रहा है, तो उसका इलाज संभव है। प्रशासन द्वारा जिला में नशा मुक्ति केंद्र बनाए गए हैं, जहां पर इलाज द्वारा नशा छुड़ाया जाता है। उन्होंने कहा कि गांव में कोई भी व्यक्ति नशे की दलदल में फंस गया है, तो उसे नशा छुड़वाने के लिए प्रेरित करें तथा उसे इलाज के लिए जागरूक करें।
विभागीय कलाकार लोक गीतों से कर रहे लोगों को जागरूक :
नशा मुक्ति अभियान के तहत सूचना, जनसंपर्क एवं भाषा विभाग की भजन मंडलियां भी लोक गीतों के माध्यम से ग्रामीणों को नशा न करने के लिए जागृत कर रही हैं। भजन मंडलियां गांव-गांव जाकर लोगों को नशा प्रवृति के दुष्परिणामों के बारे में जानकारी देते हुए इससे बाहर निकलने के लिए प्रेरित कर रही हैं।