*प्रदेश के 22 जिलों में टीबी मुक्त भारत अभियान लॉच, 65 वैनों को किया शामिल – महानिदेशक*
*स्वास्थ्य विभाग के महानिदेशक ने आज इंद्रधनुष ऑडिटोरियम के कॉफ्रेंस हॉल में पत्रकारों से करी बातचीत*
पंचकूला, 7 दिसम्बर – स्वास्थ्य विभाग के महानिदेशक डा. मनीष बंसल ने कहा कि टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत आज से प्रदेश में 65 वैनों को शामिल किया गया है। जो जिला स्तर के निर्देश अनुसार गांव, मोहल्ले के हाई रिस्क एरिया में जाकर शिविर लगाएगी। उन्होंने बताया कि ये मशीनें संदिग्ध का पहले एक्स-रे करेंगे, फिर बलगम की जांच करेंगे और 24 घंटे में टीबी की पुष्टि होने पर उसका इलाज शुरू करेंगे।
स्वास्थ्य विभाग के महानिदेशक डा. मनीष बंसल आज सेक्टर-5 पंचकूला स्थित इंद्रधनुष ऑडिटोरियम के कॉफ्रेंस हॉल में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उनके साथ डीजीएस प्रोग्राम डा. कुलदीप, सीएमओ डा. मुक्ता कुमार भी मौजूद रहीं।
उन्होंने बताया कि टीबी मुक्त भारत अभियान की शुरूआत आज से की गई है। प्रदेश के सभी 22 जिलों में अभियान लॉच किया गया। साथ ही माइक्रो प्लान बनाकर उस पर काम शुरू कर दिया है। इससे पहले भी टीबी की बीमारी को लेकर विभाग सतर्क रहा है। इसमें विभाग की आशा वर्कर, एएनएम व स्वास्थ्य विभाग की टीमें गांव-गांव में लोगों के बीच अपना काम कर रही हैं। उन्होंने बताया कि अब विभाग को उन लोगों की तरफ ध्यान रहेगा, जो निम्न वर्ग से संबंध रखता था, हाई रिस्क क्षेत्र में रहता है।
उन्होंने कहा कि जिस व्यक्ति को दो सप्ताह से ज्यादा बुखार, खांसी हो, बलगम आनी शुरू हो जाए, लगातार वनज कम हो रहा हो या फिर खांसी के साथ खून आता हो। उन्होंने बताया कि टीबी की बीमारी किसी भी अंग में हो सकती है। किसी भी प्रकार का लक्षण दिखने पर जांच करवानी चाहिए। विभाग अब ज्यादा से ज्यादा लोगों की जांच कर टीबी के मरीजों की पहचान करेगी, ताकि उनका इलाज करके टीबी को खत्म किया जा सके।
उन्हांने बताया कि टीबी का एक मरीज एक साल में 10 नए लोगों को प्रवावित करता है। यदि समय से बीमारी का पता लग जाए और साथ ही इलाज शुरू हो जाए। ऐसे में 15 दिनों तक की दवा लेने से टीबी के कीटाणु खत्म होने शुरू हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि इस स्थिति में टीबी के मरीज से वो कीटाणु खत्म हो जाते हैं, जिससे दूसरे लोग प्रभावित होते है। बीमारी पर पूरी तरह काबू पाने के लिए 6 महीने का इलाज लेना जरूरी है।
उन्होंने बताया कि टीबी की बीमारी की इलाज भारत सरकार के अभियान अनुसार पूरी तरह से मुफ्त किया जा रहा है। इसके साथ ही प्रति माह एक हजार रूपये पोष्टिक आहार के लिए ऑनलाइन मरीज को खाते में दिए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि मरीजों को एनर्जी टेबलेट दी जा रही है। निक्षय मित्र बनाने की योजना शुरू की जा रही है। जो टीबी के मरीजों को गोद लेकर उनके साथ तालमेल बनाते हैं। 15 दिनों में उनका हालचाल जानते हैं और उन्हें एक परिवारिक सदस्य की तरह मानसिक व व्यवहारिक मनोबल प्रदान करते हैं।