प्रकृति परीक्षण अभियान में राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान की नई पहल -कुलपति
उद्देश्य नागरिकों की शारीरिक और मानसिक प्रकृति के बारे में जागरूक करना
अब तक 6000 से अधिक लोगों किया प्रकृति प्रशिक्षण
पंचकूला, 12 दिसम्बर – राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान के कुलपति प्रो. संजीव शर्मा ने कहा कि स्वस्थ समाज के निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाने के लिए संस्थान द्वारा आयुर्वेद को जन-जन तक पहुंचाने के प्रयास किए जा रहे। इसके लिए विशेष अभियान के माध्यम से नागरिकों को उनकी प्रकृति के अनुसार जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है, जिससे वे विभिन्न बीमारियों की रोकथाम कर सकें और समग्र स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर सकें।
कुलपति ने कहा कि राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान पंचकुला ने ’देश का प्रकृति परीक्षण अभियान’ के तहत शहर के विभिन्न स्थानों पर नागरिकों के प्रकृति परीक्षण की शुरुआत की है। ’यह देश का प्रकृति परीक्षण अभियान’ एक राष्ट्रव्यापी पहल पूरे देश में 26 नवंबर से प्रारंभ की गई जो 26 दिसंबर तक 2024 तक चलेगी। इस पहल का उद्देश्य नागरिकों को उनकी शारीरिक और मानसिक प्रकृति के बारे में जागरूक करना है, ताकि वे आयुर्वेदिक सिद्धांतों के अनुसार स्वस्थ जीवनशैली अपना सकें।
उन्होंने बताया कि अभियान के अंतर्गत के प्राध्यापक, छात्र और कर्मचारी प्रतिदिन अस्पताल, स्कूलों, कॉलेजों, मंदिरों, कार्यालयों आदि में जाकर लोगों का प्रकृति परीक्षण कर रहे हैं। अब तक संस्थान ने 6000 से अधिक लोगों तक अपनी पहुंच बनाई है और इसे अधिकतम करने की दिशा में निरंतर कार्य किया जा रहा है। इस प्रक्रिया में नागरिकों को ’प्रकृति परीक्षण’ ऐप डाउनलोड करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
श्री संजीव शर्मा ने कहा कि विशेष रूप से प्रकृति परीक्षण के बाद, प्रत्येक व्यक्ति को उनकी प्रकृति के आधार पर एक प्रमाणपत्र (प्रकृति प्रमाणपत्र) प्रदान किया जाएगा। यह प्रमाणपत्र ’प्रकृति परीक्षण’ ऐप में उपलब्ध होगा, जिसमें उनकी प्रकृति के अनुसार आहार और जीवनशैली में किए जाने वाले संशोधनों की सिफारिशें शामिल होंगी। इसके माध्यम से व्यक्ति अपने दैनिक जीवन में आयुर्वेद आधारित अनुशंसाओं को आसानी से अपना सकते हैं।
संस्थान के कुलपति ने सभी नागरिकों से अनुरोध किया है कि वे इस अभियान में सक्रिय रूप से भाग लें, ’प्रकृति परीक्षण’ ऐप डाउनलोड कर, अपने प्रकृति प्रमाणपत्र प्राप्त करें, और अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक और सचेत बनें। यह पहल न केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य के लिए, बल्कि समाज के समग्र कल्याण के लिए भी महत्वपूर्ण है।