पोस्ट मेट्रिक स्कॉलरशिप घोटाले का पर्दाफ़ाश करने के लिए अभियान मुख्यमंत्री के गृह जिले पटियाला से शुरू किया जाएगा — कैंथ
चंडीगढ़, 22 नवंबर ( )-पंजाब के अनुसूचित जाती वर्ग के छात्रों को उच्च शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई पोस्ट मेट्रिक स्कॉलरशिप योजना हाल के ही वर्षों में अपने भारी दुरूपयोग के कारण विवाद का एक ज्वलंत विषय बन गई है। जिस पर राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा किये जाने की आवश्यकता उतपन्न हो गई है. इस योजना में भ्र्ष्टाचार को लेकर जहां सरकार को दोषी ठहराया जा रहा है और उस पर इस योजना को लेकर भाँति-भांति के सवाल खड़े किये जा रहे हैं, वहीं निजी शिक्षा संस्थान भी पीछे नहीं हैं। पोस्ट मेट्रिक स्कॉलरशिप के रूप में दलित छात्रों की फीस और अन्य खर्चे सरकार द्वारा कॉलेजों को उनके खाते
में पैसा भेज कर जमा कराये जाते हैं। परन्तु इस स्कॉलरशिप को लेकर कालेजों की प्रबंधक कमेटियों द्वारा किये जा रहे भ्र्ष्टाचार के कारण ना केवल दलित छात्रों का भविष्य अंधकारमय हो रहा है बल्कि इसका दलित छात्रों को उच्च शिक्षा उपलब्ध कराने का केंद्र सरकार का मूल उद्देश्य भी मलियामेट होता नजर आ रहा है।
निजी शिक्षा संस्थान इस स्कॉलरशिप को बहती गंगा में हाथ धोने का अवसर मानते हुए फंड की बड़ी राशि का डकार मारने से भी पीछे रहते नजर नहीं आते। यही वजह है कि पोस्ट मेट्रिक स्कॉलरशिप के मुद्दे को लेकर पंजाब भर में दलित छात्रों को अपनी शिक्षा को लेकर कालेजों के बाहर धरना प्रदर्शन तक करने पड़ रहे है और
सरकार द्वारा पैसा रिलीज किये जाने के बाबजूद कालेज प्रबंधन अनुसूचित जाति के छात्रों को फीस जमा ना कराने का बहाना लगा कर उनके रोल नंबर रोक कर उनकी समस्याओं को और बढ़ा रहे हैं। पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप योजना को लेकर निजी शिक्षा संस्थाओं में भ्र्ष्टाचार किस सीमा तक व्याप्त है, इसका सबसे बड़ा उदाहरण पटियाला के धैंठल स्थित आदर्श पॉलिटेक्निक कालेज में हुए इस योजना के अधीन लगभग सवा करोड़ रुपये की धन राशि के दुरूपयोग के रूप में सामने आया है।
पंजाब में यह सबसे बड़ा पोस्ट मेट्रिक स्कालरशिप घोटाला माना जा रहा है. इस कालेज की मैनेजमेंट इसके दो सदस्यों डॉक्टर विक्रमजीत और उनकी
धर्मपत्नी डॉक्टर रंजू सिंगला के हाथों में है और उनकी जोड़ी को ही पोस्ट मेट्रिक स्कालरशिप फंड में घोटाले के लिए प्रत्यक्ष रूप से जिम्मेवार ठहराया जा रहा है। और उन पर 1,23,78, 535 रुपये की स्कालरशिप की राशि का दुरूपयोग करने के आरोप लगाए गये हैं. इस राशि का उपयोग उन्होंने अपने निजी लाभ के लिए किया है, ऐसी बातें भी सामने आ रही हैं। यह दंपति नोवा एजुकेशनल सोसाइटी के सदस्य होने के नाते कालेज के प्रबंधन और अन्य कार्य कलापों के संचालन के लिए जिम्मेवार हैं, जिसके चलते वह स्कॉलरशिप फंड में भ्र्ष्टाचार को लेकर भारी संदेह के घेरे में हैं. इस सारे मामले और घोटाले का खुलासा नेशनल शड्यूल्ड कास्ट्स अलायंस के अध्यक्ष परमजीत सिंह कैंथ ने आज यहां एक पत्रकार सम्मेलन के दौरान किया। अलायंस पिछले कई वर्षों से पोस्ट मेट्रिक स्कॉलरशिप योजना को राज्य में उपयुक्त और अच्छे ढंग से लागू करने के लिए अपनी आबाज़ बुलंद करता चला आ रहा है और जिस ढंग से इसे लागू किया जा रहा है,यह घोटाला इस का सबसे बड़ा उदाहरण है। जिसके कारण हज़ारों दलित विद्यार्थियों का शैक्षिक भविष्य चौपट होने के कगार तक पहुंच गया है. कैंथ ने आरोप लगाया कि डॉक्टर विक्रमजीत और उनकी धर्मपत्नी रंजू सिंगला पोस्ट मेट्रिक स्कालरशिप के फंड का दुरूपयोग करके ना केवल समाज के साथ धोखा कर रही है बल्कि अनुसूचित जाति छात्रों के भविष्य के साथ भी खिलवाड़ कर रही है। उन्होंने कहा कि इसी संबंध में इसी कालेज में 2016 के वर्ष के दौरान निर्माण सुपरवाइजर के तौर पर कार्य करने वाले कुलवंत सिंह ने जो स्वयं अनुसूचित जाति वर्ग से संबंध रखता है, अलायंस को इस बात की जानकारी दी कि वह कैसे निजी रूप से अनुसूचित जाति छात्रों के विकास और शिक्षा के लिए रखे गए फंड में किये गए घोटाले के कारण प्रभावित हुआ है।
कुलवंत सिंह ने राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग को लिखे पत्र में इस बात का खुलासा किया कि डॉक्टर विक्रमजीत और उनकी धर्मपत्नी ने सेल्फ बेयरर चैक जारी किये और सिस्टम में फ़र्ज़ी इंद्राज (एंट्रिया) करके फंड को सोसाइटी के खाते से निकाल कर अपने निजी फायदे के लिए इस्तेमाल किया। इसी मामले को सोसाइटी के
एक अन्य सदस्य के. के. जौहरी पहले ही मई 2018 में पटियाला के एसएसपी के पास एक शिकायत पत्र भेज कर उठा चुके हैं।इस संबंध में रिकार्ड किये गए सबूतों और बैंक खातों की स्टेटमेंट्स भी शिकायत के साथ दी गई थी परन्तु आज तक इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गई है। कैंथ ने कहा कि यही नहीं बल्कि अब तो कुलवंत सिंह को अपना मुंह तक बंद रखने की धमकिया भी दी जा रही हैं। ना तो सिविल और ना ही पुलिस प्रशासन ने अनुसूचित जाति वर्ग के विद्यार्थियों के साथ किये गए इस सबसे बड़े धोखे, जिस में उनका भविष्य ही दांव पर लगा दिया गया है और सरकारी फंड को खुर्द बुर्द किया गया है, की जिम्मेवार आरोपी दंपति के विरुद्ध अभी तक कोई कार्रवाई ही शुरू नहीं की है बल्कि इस घोटाले को ठंडे बस्ते में
डाल कर खत्म करने के प्रयास भी जारी हैं। जो नौकरशाही की ढीली ढाली कार्रवाई का जीता जागता उदाहरण है ताकि घोटालेबाज़ों को फायदा और आम आदमी को उत्पीड़ित किया जा सके अब तक जो सबूत उपलब्ध हुए हैं, उनके अनुसार आरोपी दंपति ने वेतन की अदायगी की आड़ में फ़र्ज़ी कर्मचारियों के नाम पर पैसे डाले और निकलवाए। इसी संबंध में मई 2015 से मार्च 2016 तक 60, 37, 735 रुपये कारपोरेशन बैंक से नोवा सोसाइटी के खाते से निकाले गए और फिर अप्रैल 2016 से मार्च 2017 तक 63, 40, 800 रुपये दंपति ने बैंक से निकाले। संबंधित अधिकारियों द्वारा स्कालरशिप का यह पैसा 2015 से 2017 तक के बीच उसी खाते में जमा कराया गया था जो दंपति द्वारा अपने निजी लाभ के लिए इस्तेमाल किया गया. नियंत्रक एवं महालेखाकार (कैग) द्वारा 2018 में प्रकाशित 12वीं रिपोर्ट में पंजाब के अलावा देश के चार अन्य राज्यों में अनुसूचित जाति वर्ग के विद्यार्थियों के लिए पोस्ट मेट्रिक स्कालरशिप योजना को लागू किये जाने के बाद इन राज्यों की कारगुज़ारी रिपोर्ट के आधार पर किये गए आडिट के परिणामो का उल्लेख किया गया है। इसमें आडिट के दौरान उन तथ्यों का भी उल्लेख किया गया है जो अप्रैल 2012 से मार्च 2017 अवधि के दौरान सामने आये थे। आडिट की जांच में स्कालरशिप फंड का दूसरे कार्यों के लिए इस्तेमाल, फंड देने से इंकार करने और स्कालरशिप के पैसे का अल्प भुगतान, स्कालरशिप फंड की अत्याधिक अदायगी और अयोग्य विद्यार्थियों को स्कालरशिप देने की बातें सामने आई थी।
कैंथ ने कहा कि दलित विद्यार्थियों के विवरण जिस में उनका नाम, पिता का नाम और जन्म तिथि आदि भी शामिल है, दो दो बार दर्शाई गई है, जो इस बात का संकेत है कि इन विद्यार्थियों और संबंधित शिक्षा संस्थाओं ने झूठी और फ़र्ज़ी स्टेटमेंट्स प्रस्तुत करके फीस और रख रखाव का पैसा दो दो बार हासिल किया है।
पटियाला के धैंठल स्थित आदर्श पॉलिटेक्निक कालेज भी उन 17 शिक्षा संस्थाओं में शामिल है जिनका इस घोटाले में उल्लेख किया गया है। फ़र्ज़ी कर्मचारियों के नाम पर स्कालरशिप का फंड खुर्द बुर्द करना कई तरीकों में से एक है। परन्तु डॉक्टर विक्रमजीत और उनकी धर्मपत्नी डॉक्टर रंजू सिंगला द्वारा संस्था के पदाधिकारियों के रूप में अपने ओहदे और अधिकारों का दुरूपयोग करके सार्वजनिक कोष का इस तरह दुरूपयोग करने का मामला एक निराला मामला है जिसमे उन्होंने पैसे का अपने निजी स्वार्थो के लिए इस्तेमाल किया। रिपोर्ट में इस बात का भी स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि डॉक्टर विक्रमजीत ने जो आदर्श पॉलिट्क्निक कालेज की देखभाल करते हैं, स्कालरशिप फंड की अत्याधिक रकम की वापसी का दावा किया है।
कैंथ ने कहा कि नेशनल शड्यूल्ड कास्ट्स अलायंस पंजाब सरकार से मांग करता है कि इस भारी वित्तीय घोटाले के कर्णधारों के विरुद्ध सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए और स्कालरशिप के जिस फंड को डॉक्टर विक्रमजीत और उनकी धर्मपत्नी रंजू सिंगला ने अपने निजी स्वार्थो के लिए खुर्द बुर्द किया है, उस फंड के एक एक पैसे की वसूली इस दंपती से की जाए। उन्होंने कहा कि दंपती का यह घोटाला एक बहुत चौंकाने वाला वित्तीय घोटाला है। इस लिए इन दोनों के खिलाफ एफ आई आर दर्ज करके इसकी उच्च स्तरीय जांच कराई जाए। क्योंकि इस मामले में हर साक्ष्य मौजूद है और शक की कोई गुंजायश नहीं है कि यही दंपती इस के लिए पूरी तरह से जिम्मेवार है।
कैंथ ने पंजाब सरकार से स्कालरशिप घोटाले के मामलों की जांच के लिए एक विशेष जांच टीम का गठन करने की भी मांग की है ताकि कैग की रिपोर्ट के आधार पर और धोखाधड़िया भी सामने आ सकें और दलित वर्ग के लोगों के कल्याण को देखते हुए ऐसे तत्वों पर शिकंजा कसा जा सके जो सरकारी फंडों को लूटने के काम में लगे हुए हैं।
कैंथ ने कहा कि पोस्ट मेट्रिक स्कालरशिप फंड में घोटाले के पर्दाफाश अभियान की शुरुआत मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के गृह जिले पटियाला से की जाएगी.
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