स्वच्छता जागरूक कार्यशाला का हुआ आयोजन 

पैरा लीगल वालंटियर्स (पीएलवी) के लिए क्षमता निर्माण प्रशिक्षण कार्यक्रम – मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी 

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पंचकूला 23 जनवरी – मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (डीएलएसए), पंचकूला की सचिव सुश्री अपर्णा भारद्वाज ने बताया कि पैरा लीगल वालंटियर्स (पीएलवी) के लिए क्षमता निर्माण प्रशिक्षण कार्यक्रम आज सफलतापूर्वक आयोजित किया गया। हरियाणा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देशानुसार यह कार्यक्रम सुबह 10:30 बजे कांफ्रेंस हॉल, एडीआर सेंटर, जिला न्यायालय, पंचकूला में हुआ। 

कार्यक्रम में उपमंडल विधिक सेवा समिति, कालका के पीएलवी ने भी भाग लिया। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) सुश्री अपर्णा भारद्वाज ने कहा कि इस प्रशिक्षण का उद्देश्य पीएलवी के कौशल और ज्ञान को बढ़ाना है, जिससे उन्हें समाज के हाशिए पर पड़े वर्गों को बेहतर कानूनी सहायता और समर्थन प्रदान करने के लिए सशक्त बनाया जा सके। विभिन्न प्रासंगिक विषयों पर व्यावहारिक सत्र देने के लिए संसाधन व्यक्तियों की एक टीम, सभी अनुभवी पैनल अधिवक्ताओं को नियुक्त किया गया था। 

प्रशिक्षण कार्यक्रम की मुख्य विशेषताएं 1. सुश्री शिवानी कंवर, पैनल अधिवक्ता ने संविधान के तहत मौलिक कर्तव्यों पर ध्यान केंद्रित करते हुए जिम्मेदार नागरिकों के कर्तव्यों को कवर किया। उन्होंने अनुच्छेद 39ए, विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 और नालसा विनियमों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने पीएलवी के लिए क्या करें और क्या न करें, इस पर मार्गदर्शन प्रदान किया, जिसमें ड्रेस कोड, व्यवहार, नैतिकता और कानूनी प्रणाली और समुदाय के बीच की खाई को पाटने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया गया। श्री बृज मोहन वशिष्ठ, पैनल अधिवक्ता ने संविधान की मूल संरचना और उद्देश्य को समझाया, प्रस्तावना और प्रमुख प्रावधानों पर चर्चा की। उन्होंने शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 और नागरिक प्रक्रिया संहिता (सीपीसी) की धारा 89 के तहत वैकल्पिक विवाद समाधान (एडीआर) के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने बुनियादी मध्यस्थता और परामर्श कौशल के बारे में भी जानकारी साझा की और एचआईवी/एड्स से पीड़ित लोगों सहित हाशिए पर पड़े समूहों के अधिकारों को संबोधित किया। श्री नायब सिंह, पैनल अधिवक्ता ने राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों और मौलिक अधिकारों का उल्लेख करते हुए हाशिए पर पड़े समुदायों के प्रति राज्य के दायित्वों पर ध्यान केंद्रित किया। संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 16, 19, 21 और 22 पर विस्तार से चर्चा की गई।

 उन्होंने विकलांग व्यक्तियों और ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के अधिकारों पर भी प्रकाश डाला, उनके समावेश और संरक्षण पर जोर दिया। 4. सुश्री सोनिया सैनी, पैनल अधिवक्ता ने मोटर वाहन अधिनियम, 1988 और नालसा योजनाओं के तहत उपलब्ध कानूनी सहायता का अवलोकन प्रदान किया। उन्होंने 2010 नालसा योजना के अनुसार मानसिक विकलांग व्यक्तियों और आपदाओं के पीड़ितों के लिए कानूनी सेवाओं के बारे में भी बात की। 

5. सुश्री सुनीता वर्मा, पैनल अधिवक्ता ने सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005, माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम, 2007 और पर्यावरण संबंधी मुद्दों जैसे विषयों को संबोधित किया। उन्होंने यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम, 2012 पर भी चर्चा की। सुश्री सुमिता वालिया, पैनल अधिवक्ता ने अनैतिक व्यापार (रोकथाम) अधिनियम, 1956 और यौनकर्मियों से संबंधित मुद्दों को कवर किया। उन्होंने आपदा प्रबंधन और मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम, 1987 के साथ-साथ लोक अदालतों की अवधारणा, मुकदमेबाजी से पहले के लाभ और दलील सौदेबाजी पर चर्चा की।

पंचकूला के जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सुश्री भारद्वाज ने कहा कि कार्यक्रम का समापन एक संवादात्मक सत्र के साथ हुआ, जहाँ प्रतिभागियों ने अपनी शंकाएँ दूर कीं और अपने अनुभव साझा किए। इस पहल ने वंचितों के लिए कानूनी जागरूकता पैदा करने और न्याय तक पहुँच प्रदान करने में पीएलवी की महत्वपूर्ण भूमिका को मजबूत किया।

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