पूरे प्रदेश में पराली जलाने एवं अन्य कारणों से उत्पन्न हुए भयावह प्रदूषण को देखते हुए जिला प्रशासन ने कड़े कदम उठाये है।
पंचकूला, 4 नवंबर-
पूरे प्रदेश में पराली जलाने एवं अन्य कारणों से उत्पन्न हुए भयावह प्रदूषण को देखते हुए जिला प्रशासन ने कड़े कदम उठाये है। उपायुक्त मुकेश कुमार आहूजा ने धान की फसल के अवशेष यानी पराली जलाने पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। भारतीय दण्ड प्रक्रिया नियमावली 1973 की धारा 144 के अन्तर्गत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए उन्होंने यह निर्देश जारी किये हैं। इन आदेशों की उल्लघंना करने वाले किसानों पर जुर्माना लगाया जायेगा।
उक्त निर्देश जारी करते उन्होंने कहा कि पराली जलाने से पर्यावरण में प्रदूषण का स्तर बढ़ता है जिससे मानव व अन्य जीवों के स्वास्थ्य पर भी दुष्प्रभाव पड़ता है। विशेषकर अस्थमा व अन्य बीमारियों से ग्रस्त लोगों को इस धुंए के कारण अधिक दिक्कत पेश आती है। उन्होंने कहा कि किसान धान की पराली को जलाने की बजाए इसका वैज्ञानिक स्तर पर प्रबंधन करें। इसके लिए कृषि विभाग द्वारा 8 तरह के उपकरण 50 प्रतिशत से लेकर 80 प्रतिशत अनुदान पर उपलब्ध करवाये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि जो छोटे किसान यह उपकरण अपने स्तर पर खरीदने की स्थिति में नहीं है उनकी सुविधा के लिए जिला में 7 कस्टम हायरिंग सैंटर स्थापित किये गये है जोकि गांव बतौर, रायपुररानी, भगवानपुर, बिहौड, व भरौली में है। इन सैंटरों से कोई भी किसान किराये पर उपकरण लेकर पराली का वैज्ञानिक प्रबंधन कर सकता है। इसके साथ साथ इस वर्ष कृषि विभाग द्वारा 42 रोटावेटर, 24 जीरो ड्रिल, 2 सर्ब मास्टर और 1 रिवरसिबल एमबी प्लो, 1 स्ट्रा चोपर, 1 स्ट्रा मनैजमैंट सिस्टम अनुदान पर दिया गया है।
जिला उप कृषि निदेशक वजीर सिंह ने बताया कि फसल अवशेष प्रबंधन के लिये जिला में 20 सितंबर से 5 अक्तूबर तक फसल अवशेष सीआरएम यानी फसल अवशेष प्रबधंन पखवाड़ा भी मनाया गया था, जिसमें किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन के बारे में जागरूक किया गया था। उन्होंने बताया कि अभी तक 18 जगहों पर फसल अवशेष जलते पाये गये है, जिसमें से 14 व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाही अमल में लाई गई है और शेष के मुकदमा दर्ज करवाया जायेगा।
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