पीठासीन (पीओ) और सहायक पीठासीन अधिकारियों (एपीओ) की राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में चल रही ट्रेनिंग हुई संपन्न
चुनाव शुरू होने से पहले किया जाने वाला मॉक पोल चुनाव को पारदर्शी बनाने की अहम कसौटी – एआरओ
पंचकूला, 6 मई – उपायुक्त एवं जिला निर्वाचन अधिकारी श्री यश गर्ग के मार्गदर्शन में लोकसभा आम चुनाव – 2024 को शांतिपूर्ण एवं निष्पक्ष चुनाव संपन्न करवाने में अहम भूमिका निभाने वाले पीठासीन (पीओ) और सहायक पीठासीन अधिकारियों (एपीओ) की सेक्टर-1 स्थित राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में चल रही ट्रेनिंग संपन्न हुई। ट्रेनिंग में एआरओ पंचकूला गौरव चैहान ने उपस्थित पीठासीन (पीओ) और सहायक पीठासीन अधिकारियों (एपीओ) को चुनाव संबंधी हर पहलू पर विस्तृत जानकारी दी।
एआरओ पंचकूला गौरव चैहान ने कहा कि दुनिया के सबसे बड़े प्रजातंत्र में निष्पक्ष एवं शांतिपूर्ण चुनाव संपन्न करवाने की जिम्मेवारी हमारे कंधों पर है। ऐसे में हमारी भूमिका पूर्णतरू निष्पक्ष ही रहनी चाहिए। किसी भी राजनीतिक दल से हमारी नजदीकियां चुनाव को प्रभावित कर सकती हैं। ऐसे में हमें भारत निर्वाचन आयोग की प्रत्येक गाइडलाइन का पालन करते हुए चुनाव को निष्पक्षता के साथ संपन्न करवाना है और इसके लिए हमारे द्वारा चुनावी प्रक्रिया की हर गतिविधि को पारदर्शी तरीके से अपनाना है। उन्होंने कहा कि चुनाव शुरू होने से पहले किया जाने वाला मॉक पोल चुनाव को पारदर्शी बनाने की सबसे अहम कसौटी है।
विभिन्न राजनीतिक दलों के पोलिंग एजेंटों के समक्ष अपनाई जाने वाली इस प्रक्रिया की अहमियत को बताते हुए उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया को अपनाने से चुनाव करवाना बेहद सरल हो जाता है और ड्यूटी के दौरान चुनाव आयोग के निर्देशानुसार हमारे द्वारा अपनाए जा रहे हर प्रोसेस की विश्वसनीयता बढ़ती है। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग की हिदायत अनुसार मॉक पोल के दौरान 50 वोट डलवाना सुनिश्चित करें। मॉक पोल के दौरान डाले गये वोट और वीवीपैट से निकलने वाली पर्चियों व कंट्रोल यूनिट में कुल वोट के मिलान होने पर पोलिंग एजेंट के हस्ताक्षर भी करवाएं तथा मॉक पोल का रिकार्ड सुरक्षित रखें। इसके उपरांत ईवीएम को क्लियर बटन दबाकर पुन पोलिंग के लिए तैयार करें।
उन्होंने अधिकारियों से कहा कि वे चुनाव संबंधी हैंडबुक का भी अध्ययन जरूर करें, इससे चुनाव करवाने में आसानी होगी और ड्यूटी संबंधी हर विषय की विस्तृत जानकारी मिलेगी। प्रशिक्षण के दौरान उन्होंने मतदान खत्म होने पर ईवीएम तथा वीवीपैट को सील करने के तरीके की जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि यदि कोई नेत्रहीन मतदाता ब्रेल लिपि पढ़ने में सक्षम है तो उसे ब्रेल बैलेट पेपर उपलब्ध कराया जायेगा। उन्होंने टेंडर वोट, चैलेंजिंग वोट, मतदाता पहचान पत्र के दस्तावेज, प्रयोग में लाये जाने वाले विभिन्न प्रकार के फार्म, पोस्टल वोट, माइक्रो पर्यवेक्षक, पोलिंग बूथ के अंदर प्रवेश करने वाले अधिकृत लोगों आदि के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
उन्होंने पीओ तथा एपीओ को बताया कि वे अपने स्तर पर मतदान केंद्र के निर्धारित स्थान में बदलाव नहीं कर सकते। अपरिहार्य स्थिति में इसके लिए उन्हें पहले सहायक निर्वाचन अधिकारी को बताना होगा। ऊपर से मंजूरी मिलने पर ही इस दिशा में कोई कदम उठाया जा सकता है। जिस भी स्कूल/धर्मशाला/सामुदायिक केंद्र अथवा अन्य संस्था मेें पोलिंग बूथ बनाया गया है उसकी चारदीवारी से 200 मीटर की दूरी पर ही राजनीतिक दलों की ओर से निर्धारित आकार में टेंट लगाया जा सकता है। यदि इससे कम दूरी पर टेंट लगा है तो पीठासीन अधिकारी उसे हटवा सकते हैं। उन्होंने कहा कि ईवीएम व वीवीपैट को मतदान केंद्र की खिडकी के पास नहीं रखा जाना चाहिये और ईवीएम पर ऊपर से सीधी रोशनी नहीं पड़नी चाहिए।
उन्होंने बताया कि 29 अप्रैल से 6 मई तक कालका विधानसभा के 700 और पंचकूला विधानसभा क्षेत्र के 700 अधिकारियों-कर्मचारियों को प्रशिक्षण में शामिल किया गया।
इस अवसर पर मास्टर ट्रेनर बीईओ सीमा रानी, गुरचरण, सुभाष भारद्वाज, सुनील दत्त, विरेन्द्र गौड़ द्वारा सीयू/बीयू, वीवीपैट के बारे में भी अधिकारियों को प्रशिक्षित किया गया।