सरकार विधवा महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए दे रही ऋण 

पराली न जलाने का संकल्प लेकर पराली प्रबंधन को बनाया आमदनी का जरिया

सिरसा, 22 अक्तूबर।


                  खुशहाल जीवन और नई मंजिले पाने का सपना तो हर कोई देखता है, लेकिन सपने उनके साकार होते हैं, जिनके हौसलों में उड़ान होती है। जीवन में सफलता पाने के लिए मेहनत के साथ-साथ दृढ इच्छा शक्ति व मजबूत इरादे होने चाहिए। अपने परिवार को समृद्ध व खुशहाल बनाने के लिए पनिहारी के किसान रणजीत सिंह पराली प्रबंधन के जरिये न केवल पर्यावरण सरंक्षण में सहयोग दे रहे हैं बल्कि अपनी आमदनी बढाकर दूसरों के लिए प्रेरणा का स्रोत बने हैं।

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                  किसान रणजीत सिंह ने खेती के साथ-साथ अन्य संसाधन अपनाकर अपनी आमदनी बढाने का इरादा किया और इन्हीं इरादों को पूरा करने के लिए उन्होंने 2018 में पराली प्रबंधन का कार्य शुरू किया। प्रदेश सरकार की नीतियों व कृषि विभाग के सहयोग के चलते उन्होंने 2019 में एचपी किसान समूह के माध्यम से एक बेलर खरीदा और अनुदान का लाभ भी उठाया। रणजीत सिंह के अनुसार गत वर्ष उन्होंने एक बेलर के माध्यम से दस लाख रुपये की आमदनी की, जिससे उनका हौसला और बढा। इसी हौसले प्रोत्साहित होते हुए उन्होंने इस वर्ष दो बेलर और खरीदे और जिला के विभिन्न क्षेत्रों में पराली प्रबंधन का कार्य कर रहे हैं। इसके साथ-साथ वे किसानों को पराली न जलाने का संदेश देते हुए पराली प्रबंधन अपनाने के लिए भी प्रेरित कर रहे हैं। रणजीत सिंह ने बताया कि खेती के साथ-साथ पराली प्रबंधन का कार्य अपनाकर हम अपनी आमदनी बढा सकते हैं। इसके अलावा साथ में अन्य व्यवसाय भी अपना सकते हैं। किसान रणजीत सिंह ने बताया कि जिला के किसान भी पराली प्रबंधन को लेकर गंभीर हैं और जिला प्रशासन द्वारा जागरूकता अभियान के माध्यम से पराली न जलाने का संकल्प भी ले रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस वर्ष अब तक वे 60 एकड़ से अधिक एरिया में पराली प्रबंधन कर चुके हैं। किसान रणजीत सिंह  का कहना है कि अगर जिला में कोई भी किसान पराली प्रबंधन करवाना चाहता है तो उनसे सम्पर्क कर सकता है।


बेलर से इस प्रकार होता है पराली प्रबंधन :

                  सहायक कृषि अभियंता डी.एस यादव ने बताया कि उपायुक्त रमेश चंद्र बिढाण के निर्देशानुसार विभाग द्वारा जिला में पराली जलाने की घटनाओं पर पूर्णतय अंकुश व पराली प्रबंधन को लेकर गंभीरता से कार्य किए जा रहे हैं। इसके लिए विभाग द्वारा गांव स्तर पर भी टीमों का गठन किया गया है। ये टीमें पराली जलाने की घटनाओं पर निगरानी रखने के साथ-साथ किसानों को पराली न जलाने के लिए जागरूक करती हैं और पराली प्रबंधन के लिए प्रेरित करती है। उन्होंने बताया कि पराली का सही प्रबंधन करने से जहां पर्यावरण स्वच्छ रहता है, वहीं भूमि की ऊपजाऊ शक्ति भी बढती है। हैप्पी सीडर, बेलर, फेयर हैट सहित अन्य माध्यमों से कम समय में पराली प्रबंधन किया जा सकता है। बेलर से एक दिन में 30 एकड़ एरिया के धान की फसल के अवशेषों के गठठे तैयार किए जा सकते हैं। उन्होंने बताया कि बेलर से गठठे बनाने से पहले हैरेक से अवशेषों को लाइन में एकत्रित किया जाता है, ताकि बेलर से गठठे सही प्रकार से बनाए जा सकें। इसके बाद बेलर द्वारा एकत्रित फसल अवशेषों के गठठे बनाए जाते हैं। उन्होंने बताया कि पराली प्रबंधन की यह तकनीक किसानों के लिए आमदनी का जरिया भी है।

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किसानों ने भी माना पराली प्रबंधन को पर्यावरण सरंक्षण व आमदनी बढाने में सहयोगी :


                  धान की फसल कटाई के बाद बचे अवशेषों का जहां पर कई जागरूक किसान सही प्रबंधन करके इसे आमदनी का जरिया बनाने के साथ-साथ पर्यावरण सरंक्षण मित्र बन रहे हैं। ये किसान दूसरे किसानों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन रहे हैं। ऐसे ही किसान हैं सुरेंद्र कुमार, हरप्रीत सिंह, बलदेव प्रकाश, सतपाल सिंह व मांगे राम जो पराली को जलाने की बजाए उसका सही प्रबंधन करके अच्छी आमदनी ले रहे हैं। इनका मानना है कि जब से उन्होंने पराली का प्रबंधन करना शुरू किया है, तब से न केवल आमदनी बढी है, बल्कि भूमि की ऊपजाऊ शक्ति को भी बढावा मिला है। इनका कहना है कि हमें अपनी भावी पीढी को उपजाऊ भूमि व शुद्ध वातावरण देने के लिए आज ही सजग होना होगा, क्योंकि बढता प्रदूषण केवल मानव जाति के लिए नहीं बल्कि जीव-जंतुओं के लिए भी बेहद हानिकारक है। किसानों का मानना है कि जिला प्रशासन द्वारा समय-समय पर पराली न जलाने को लेकर जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं, लेकिन सामूहिक सहयोग के बिना कोई भी अभियान सफल नहीं हो सकता, इसलिए हम सबको पराली न जलाने का व उसके सही प्रबंधन का संकल्प लेना होगा, ताकि हमारे जिला में पराली जलाने की एक भी घटना न हो।


पराली प्रबंधन करने वाले किसान को दिए जाएंगे एक हजार रुपये प्रति एकड़ या 50 रुपये प्रति क्विंटल : उपायुक्त बिढ़ाण


                  उपायुक्त रमेश चंद्र बिढ़ाण ने बताया कि प्रदेश सरकार द्वारा किसानों को आधुनिक खेती के लिए प्रेरित करने के लिए कई कारगर योजनाएं क्रियांवित की गई है जिनके सराहनीय परिणाम सामने आ रहे हैं। पराली न जलाने के लिए किसानों को प्रेरित किया जा रहा है। सरकार द्वारा फसल अवशेषों का सही प्रबंधन करने के लिए कृषि यंत्रों पर भारी अनुदान भी दिया जाता है और पराली प्रबंधन करने वाले किसानों को भी प्रोत्साहन स्वरुप राशि दी जाती है। उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष जिन किसानों ने बेलर द्वारा धान की पराली का प्रबंधन करवाया था उसकी प्रोत्साहन राशि बेलर मालिक को दी गई थी परंतु इस वर्ष जो किसान अपने धान की पराली का कृषि यंत्र द्वारा पराली प्रबंधन करवाएगा तो उस किसान को प्रति एकड़ अधिकतम एक हजार रुपये या 50 रुपये प्रति क्ंिवटल की दर से प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। इसके लिए किसान को विभागीय पोर्टल एग्रीहरियाणासीआरएमडॉटकॉम पर अपना पूर्ण विवरण देकर पंजीकरण करवाना होगा। उन्होंने बताया कि किसान यदि औद्योगिक ईकाई में गांठों को बेचता है तो उसे संबंधित औद्योगिक ईकाई से बिल प्राप्त करना होगा। इसके अलावा यदि पंचायत द्वारा उपलब्ध करवाई गई भूमि पर गांठों को एकत्रित करता है तो ग्राम पंचायत एंव विभागीय कर्मचारियों द्वारा उसे सत्यापित प्रमाण-पत्र जारी किया जाएगा जिसे किसान द्वारा उक्त पोर्टल पर अपलोड करना होगा ताकि किसान को पराली प्रबंधन बारे प्रोत्साहन राशि दी जा सके।