नूपुर तिवारी एक टीचर, मोटिवेशनल स्पीकर, मेंटल हेल्थ कौंसिलर एवं समाजसेवी ने ब्रिटिश स्कूल चंडीगढ़ के स्टूडेंट्स का सेशन लिया

चंडीगढ़ 24 फरवरी अपने भारत के टूर में पुणे, मुंबई, दिल्ली, गाजियाबाद, चंडीगढ़ में शिक्षिक संस्थाओं में सेशन आयोजित किये , पी एच डी चैम्बर आफ कामर्स से सम्मानित भी हुई नूपुर
नूपूर को बचपन से ही योग के प्रति रूचि थी। चूंकि परिवार परम्परावादी था तो एक तरह से योग उन्हें विरासत में मिला। जब नूपुर बड़ी हुईं, तो पढ़ाई पूरी करने के बाद 2003 में जापान के शिकोकू शहर चली गईं। यहां आकर एक कंपनी में काम करने के दौरान उन्होंने देखा कि लोगों की जीवनशैली रोबोट की तरह है और वो हमेशातनाव में रहते हैं। तब उनके दिमाग में ख्याल आया कि क्यों न योग के माध्यम से लोगों के तनाव को कुछ कम किया जाए। नुपूर ने भारतीय संस्कृति का सहारा लेकर विभिन्न संस्थाओं में योग शिविर आयोजित किए। हालांकि कुछ स्कूलों में वो अंतराष्ट्रीय संबंधों की कक्षाएं भी लेती थीं, तो उन्होंने इन स्कूलों में भी योग शिक्षा देना प्रारंभ किया। नुपूर के इस प्रयास को सफलता मिली और लोग नुपूर से जुड़ने लगे और उनकी पहचान जापान में अनऑफिशियल ब्रांड एम्बेसडर ऑफ इंडिया के तौर पर होने लेगी।
एक घटना ने बदली जिंदगी
2015 में कुमामोटो भूकंप ने उनके जीवन को समाज सेवा से सीधे जोड़ दिया। इस भूकंप ने क्यूशू में एक बड़े क्षेत्र को तबाह कर दिया। प्राकृतिक आपदा को देखकर वो हैरान रह गई। वहां बचे लोग लाचार और तनाव में थे। नुपूर ने सोचा कि सिर्फ पैसे के अलावा वो किस तरह से उनकी सहायता कर सकती हैं। उन्होंने लोगों के लिए वहां भी कुमामोटो में चैरिटी योग शिविर शुरू किए, जिससे जिससे भूकंप में अपना सब कुछ खो चुके लोगों की मनोदशा में बदलाव लाया जा सके। इसका लाभ भी हुआ और लोग हादसे से उबरने लगे। वहां उन्होंने कुछ स्वैच्छिक दान कार्यक्रम भी चलाए, जिससे होने वाली आय से बर्बाद हो चुके लोगों के घरों के पुनर्निर्माण को वित्तपोषित किया गया। नूपुर के इन कार्यक्रमों ने कुमामोटो के क्यूशू क्षेत्र को संभलने में काफी मदद की।
संयुक्त राष्ट्र ने किया आमंत्रित
जापान में नुपूर तिवारी के प्रयासों को काफी सराहा गया। आगे चलकर श्रीलंका, अफ्रीका में आई प्राकृतिक आपदा के समय संयुक्त राष्ट्र ने योग और उपचार अभियान आयोजित करने के लिए आमंत्रित किया। इस प्रकार योग से हुई एक शुरुआत ने देश और दुनिया को दुरुस्त और तंदुरुस्त रखने के लिए नूपुर के समक्ष कई और आयाम खोल दिए। वह आज एक शिक्षक, योग प्रशिक्षक बनकर समाजसेवा कर रही हैं और नुपूर को मोटिवेशनल स्पीचेस के लिए भी उन्हें आमंत्रित किया जाने लगा। अब उन्हें विश्व पटल पर एक टीचर, मोटिवेशनल स्पीकर, मेंटल हेल्थ कौंसिलर एवं समाजसेवी के रूप जाना जाने लगा।
भारत में भी शुरू किया काम
हील टोक्यो के लिए काम करे हुए नुपूर ने भारत में भी काम शुरू किया। 2017 में की शुरुआत में उन्होंने कई राज्यों के स्कूलों में कॉपी, किताब, स्टेशनरी मुहैया कराई। मुंबई और ओडिशा में प्राकृतिक आपदा के समय उन्होंने प्रधानमंत्री राहतकोश में मदद भी की। मुंबई में 2017 में उन्होंने बाढ़ राहत हेतु कार्य किया। बंगाल के कई स्कूलों को भी बहुत सी सुविधायें मुहैय्या करवाईं। गुरुग्राम में निराश्रितों को कम्बल बांटे और अन्य कुछ सुविधायें भी मुहैया कराईं। उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में एक महिला द्वारा झुग्गी के गरीब बच्चों को पढ़ाने की जानकारी होने पर उसे हील टोकयो ने गोद लिया। उस एक कमरे के स्कूल का पुर्ननिर्माण करावा और स्कूल में आधुनिक डिजिटल कक्षाएं स्थापित कीं। हील टोक्यो के माध्यम से ही छात्रों के लिए सभी किताबें, स्टेशनरी, वर्दी और उचित भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है। कोलकता के साल्ट लेक क्षेत्र में भी हील टोकयो वंचितों के लिए एक स्कूल लेकर आ रहा है। बंगाल की ग्रामीण महिलाओं के लिए एक सशक्तिकरण कार्यक्रम की योजना पर भी काम चल रहा है।
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