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नवीन एवं नवीनीकरणी ऊर्जा विभाग की ओर से जिला की गौशालाओं, संस्थाओं और डेयरियों में संस्थागत बायोगैस प्लांट लगाने के लिए 40 प्रतिशत तक अनुदान दिया जा रहा है।

पंचकूला 27 जुलाई- नवीन एवं नवीनीकरणी ऊर्जा विभाग की ओर से जिला की गौशालाओं, संस्थाओं और डेयरियों में संस्थागत बायोगैस प्लांट लगाने के लिए 40 प्रतिशत तक अनुदान दिया जा रहा है।

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अतिरिक्त उपायुक्त मनिता मलिक ने बताया कि विभाग द्वारा 25 क्यूबिक मीटर का बायोगैस प्लांट लगाने के लिए 70 से 80 पशुओं वाली गौशालाएं, संस्थाएं ओर डेयरियां आवेदन कर सकती है। इसी प्रकार 35 क्यूबिक मीटर के लिए 100 से 110 पशु रखने वाली तथा 45 क्यूबिक मीटर का बायोगैस प्लांट के लिए 125 से 140 पशु रखने वाली गौशालाएं, डेयरियां, एवं संस्थाएं आवेदन कर सकती है। उन्होंने बताया कि इसी प्रकार 60 मीटर क्यूबिक मीटर का बायोगैस प्लांट 175 से 180 पशु रखने वाली गौशालाएं, संस्थाएं और डेयरियां ही संस्थागत बायोगैस प्लांट के लिए आवेदन कर सकती है। इसी प्रकार 85 मीटर क्यूबिक मीटर के बायोगैस प्लंाट के लिए 250 से 270 पशुओं को रखने वाली संस्थागत बायोगैस प्लांट लगाए जा सकते है। उन्होंने बताया कि गौशालाओं में रखे जाने पशुओं से प्राप्त होने वाले गोबर से बेहतरीन संस्थागत बायोगैस प्लांट लगाए जा सकते है। इसलिए जिला की गौशालाओं, संस्थाओं एवं डेयरियों में संस्थागत बायोगैस प्लांट लगवाने के लिए सरकार की अनुदान योजना का लाभ उठाना चाहिए।

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अतिरिक्त उपायुक्त ने बताया कि बायोगैस प्लांट पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाने में कारगर होते हैं इसके अलावा बायो खेती के लिए भी आर्गेनिक खाद तैयार करने में बायोगैस प्लांट को प्रयोग में लाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि बायोगैस प्लांट बहुत ही लाभकारी होते है। इनसे निकलने वाली गैस का प्रयेाग खाना बनाने के साथ साथ घरेलू बिजली उत्पादन के लिए भी प्रयोग में लाया जा सकता है। बायोगैस प्लांट से निकलने वाली वेस्ट का प्रयोग आर्गेनिक खाद के रूप में खेतों में लाया जा सकता है जिससे जमीन उपजाऊ होने के साथ शुद्व एवं उच्च गुणवता युक्त खाद्यान्न मिलेगा। इस प्रकार गौशालाएं आर्गेनिक खाद की बिक्री करके आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होगी।